ऋषिकेशः रायवाला में नेशनल हाईवे चौड़ीकरण के लिए बीते कई सालों पहले ध्वस्तीकरण किया गया था, लेकिन इस कार्रवाई के बाद कई लोगों ने राजमार्ग के किनारे पर फिर से अतिक्रमण किया और कब्जा जमाकर बैठ गए. लंबे अरसे बाद जब एनएचएआई को अतिक्रमण हटाने की याद आई तो सिर्फ चंद लोगों पर कार्रवाई कर विभागीय टीम चलती बनी. जबकि, कई अतिक्रमणकारियों को छोड़ दिया गया.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकारी गुरुवार को प्रशासन और पुलिस बल के साथ रायवाला बाजार में हाईवे के किनारे पर किए कब्जों को हटाने के लिए पहुंचे. इस दौरान जेसीबी की मदद से कई स्थायी और अस्थायी (टीनेशड आदि) अतिक्रमण को हटाया गया, लेकिन कुछ कब्जेदारों को प्राधिकरण की टीम ने एक इंच भी नहीं हटाया, जिसपर अधिकारियों को काफी खरी-खोटी भी सुननी पड़ी. अधूरी कार्रवाई कर अधिकारी चलते बने तो कार्यशैली पर भी लोगों ने जमकर सवाल उठाए.
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कार्रवाई का विरोध भी हुआ, मगर पुलिस फोर्स की मौजूदगी में किसी की एक नहीं चली. अतिक्रमण पर जेसीबी चलते वक्त बाजार में लोगों की काफी भीड़ भी नजर आई. इस बाबत प्राधिकरण के अधिकारियों से कई दफा संपर्क किया गया, लेकिन परियोजना निदेशक से लेकर कार्रवाई में शामिल अधिकारियों को फोन करने के बावजूद कॉल उठाने की जहमत नहीं कर पाए.
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...तो क्यों लगाए निशान
एनएचएआई के अधिकारियों ने रायवाला में पूर्व से ही चिह्नित अतिक्रमण पर हाल में एक बार फिर से मार्किंग की. बताया गया कि यह क्षेत्र नेशनल हाईवे का है, जिसपर कब्जा किया गया. चिह्निकरण के बाद से संबंधित लोगों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई थी. गुरुवार को कार्रवाई शुरू हुई तो लोगों को लगा कि प्राधिकरण बड़ी कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण को पूर्ण रूप से हटाएगा, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ. कुछ कब्जेदारों पर जेसीबी से कार्रवाई करने के बाद अधिकारी मौके से चले गए. सवाल पूछा गया कि जब प्राधिकरण को कार्रवाई करनी ही नहीं थी तो आखिर चिह्निकरण किया ही क्यों गया?
हमारा काम लॉ एंड ऑर्डर
रायवाला में हुई कार्रवाई पर तहसीलदार अमृता शर्मा का कहना है कि प्रशासन की मौजूदगी सिर्फ लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन रखने के लिए थी. लिहाजा, कार्रवाई के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो इसके लिए वो मौके पर पहुंची थी. कार्रवाई आखिर कितनी हुई और उसमें क्या कमी रही? इस बाबत एनएचएआई के अधिकारी ही ज्यादा जानकारी उपलब्ध करा पाएंगे.