ETV Bharat / state

उत्तराखंड: लापता हुए कोरोना से स्वस्थ हुए मरीज, ढूंढे पर भी नहीं मिल रहे प्लाज्मा डोनर

देहरादून में गंभीर मरीजों के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है. मगर यहां प्लाज्मा डोनेट करने वाले स्वस्थ मरीज ही नहीं मिल रहे हैं. स्थिति यह है कि स्वस्थ होकर घर गए लोगों से ब्लड बैंक के कर्मचारी फोन के जरिए संपर्क साध रहे हैं. मगर, अधिकतर लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है.

plasma-donors-are-not-available-to-fight-corona-in-uttarakhand
उत्तराखंड: लापता हुए कोरोना से स्वस्थ हुए मरीज
author img

By

Published : Aug 30, 2020, 8:13 PM IST

Updated : Aug 30, 2020, 9:08 PM IST

देहरादून: कोरोना का इलाज करवाकर स्वस्थ हुए लोग अब अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटते दिख रहे हैं. मामला प्लाज्मा डोनेट से जुड़ा है. जिसको लेकर डोनर्स का जीरो रिस्पॉन्स प्लाज्मा थेरेपी के लिए बड़ी दिक्कत बन गया है. हालात ये है कि ब्लड बैंक को प्लाज्मा डोनर ढूंढने से भी नहीं मिल रहा.

दून मेडिकल कॉलेज प्रबंधन इन दिनों कोरोना का इलाज करवाकर स्वस्थ हो चुके लोगों से अपील करने में जुटा है. ब्लड बैंक स्टाफ भी कोविड से ठीक हो चुके मरीजों से संपर्क करने में लगा है. मगर स्वस्थ हुए मरीजों पर किसी अपील का असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है. विभाग को भी अब इन लोगों का पता लगाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

उत्तराखंड: लापता हुए कोरोना से स्वस्थ हुए मरीज

पढ़ें-16 महीनों से दफन 'परिवार' का खुला राज, बस एक गलती ने खोली पोल

बता दें कि प्लाज्मा थेरेपी के जरिये गंभीर मरीजों को ठीक करने की बात की जा रही है. जिसके लिए मेडिकल कॉलेज में बाकायदा एक मशीन लगवाई गयी है. अब प्रदेश में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना से जंग लड़ने की तैयारी की जा रही है. मगर परेशानी ये है कि प्लाज्मा थेरेपी के लिए डोनर ही नहीं मिल पा रहे हैं.

पढ़ें-हल्द्वानी: जंगल से निकल हाईवे पर आया हाथियों का झुंड, वाहनों की लगी कतारें

प्लाज्मा डोनेट करने के लिए दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य लगातार अपील कर रहे हैं. उधर प्लाज्मा डोनर्स को अस्पताल तक लाने के लिए प्रचार-प्रसार और विज्ञापन भी जारी किए गए हैं.

जानिए क्या है प्लाज्मा थेरेपी और डोनर भूमिका

  • प्लाज्मा थेरेपी एक एंटीबॉडी विकसित कर चुके स्वस्थ मरीज से दूसरे बीमार व्यक्ति को दिया जाने वाला इम्यून सिस्टम या एंटी बॉडी है.
  • इस थेरेपी में कोरोना से रिकवर हुए मरीज की एंटीबॉडी का इस्तेमाल दूसरे कोरोना के गंभीर मरीज के लिए किया जाता है.
  • प्लाज्मा थेरेपी के बाद कई घंटों तक गंभीर बीमार मरीज की डॉक्टर्स द्वारा निगरानी की जाती है.
  • स्वस्थ हुए कोरोना संक्रमित के शरीर में 3 से 4 हफ्ते में एंटीबॉडी विकसित होती है.
  • इससे बीमार कोरोना संक्रमित के शरीर में 3-4 हफ्ते में एन्टीबॉडी बनने के बजाय जल्द एंटीबॉडी ट्रांसफर के जरिये शरीर बीमारी से लड़ने लगता है.
  • करीब एक व्यक्ति से 400 से 500 एमएल प्लाज्मा लिया जाता है. मरीज में एक बार में करीब 250 एमएल तक प्लाज्मा दिया जाता है.
  • प्लाज्मा थेरेपी के लिए स्वस्थ प्लाज्मा डोनर की जरूरत होती है.
  • प्लाज्मा लेने के लिए एक विशेष मशीन होती है, जो प्लाज्मा निकालकर बचे हुए ब्लड को वापस शरीर में भेज देती है.

पढ़ें- देहरादून: कैंट बोर्ड के अंतर्गत चलने वाले स्कूलों में तैनात 45 शिक्षकों की सेवाएं होगी समाप्त

कुल मिलाकर कोरोना से लड़कर स्वस्थ हुए लोग अब अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटते हुए दिखाई दे रहे हैं. दून मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक इंचार्ज बताती हैं कि लोग ब्लड डोनेट करने के लिए अस्पताल आने से बच रहे हैं. जबकि, अस्पताल की तरफ से पूरी एहतियात बरतते हुए प्लाज्मा डोनेट करने वाली जगहों को पूरी तरह से सुरक्षित किया गया है.

