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पहाड़ी क्षेत्र और मसूरी जाने वाले यात्रियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, जानिए क्यों

मसूरी और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में जाने वाले यात्रियों की परेशानी बढ़ने जा रही हैं. साल 1956 से संचालित हो रही मसूरी रोडवेज बस स्टैंड बंद होने की कगार पर है. मामले पर मुख्यमंत्री और परिवहन निगम ने हाथ खड़े कर लिए हैं. जबकि, रेलवे विभाग 31 जुलाई तक बस स्टैंड को हटाने के लिए कड़े कदम उठा सकता हैं.

mussoorie bus stand
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Published : Jul 29, 2019, 8:39 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड परिवहन निगम की लापरवाही का खामियाजा पहाड़ी क्षेत्रों और मसूरी जाने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ सकता है. रेलवे विभाग भूमि का किराया भुगतान ना होने को लेकर जल्द कार्रवाई कर सकता है. उधर, पर्वतीय बस डिपो के आईएसबीटी शिफ्ट होने पर यात्रियों की परेशानी बढ़ सकती है. रोडवेज कर्मचारियों की मानें तो इससे यात्रियों पर किराये का बोझ बढ़ेगा. साथ ही ज्यादा समय भी लगेगा.

पर्वतीय बस डिपो के आईएसबीटी शिफ्ट होने पर यात्रियों की बढ़ सकती हैं परेशानियां.

बता दें कि साल 1956 से मसूरी रोडवेज बस स्टैंड संचालित हो रही है. जिसका अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है. दरअसल, पर्वतीय डिपो और मसूरी बस स्टैंड रेलवे विभाग की भूमि पर है. जिसका परिवहन निगम ने किराया का भुगतान नहीं किया है. इसी कड़ी में बीते 15 दिन पहले रेलवे विभाग ने एक पत्र जारी किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि 31 जुलाई तक रेलवे की भूमि का किराया भुगतान नहीं किया जाता है तो वो बस स्टैंड को हटाने के लिए कड़े कदम उठा सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः विश्व बाघ दिवसः उत्तराखंड में बढ़े 102 बाघ, पीएम मोदी ने बताई ये बात

रोडवेज कर्मचारियों के मुताबिक रेलवे का 53 लाख 36 हजार 688 रुपये भुगतान बाकी है. ऐसे में मामले को लेकर पर्वतीय रोडवेज के कर्मचारी, परिवहन निगम के आला अधिकारियों और मुख्यमंत्री से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन मामले पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

वर्तमान में रेलवे स्टेशन से मसूरी जाने के लिए रोडवेज बस का किराया करीब 60 रुपये प्रति यात्री है. जबकि, टैक्सी का किराया प्रति सीट 350 रुपये है. ऐसे में मसूरी की बसों का संचालन शहर से बाहर आईएसबीटी से होने की स्थिति में किराये में बढ़ोत्तरी हो सकती है. रोडवेज कर्मचारियों की मानें तो टैक्सी वाले मनमाना किराया भी वसूल सकते हैं.

देहरादूनः उत्तराखंड परिवहन निगम की लापरवाही का खामियाजा पहाड़ी क्षेत्रों और मसूरी जाने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ सकता है. रेलवे विभाग भूमि का किराया भुगतान ना होने को लेकर जल्द कार्रवाई कर सकता है. उधर, पर्वतीय बस डिपो के आईएसबीटी शिफ्ट होने पर यात्रियों की परेशानी बढ़ सकती है. रोडवेज कर्मचारियों की मानें तो इससे यात्रियों पर किराये का बोझ बढ़ेगा. साथ ही ज्यादा समय भी लगेगा.

पर्वतीय बस डिपो के आईएसबीटी शिफ्ट होने पर यात्रियों की बढ़ सकती हैं परेशानियां.

बता दें कि साल 1956 से मसूरी रोडवेज बस स्टैंड संचालित हो रही है. जिसका अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है. दरअसल, पर्वतीय डिपो और मसूरी बस स्टैंड रेलवे विभाग की भूमि पर है. जिसका परिवहन निगम ने किराया का भुगतान नहीं किया है. इसी कड़ी में बीते 15 दिन पहले रेलवे विभाग ने एक पत्र जारी किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि 31 जुलाई तक रेलवे की भूमि का किराया भुगतान नहीं किया जाता है तो वो बस स्टैंड को हटाने के लिए कड़े कदम उठा सकते हैं.

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रोडवेज कर्मचारियों के मुताबिक रेलवे का 53 लाख 36 हजार 688 रुपये भुगतान बाकी है. ऐसे में मामले को लेकर पर्वतीय रोडवेज के कर्मचारी, परिवहन निगम के आला अधिकारियों और मुख्यमंत्री से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन मामले पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

वर्तमान में रेलवे स्टेशन से मसूरी जाने के लिए रोडवेज बस का किराया करीब 60 रुपये प्रति यात्री है. जबकि, टैक्सी का किराया प्रति सीट 350 रुपये है. ऐसे में मसूरी की बसों का संचालन शहर से बाहर आईएसबीटी से होने की स्थिति में किराये में बढ़ोत्तरी हो सकती है. रोडवेज कर्मचारियों की मानें तो टैक्सी वाले मनमाना किराया भी वसूल सकते हैं.

