मसूरी: शिफन कोर्ट लाइब्रेरी से प्रशासन द्वारा नगरपालिका की भूमि पर अनाधिकृत रूप से रह रहे 80 परिवारों को 31 दिसंबर के बाद हटाए जाने का निर्देश दिया हैं. जिसके विरोध में शिफन कोर्ट में सभी 80 परिवारों साथ राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के सदस्य द्वारा प्रशासन के खिलाफ धरना दिया. साथ ही सरकार पर गरीब लोगों के उत्पीड़न का आरोप लगाया. वहीं, गुरुवार को लोगों ने धरना प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
वहीं, परिवार के सदस्यों ने कहा कि किसी भी हाल में बिना विस्थापन अपने घर को खाली नहीं करेंगे. और 25 से 30 दिसंबर तक मसूरी में आयोजित होने वाले मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल का विरोध किया जाएगा.
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कांग्रेसी नेता उपेंद्र थापली ने कहा कि अगर सरकार द्वारा शिफन कोर्ट में रह रहे परिवारों को विस्थापित नहीं किया जाता तो वह पुरुकुल में अपनी जमीन पर पुरुकुल रोप-वे के पिलरो नही लगने देंगे. पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने कहा कि परिवारों को हटाने से पहले विस्थापित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार 2022 तक देश के सभी गरीबों को छत देने की बात कर रही है. परंतु मसूरी में गरीब लोगों की छत को छीनने का काम किया जा रहा है. ऐसे में भाजपा की कथनी और करनी में बहुत अंतर है, जो प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला रहा है.
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नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष ओपी उनियाल ने कहा कि मजदूरों की बिल्डिंग को तोड़कर नई बिल्डिंग बनाने का प्रस्ताव था. पालिका द्वारा ₹70 लाख रुपये भी स्वीकृत कर दिए गए थे. परंतु किसी कारणवश बिल्डिंग का निर्माण नहीं हो पाया. पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने कहा कि शिफन कोर्ट की जमीन से नगरपालिका का कोई लेना-देना नहीं है. वह शिफन कोर्ट में रह रहे लोगों के साथ है. वहीं, मजदूर नेता देवी गोदियाल और केदार सिंह चौहान ने कहा कि सरकार मजदूरों और गरीबों का उत्पीड़न कर रही है.