देहरादून: केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को आज उनके जन्मदिन पर तमाम लोग शुभकामनाएं दे रहे हैं. राज्य में राजनीति की शुरुआत से लेकर केंद्र में मंत्री बनने तक का यह सफर डॉ निशंक का इतना आसान नहीं रहा. आएये जानते हैं डॉ. निशंक की इस यात्रा के बारे में जो उनके संघर्ष को बयां करती है.
डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का जन्म उत्तराखंड में पौड़ी जिले के छोटे से गांव पिनानी में हुआ. बता दें कि डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के पिता का नाम परमानंद पोखरियाल और माता विशंबरी देवी है. डॉ. निशंक बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के छात्र थे. उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर और फिर पीएचडी के साथ डिलीट की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद वे साहित्यिक कार्यों में जुड़ गए. डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक न केवल एक राजनीतिज्ञ हैं बल्कि साहित्यकार, लेखक और एक पत्रकार भी हैं.
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निशंक बचपन से ही कविताएं और कहानियां लिखने का बचपन से शौक था. डॉ. निशंक की अब तक 10 कविता संग्रह, 12 कहानियां, 10 उपन्यास और दो व्यक्तित्व विकास सहित 4 दर्जन से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी है. अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करते हुए उन्होंने 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश राज्य की कर्णप्रयाग निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी. इसके बाद 1993 और 1996 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा के लिए चुने गए. डॉ. निशंक उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में 1997 में उत्तरांचल विकास मंत्री बने. उसके बाद डॉ. निशंक का राजनीति में कद बढ़ता चला गया. वहीं, उत्तराखंड में साल 2009 से 2011 तक डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.
डॉ. निशंक के करीबी भाजपा नेता बताते हैं कि अपने जीवन में उन्होंने बेहद संघर्ष किया है. खास तौर पर अपने छात्र जीवन में वे आगे बढ़ने को लेकर बेहद संघर्षशील रहे. इसके बाद राजनीति में पैर जमाने के बाद एक बार फिर 2011 में मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उनके राजनीतिक जीवन को लेकर तमाम बातें कही गईं. कई आरोपों और विरोधियों के हमलावर रुख के बीच एक बार फिर डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनकर उभरे.
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे रहे निशंक...
डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से भी गिरे रहे. उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनने के बाद कई मामलों पर सीधे डॉ. निशंक पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे. इन आरोपों को लेकर हाईकोर्ट तक भी मामला पहुंचा. बता दें कि इसीलिए हाई कमान भाजपा ने उनसे मुख्यमंत्री की कुर्सी भी छीन ली. इन सब आरोपों को झेलने के बाद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के राजनीतिक जीवन पर एक प्रश्न चिह्न लग गया, लेकिन अपने संघर्षशील व्यवहार के कारण वे राजनीति में डटे रहे. इसी का नतीजा रहा कि वे एक के बाद एक लोकसभा चुनाव जीते. इसके बाद मोदी सरकार ने भी उनके इस संघर्ष को देखते हुए उन्हें केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री की अहम जिम्मेदारी सौंप दी.