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मेडिकल स्टोरों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग कर रहे मरीज, सरकारी दावे साबित हो रहे हवाई

उत्तराखंड में रेमडेसिविर इंजेक्शन की सरकारी अस्पतालों में उपलब्धता को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. मेडिकल स्टोर पर भी ये इंजेक्शन नहीं मिल रहा है.

remdesivir injection
रेमडेसिविर इंजेक्शन
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Published : Apr 21, 2021, 10:58 AM IST

देहरादूनः कोरोना संक्रमण में कारगर मानी जा रही रेमडेसिविर इंजेक्शन की सरकारी अस्पतालों में उपलब्धता को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. जहां एक ओर दावा किया जा रहा है कि सरकारी अस्पतालों में जरूरत के मुताबिक संक्रमित लोगों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन दूसरी ओर कोरोना मरीज के परिजन बाजारों के मेडिकल स्टोरों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर भटक रहे हैं. जबकि, दवा विक्रेताओं का कहना है कि बाजार में इस इंजेक्शन की सप्लाई उपलब्ध ही नहीं है. सिर्फ सरकारी अस्पतालों में इसकी सप्लाई की जा रही है.

रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग.

दरअसल, देहरादून जिला प्रशासन का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन मरीज इस इंजेक्शन के लिए बाजारों का रुख कर रहे हैं. जहां उन्हें इंजेक्शन मिल ही नहीं रहा है. जिस पर मेडिकल स्टोर व्यापारियों का कहना है कि अगर सरकारी अस्पतालों में इस इंजेक्शन की उपलब्धता को बताया जा रहा है तो फिर कोरोना संक्रमित के परिजन इस इंजेक्शन की खरीदारी के लिए दर-बदर क्यों भटक रहे हैं? जबकि बाजार में इस इंजेक्शन की सप्लाई उपलब्ध नहीं है. सिर्फ सरकारी अस्पतालों में इसकी सप्लाई होने की जानकारी है. ऐसे में इंजेक्शन की कालाबाजारी कहां से होगी, जब सप्लाई ही नहीं हो रही है.

ये भी पढ़ेंः कोरोना संकटः गणेश जोशी बोले- केवल अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों को हो ऑक्सीजन सप्लाई

रेमडेसिविर इंजेक्शन की औसतन कीमत बाजार में 4500 से 5000 प्रति इंजेक्शन बताई जा रही है. हालांकि, सरकारी अस्पतालों में इसकी कीमत काफी कम बताई जा रही है. जबकि, बाजार में इसकी सप्लाई आसानी से न होने के चलते इसकी ब्लैक मार्केटिंग 20 से 25 हजार रुपये तक बताई जा रही है. हालांकि, मेडिकल स्टोर विक्रेताओं की मानें तो बाजार में यह इंजेक्शन बीते 15 दिनों से सप्लाई में नहीं दिख रहा है.

सामान्य हो रही है रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता: DM आशीष श्रीवास्तव

कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए जीवन रक्षक बताई जाने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर जिला अधिकारी आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि कुछ दिन पहले तक इस इंजेक्शन की कमी जरूर सामने आ रही थी, लेकिन पिछले एक-दो दिन से दून मेडिकल कॉलेज में इसकी सप्लाई संबंधित दवा कंपनी की ओर से शुरू कर दी गई है. धीरे-धीरे इस इंजेक्शन का स्टॉक बढ़ता जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः कोरोना: परिस्थितियों से मुंह मोड़ रहे अधिकारी, रेमडेसिविर इंजेक्शन की हो रही कमी

उन्होंने कहा कि शासन के आदेश मुताबिक, संबंधित जिलों के सीएमओ के देखरेख में जिन अस्पतालों में इस इंजेक्शन की आवश्यकता हो रही है, वहां सीएमओ की निगरानी में इस इंजेक्शन को उपलब्ध कराया जा रहा है. डीएम श्रीवास्तव के मुताबिक आने वाले दिनों में सप्लाई कंपनी की ओर से रेमडेसिविर इंजेक्शन सुचारू रूप से सप्लाई शुरू कर दी जाएगी. जिसके चलते इसकी उपलब्धता सामान्य हो जाएंगी. ऐसा ड्रग कंट्रोलर अधिकारी की ओर से रिपोर्ट प्रशासन को दिया गया है.

सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन उपलब्ध है तो मेडिकल स्टोर में क्यों भटक रहे हैं लोग: दवा विक्रेता

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर व्यापारियों की मानें तो रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड लगातार तेजी से बढ़ रही है, लेकिन बाजार में इसकी सप्लाई न होने से मेडिकल स्टोर में यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है. जबकि, इस इंजेक्शन को खरीदने के लिए दूर-दराज हिस्सों से लोग दिनभर देहरादून के मेडिकल स्टोर में भटक रहे हैं.

दवा विक्रेता के सुनील नौटियाल की मानें तो अगर प्रशासन सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्धता होने की दावा कर रहा है तो दिनभर कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजन इस इंजेक्शन को खरीदने के लिए बाहर बाजार में मेडिकल स्टोर्स का क्यों चक्कर काट रहे हैं. जबकि, बाजार में तो इसकी सप्लाई नहीं आ रही हैं. सरकार को इस इंजेक्शन को नियंत्रण में रखकर ब्लैक मार्केटिंग से बचाना होगा. क्योंकि, काफी दवा व्यापारी दिल्ली तक इसकी बड़ी कीमत देकर बाजार में उपलब्धता के प्रयास में जुटे हैं.

ये भी पढ़ेंः राष्ट्रीय औसत से ऊपर पहुंचा उत्तराखंड में कोविड डेथ रेट, देहरादून में सबसे ज्यादा हुई मौत

कई विषाणु को खत्म करने में कारगर रेमडेसिविर इंजेक्शन

रेमडेसिविर एक ऐसा इंजेक्शन है. जिसमें कई विषाणु के खिलाफ लड़ने की क्षमता बताई जाती है यानी यह ऐसी दवा है, जो एक साथ कई संक्रामक विषाणु को खत्म करने का काम कर सकती है. बताया जाता है कि यह दवा शिराओं में इंजेक्शन के जरिए पहुंचाई जाती है. जिसके बाद कई तरह के विषाणु को खत्म किया जा सकता है.

ऐसे में इस इंजेक्शन की मांग पूरे देशभर में लगातार तेजी से बढ़ती जा रही है. जहां औसतन इसकी बाजार में कीमत 4500 से 5000 बताई जा रही है. जबकि, इसकी ब्लैक मार्केटिंग 25000 तक भी सामने आ रही है. वहीं, सरकारी अस्पतालों में इसकी कीमत काफी कम बताई जा रही है.

देहरादूनः कोरोना संक्रमण में कारगर मानी जा रही रेमडेसिविर इंजेक्शन की सरकारी अस्पतालों में उपलब्धता को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. जहां एक ओर दावा किया जा रहा है कि सरकारी अस्पतालों में जरूरत के मुताबिक संक्रमित लोगों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन दूसरी ओर कोरोना मरीज के परिजन बाजारों के मेडिकल स्टोरों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर भटक रहे हैं. जबकि, दवा विक्रेताओं का कहना है कि बाजार में इस इंजेक्शन की सप्लाई उपलब्ध ही नहीं है. सिर्फ सरकारी अस्पतालों में इसकी सप्लाई की जा रही है.

रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग.

दरअसल, देहरादून जिला प्रशासन का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन मरीज इस इंजेक्शन के लिए बाजारों का रुख कर रहे हैं. जहां उन्हें इंजेक्शन मिल ही नहीं रहा है. जिस पर मेडिकल स्टोर व्यापारियों का कहना है कि अगर सरकारी अस्पतालों में इस इंजेक्शन की उपलब्धता को बताया जा रहा है तो फिर कोरोना संक्रमित के परिजन इस इंजेक्शन की खरीदारी के लिए दर-बदर क्यों भटक रहे हैं? जबकि बाजार में इस इंजेक्शन की सप्लाई उपलब्ध नहीं है. सिर्फ सरकारी अस्पतालों में इसकी सप्लाई होने की जानकारी है. ऐसे में इंजेक्शन की कालाबाजारी कहां से होगी, जब सप्लाई ही नहीं हो रही है.

