देहरादूनः दून मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की बेरुखी औषधि केंद्र पर भारी पड़ती नजर आ रही है. अस्पताल के अधिकांश चिकित्सक बाहर से दवाइयां लिख रहे हैं. जिससे मरीजों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. साथ ही परिसर में स्थित जन औषधि केंद्र की दवाइयां मरीजों को लिखने से परहेज कर रहे हैं. डॉक्टरों के अपने निजी फायदे को देखते हुए अब अस्पताल प्रबंधन ने भारत सरकार की अमृत फार्मेसी योजना लाने की दिशा में पहल आरंभ कर दी है.
दरअसल, दून मेडिकल कॉलेज की अधिकांश चिकित्सक राज्य और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत आने वाली दवाइयां लिखने की बजाए अपने निजी फायदे के लिए बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं. इससे अस्पताल में आने वाले गरीब मरीजों के रुपए बाहर की दवाइयां खरीदने में खर्च हो रहे हैं. इसके फलस्वरूप मरीजों को सस्ते दाम पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए खोले गए जन औषधि केंद्र पर मरीजों की भीड़ कम होती जा रही है.
दून अस्पताल परिसर में स्थित रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा संचालित जन औषधि केंद्र में जहां पहले प्रतिदिन की सेल 20 हजार रुपये हुआ करती थी. अब यह सेल घटकर 6 से 7 हजार रुपये तक रह गई है. बताया जा रहा है कि यदि जन औषधि केंद्र के फार्मासिस्ट की तरफ से ब्रांडेड दवाई का सब्स्टीटयूट दिया जाता है तो डॉक्टर उन दवाइयों को वापस करा रहे हैं. दून अस्पताल के अधिकांश चिकित्सक औषधि केंद्र की दवाइयों को प्राथमिकता देने की बजाय मरीजों को बाहर से दवा लिख रहे हैं.
वहीं इस संबंध में दून मेडिकल कॉलेज के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. एन एस खत्री के मुताबिक अस्पताल में प्रचुर मात्रा में दवाइयां उपलब्ध हैं. करीब 90 प्रतिशत दवाइयां अस्पताल के पास मौजूद हैं. इसके साथ ही अस्पताल परिसर में रेडक्रॉस द्वारा संचालित जन औषधि केंद्र है. हालांकि उन्होंने माना कि अधिकांश चिकित्सक बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं, जिसका एक कारण यह भी है कि जन औषधि केंद्र में सभी प्रकार की दवाइयां उपलब्ध नहीं रहती है.
सभी डॉक्टरों से कहा गया है कि मरीजों को बाहर की दवाइयां न लिखी जाएं. वर्तमान स्थिति को देखते हुए दून मेडिकल प्रबंधन की शासन-प्रशासन में वार्ता चल रही है कि भारत सरकार की अमृत फार्मेसी योजना को यहां रिवाइव किया जाए.
यदि अमृत फार्मेसी दून मेडिकल कॉलेज में आती है तो चिकित्सकों के बाहर की दवाइयां लिखने का 99.9 प्रतिशत समाधान हो जाएगा. क्योंकि अमृत फार्मेसी में प्रचुर मात्रा में मेडिसीन उपलब्ध रहती हैं. उन्होंने कहा कि दवाइयां उपलब्ध होने के बावजूद बाजार की दवाइयां लिखी जाती हैं तो उन से स्पष्टीकरण नहीं मांगा जाएगा, बल्कि सीधी कार्रवाई की जाएगी .
दून अस्पताल परिसर के भीतर स्थित रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा संचालित जन औषधि केंद्र के डॉ. एमएस अंसारी इस बात को सिरे से नकारते हुए कहा कि जन औषधि केंद्र में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां उपलब्ध नहीं है. उन्होंने बताया कि केंद्र का प्रयास होता है कि डॉक्टरों द्वारा लिखी जा रही दवाइयों की डिमांट को पूरा किया जाए. मगर अधिकांश चिकित्सक केंद्र की दवाइयां नहीं लिख रहे हैं. यदि चिकित्सक जन औषधि केंद्र की दवाइयों को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं तो उसके फल स्वरुप केंद्र की दवाइयां एक्सपायर हो जाती हैं जिससे बड़ी दिक्कतें आती हैं. पूरा प्रयास यह किया जाता है कि मरीजों को सस्ती मेडिसिन औषधि केंद्र से प्राप्त हो.
हालांकि कुछ दिनों पूर्व देहरादून के जिलाधिकारी सी रविशंकर ने भी सभी चिकित्सकों से जन औषधि केंद्रों की जेनरिक दवाइयों को प्राथमिकता देने को कहा था. उसके बावजूद दून मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक जन औषधि केंद्र की जेनेरिक दवाइयों को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं.
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डॉक्टरों द्वारा ब्रांडेड दवाओं के बढ़ते रुझान को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन अब भारत सरकार की अमृत फार्मेसी योजना को यहां धरातल पर उतारने की तैयारी कर रहा है. एम्स ऋषिकेश में संचालित हो रहे अमृत फार्मेसी के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए कॉलेज प्रबंधन शासन प्रशासन से इस दिशा में वार्ता कर रहा है.
प्रबंधन का मानना है कि जन औषधि केंद्र में समुचित दवाइयां उपलब्ध नहीं रहती हैं. जिस कारण अधिकांश चिकित्सकों को बाहर की दवाइयां लिखनी पड़ती हैं. यदि अमृत फार्मेसी योजना दून अस्पताल में आती है तो चिकित्सक बाहर की दवाइयां लिखने से परहेज तो करेंगे ही साथ ही मरीजों को विभिन्न प्रकार की सस्ती दवाइयां कम कीमत पर उपलब्ध होंगी.