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Water Problem in Mussoorie:मसूरी में गहराने लगा पेयजल संकट,आंदोलन की दी चेतावनी - मसूरी में पानी की समस्या

मसूरी में पानी की समस्या गहराने से लोगों को परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि समस्या के निराकरण के लिए विभाग को कदम उठाना चाहिए. जिससे लोगों को पर्याप्त पानी मिल सके. वहीं समस्या से निजात ना मिलने पर विभिन्न संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी है.

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Published : Feb 12, 2023, 1:06 PM IST

मसूरी: एनजीटी के निर्देशों के बाद मसूरी घोबीघाट झील से टैंकरों के माध्यम से पेयजल होटलों में सप्लाई करने पर रोक लगाये जाने के बाद पेयजल संकट गहराने लगा है. जिससे होटल संचालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. समस्या को लेकर मसूरी के विभिन्न संगठन मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के नेतृत्व में तीन दिवसीय चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की रणनीति बनाई गई है. 15 फरवरी को गांधी चौक पर मौन व्रत, 16 फरवरी को शहीद स्थल पर प्रदर्शन और 17 फरवरी को किंक्रेग, मसूरी पर चक्का जाम किया जायेगा.

मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने बताया कि मसूरी में 322 होटल, 245 पंजीकृत होम स्टे हैं और अनेक गेस्ट हाउस हैं. लगभग 5600 उत्तराखंड जल संस्थान के उपभोक्ता हैं. मसूरी में सारा व्यवसाय और रोजगार पर्यटन पर निर्धारित है. मसूरी में साल भर देश भर से सैलानी घूमने आते हैं और समस्त उत्तराखंड वासियों की अर्थव्यवस्था और रोजगार में सहयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि मसूरी में 14 एमएलडी पानी की आवश्यकता रहती है और उत्तराखंड जल संस्थान, मसूरी के पास सिर्फ 7 एमएलडी पानी की उपलब्धता है. बाकी 7 एमएलडी पानी की उपलब्धता मसूरी के आसपास के प्राकृतिक स्रोतों से निजी टैंकरों द्वारा होती आई है.
पढ़ें-रामनगर हॉस्पिटल में लगा अव्यवस्थाओं का अंबार, बाथरूम में नहीं पानी, भटकते मरीज

इस प्रकार से मसूरी में पूर्ण रूप से रिहायशी और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को पानी की पूर्ति होती हैं. उन्होंने बताया कि 12 जनवरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली, द्वारा निर्देश देते हुए मसूरी में झील से प्राकृतिक पानी के स्रोत से पानी लेने पर एकाएक रोक लगा दी गयी है. जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. मसूरी में पानी न मिलने से पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि 15 फरवरी से पहले अगर उत्तराखंड सरकार, देहरादून जिला प्रशासन और उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा पानी की आई कमी के लिये उचित कदम नहीं उठाए गए तो वो आंदोलन करने को बाध्य होंगे.

मसूरी: एनजीटी के निर्देशों के बाद मसूरी घोबीघाट झील से टैंकरों के माध्यम से पेयजल होटलों में सप्लाई करने पर रोक लगाये जाने के बाद पेयजल संकट गहराने लगा है. जिससे होटल संचालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. समस्या को लेकर मसूरी के विभिन्न संगठन मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के नेतृत्व में तीन दिवसीय चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की रणनीति बनाई गई है. 15 फरवरी को गांधी चौक पर मौन व्रत, 16 फरवरी को शहीद स्थल पर प्रदर्शन और 17 फरवरी को किंक्रेग, मसूरी पर चक्का जाम किया जायेगा.

मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने बताया कि मसूरी में 322 होटल, 245 पंजीकृत होम स्टे हैं और अनेक गेस्ट हाउस हैं. लगभग 5600 उत्तराखंड जल संस्थान के उपभोक्ता हैं. मसूरी में सारा व्यवसाय और रोजगार पर्यटन पर निर्धारित है. मसूरी में साल भर देश भर से सैलानी घूमने आते हैं और समस्त उत्तराखंड वासियों की अर्थव्यवस्था और रोजगार में सहयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि मसूरी में 14 एमएलडी पानी की आवश्यकता रहती है और उत्तराखंड जल संस्थान, मसूरी के पास सिर्फ 7 एमएलडी पानी की उपलब्धता है. बाकी 7 एमएलडी पानी की उपलब्धता मसूरी के आसपास के प्राकृतिक स्रोतों से निजी टैंकरों द्वारा होती आई है.
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इस प्रकार से मसूरी में पूर्ण रूप से रिहायशी और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को पानी की पूर्ति होती हैं. उन्होंने बताया कि 12 जनवरी को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली, द्वारा निर्देश देते हुए मसूरी में झील से प्राकृतिक पानी के स्रोत से पानी लेने पर एकाएक रोक लगा दी गयी है. जिससे लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. मसूरी में पानी न मिलने से पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि 15 फरवरी से पहले अगर उत्तराखंड सरकार, देहरादून जिला प्रशासन और उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा पानी की आई कमी के लिये उचित कदम नहीं उठाए गए तो वो आंदोलन करने को बाध्य होंगे.

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