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रेमडेसिविर इंजेक्शन की औसतन कीमत बाजार में 4500 से 5000 प्रति इंजेक्शन बताई जा रही है. हालांकि, सरकारी अस्पतालों में इसकी कीमत काफी कम बताई जा रही है. जबकि, बाजार में इसकी सप्लाई आसानी से न होने के चलते इसकी ब्लैक मार्केटिंग 20 से 25 हजार रुपये तक बताई जा रही है. हालांकि, मेडिकल स्टोर विक्रेताओं की मानें तो बाजार में यह इंजेक्शन बीते 15 दिनों से सप्लाई में नहीं दिख रहा है.

सामान्य हो रही है रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता: DM आशीष श्रीवास्तव

कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए जीवन रक्षक बताई जाने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर जिला अधिकारी आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि कुछ दिन पहले तक इस इंजेक्शन की कमी जरूर सामने आ रही थी, लेकिन पिछले एक-दो दिन से दून मेडिकल कॉलेज में इसकी सप्लाई संबंधित दवा कंपनी की ओर से शुरू कर दी गई है. धीरे-धीरे इस इंजेक्शन का स्टॉक बढ़ता जा रहा है.

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उन्होंने कहा कि शासन के आदेश मुताबिक, संबंधित जिलों के सीएमओ के देखरेख में जिन अस्पतालों में इस इंजेक्शन की आवश्यकता हो रही है, वहां सीएमओ की निगरानी में इस इंजेक्शन को उपलब्ध कराया जा रहा है. डीएम श्रीवास्तव के मुताबिक आने वाले दिनों में सप्लाई कंपनी की ओर से रेमडेसिविर इंजेक्शन सुचारू रूप से सप्लाई शुरू कर दी जाएगी. जिसके चलते इसकी उपलब्धता सामान्य हो जाएंगी. ऐसा ड्रग कंट्रोलर अधिकारी की ओर से रिपोर्ट प्रशासन को दिया गया है.

सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन उपलब्ध है तो मेडिकल स्टोर में क्यों भटक रहे हैं लोग: दवा विक्रेता

दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर व्यापारियों की मानें तो रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड लगातार तेजी से बढ़ रही है, लेकिन बाजार में इसकी सप्लाई न होने से मेडिकल स्टोर में यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है. जबकि, इस इंजेक्शन को खरीदने के लिए दूर-दराज हिस्सों से लोग दिनभर देहरादून के मेडिकल स्टोर में भटक रहे हैं.

दवा विक्रेता के सुनील नौटियाल की मानें तो अगर प्रशासन सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्धता होने की दावा कर रहा है तो दिनभर कोरोना संक्रमित मरीजों के परिजन इस इंजेक्शन को खरीदने के लिए बाहर बाजार में मेडिकल स्टोर्स का क्यों चक्कर काट रहे हैं. जबकि, बाजार में तो इसकी सप्लाई नहीं आ रही हैं. सरकार को इस इंजेक्शन को नियंत्रण में रखकर ब्लैक मार्केटिंग से बचाना होगा. क्योंकि, काफी दवा व्यापारी दिल्ली तक इसकी बड़ी कीमत देकर बाजार में उपलब्धता के प्रयास में जुटे हैं.

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कई विषाणु को खत्म करने में कारगर रेमडेसिविर इंजेक्शन

रेमडेसिविर एक ऐसा इंजेक्शन है. जिसमें कई विषाणु के खिलाफ लड़ने की क्षमता बताई जाती है यानी यह ऐसी दवा है, जो एक साथ कई संक्रामक विषाणु को खत्म करने का काम कर सकती है. बताया जाता है कि यह दवा शिराओं में इंजेक्शन के जरिए पहुंचाई जाती है. जिसके बाद कई तरह के विषाणु को खत्म किया जा सकता है.

ऐसे में इस इंजेक्शन की मांग पूरे देशभर में लगातार तेजी से बढ़ती जा रही है. जहां औसतन इसकी बाजार में कीमत 4500 से 5000 बताई जा रही है. जबकि, इसकी ब्लैक मार्केटिंग 25000 तक भी सामने आ रही है. वहीं, सरकारी अस्पतालों में इसकी कीमत काफी कम बताई जा रही है.

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