पढ़ें-देहरादून: राजधानी के 19 स्थानों पर बनेगा स्मार्ट वेंडिंग जोन, कार्य तेज

देहरादून में प्लाज्मा डोनेट कर स्वस्थ हुए मरीज कई लोगों की जिंदगियां बचा सकते हैं. फिलहाल स्वस्थ हुए मरीजों की तरफ से ऐसा कुछ देखने को मिल नहीं रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत स्वस्थ हो चुके मरीजों के साथ ही अन्य लोगों से भी अपील करता है कि वे समाज सेवा में आगे आकर प्लाज्मा डोनेट कर जिंदगियां बचाने में मदद करें.

देहरादून: कोरोना का इलाज करवाकर स्वस्थ हुए लोग अब अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटते दिख रहे हैं. मामला प्लाज्मा डोनेट से जुड़ा है. जिसको लेकर डोनर्स का जीरो रिस्पॉन्स प्लाज्मा थेरेपी के लिए बड़ी दिक्कत बन गया है. हालात ये है कि ब्लड बैंक को प्लाज्मा डोनर ढूंढने से भी नहीं मिल रहा.

दून मेडिकल कॉलेज प्रबंधन इन दिनों कोरोना का इलाज करवाकर स्वस्थ हो चुके लोगों से अपील करने में जुटा है. ब्लड बैंक स्टाफ भी कोविड से ठीक हो चुके मरीजों से संपर्क करने में लगा है. मगर स्वस्थ हुए मरीजों पर किसी अपील का असर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है. विभाग को भी अब इन लोगों का पता लगाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

उत्तराखंड: लापता हुए कोरोना से स्वस्थ हुए मरीज

पढ़ें-16 महीनों से दफन 'परिवार' का खुला राज, बस एक गलती ने खोली पोल

बता दें कि प्लाज्मा थेरेपी के जरिये गंभीर मरीजों को ठीक करने की बात की जा रही है. जिसके लिए मेडिकल कॉलेज में बाकायदा एक मशीन लगवाई गयी है. अब प्रदेश में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना से जंग लड़ने की तैयारी की जा रही है. मगर परेशानी ये है कि प्लाज्मा थेरेपी के लिए डोनर ही नहीं मिल पा रहे हैं.

पढ़ें-हल्द्वानी: जंगल से निकल हाईवे पर आया हाथियों का झुंड, वाहनों की लगी कतारें

प्लाज्मा डोनेट करने के लिए दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य लगातार अपील कर रहे हैं. उधर प्लाज्मा डोनर्स को अस्पताल तक लाने के लिए प्रचार-प्रसार और विज्ञापन भी जारी किए गए हैं.

जानिए क्या है प्लाज्मा थेरेपी और डोनर भूमिका

  • प्लाज्मा थेरेपी एक एंटीबॉडी विकसित कर चुके स्वस्थ मरीज से दूसरे बीमार व्यक्ति को दिया जाने वाला इम्यून सिस्टम या एंटी बॉडी है.
  • इस थेरेपी में कोरोना से रिकवर हुए मरीज की एंटीबॉडी का इस्तेमाल दूसरे कोरोना के गंभीर मरीज के लिए किया जाता है.
  • प्लाज्मा थेरेपी के बाद कई घंटों तक गंभीर बीमार मरीज की डॉक्टर्स द्वारा निगरानी की जाती है.
  • स्वस्थ हुए कोरोना संक्रमित के शरीर में 3 से 4 हफ्ते में एंटीबॉडी विकसित होती है.
  • इससे बीमार कोरोना संक्रमित के शरीर में 3-4 हफ्ते में एन्टीबॉडी बनने के बजाय जल्द एंटीबॉडी ट्रांसफर के जरिये शरीर बीमारी से लड़ने लगता है.
  • करीब एक व्यक्ति से 400 से 500 एमएल प्लाज्मा लिया जाता है. मरीज में एक बार में करीब 250 एमएल तक प्लाज्मा दिया जाता है.
  • प्लाज्मा थेरेपी के लिए स्वस्थ प्लाज्मा डोनर की जरूरत होती है.
  • प्लाज्मा लेने के लिए एक विशेष मशीन होती है, जो प्लाज्मा निकालकर बचे हुए ब्लड को वापस शरीर में भेज देती है.

पढ़ें- देहरादून: कैंट बोर्ड के अंतर्गत चलने वाले स्कूलों में तैनात 45 शिक्षकों की सेवाएं होगी समाप्त

कुल मिलाकर कोरोना से लड़कर स्वस्थ हुए लोग अब अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटते हुए दिखाई दे रहे हैं. दून मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक इंचार्ज बताती हैं कि लोग ब्लड डोनेट करने के लिए अस्पताल आने से बच रहे हैं. जबकि, अस्पताल की तरफ से पूरी एहतियात बरतते हुए प्लाज्मा डोनेट करने वाली जगहों को पूरी तरह से सुरक्षित किया गया है.

पढ़ें-देहरादून: राजधानी के 19 स्थानों पर बनेगा स्मार्ट वेंडिंग जोन, कार्य तेज

देहरादून में प्लाज्मा डोनेट कर स्वस्थ हुए मरीज कई लोगों की जिंदगियां बचा सकते हैं. फिलहाल स्वस्थ हुए मरीजों की तरफ से ऐसा कुछ देखने को मिल नहीं रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत स्वस्थ हो चुके मरीजों के साथ ही अन्य लोगों से भी अपील करता है कि वे समाज सेवा में आगे आकर प्लाज्मा डोनेट कर जिंदगियां बचाने में मदद करें.

Last Updated : Aug 30, 2020, 9:08 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.