Intro:summary_मसूरी जाने वाले यात्रियों की बढ़ने जा रही हैं परेशानी,देश आज़ादी के 9 साल बाद 1956 से संचालित होने वाला मसूरी रोडवेज़ बस स्टैंड का अस्त्तिव ख़त्म होने की कगार पर,मुख्यमंत्री व परिवहन विभाग ने मामलें को लेकर हाथ किये खड़े. रेलवे की भूमि का किराया दशकों से भुगतान ना होने ले चलते 31जुलाई को रेलवे कर सकता हैं बड़ी कार्रवाई!!

देहरादून- उत्तराखंड परिवहन निगम विभाग की घोर लापरवाही का खामियाजा मसूरी जाने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ सकता है। जिहां देश आजादी के 9 साल बाद वर्ष 1956 से देहरादून रेलवे स्टेशन की भूमि पर संचालित होने वाले मसूरी बस स्टैंड का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है परिवहन विभाग द्वारा दशकों से रेलवे की भूमि का किराया भुगतान न होने के चलते 31 जुलाई को रेलवे मसूरी बस स्टैंड को खाली करवाने की कार्रवाई कर सकता है। उधर ऐसे में मसूरी बस स्टैंड बंद होकर अगर आईएसबीटी में शिफ्ट हो जाता है तो मसूरी जाने वालों पर ना सिर्फ अतिरिक्त किराया का बोझ बढ़ जाएगा बल्कि मसूरी का सफर भी देहरादून से एक घँटे की जगह तीन घन्टे तक लंबा हो सकता है।




Body:सरकार की पहल से बचाया जा सकता है मसूरी बस स्टेशन: रोडवेज कर्मचारी

मसूरी बस स्टैंड पर्वतीय डिपो रोडवेज कर्मचारियों के मुताबिक इस मामले में 15 दिन पहले रेलवे विभाग द्वारा सख्त लफ्ज़ों में जारी किए गए पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि अगर 31 जुलाई तक रेलवे की भूमि का दशकों पुराना किराया जो 53 लाख 36 हजार 688 रुपये भुगतान न किया गया तो वह बस स्टैंड को हटाने के लिए सख्त कदम उठा सकते हैं। ऐसे में इस मामले को लेकर पर्वतीय रोडवेज कर्मचारी परिवहन निगम आला अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन इस मामले अभी तक कोई आश्वासन या कार्रवाई ना होने के चलते मसूरी बस स्टैंड बंद होने की कगार पर है।

बाईट- दिनेश पंत,प्रदेश महामंत्री,रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद

मसूरी बस स्टैंड बन्द हो जाने से निजी वाहनों की होगी मनमानी: रोडवेज कर्मचारी

पर्वतीय रोडवेज कर्मचारियों की माने तो रेलवे स्टेशन से संचालित होने वाले मसूरी रोडवेज़ बस स्टैंड के बंद होने से जहाँ एक तरफ पहले से घाटे में चलने वाले परिवहन विभाग को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ेगा वही दूसरी तरफ ऐसी स्थिति में रेलवे स्टेशन से सीधे मसूरी जाने वाले यात्रियों से निजी टैक्सी वाहन पहले से कही अधिक किराया वसूल कर मनमानी से अपनी दुकान चलाएंगे.
वर्तमान में जहां रेलवे स्टेशन से मसूरी जाने का रोडवेज बस का किराया मात्र 60 प्रति यात्री रुपये है, तो वहीं दूसरी तरफ टैक्सी का किराया प्रति सीट 350 रुपये हैं। ऐसे अगर मसूरी की बसों का संचालन शहर से बाहर आईएसबीटी स्टेशन से होने की स्थिति में शहर से मसूरी तक टैक्सी 500 रुपये से अधिक प्रति व्यक्ति किराया मनमाने तरीके से वसूल कर सकती।

बाईट- दिनेश पंत,प्रदेश महामंत्री,रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद



Conclusion:मसूरी जैसी बस स्टेशन को बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण: रोडवेज कर्मचारी

63 वर्षों से मसूरी जाने के लिए देहरादून रेलवे स्टेशन से देश विदेश के यात्रियों को रोडवेज बसों द्वारा साधारण किराया लेने के साथ ही लगभग एक घंटे में मसूरी पहुंचाने की सुविधा अब दूर की बात होने जा रही हैं। पर्वतीय रोडवेज कर्मचारियों के मुताबिक जहां एक तरफ सरकार राज्य में पर्यटक की संभावनाओं को बढ़ाने का प्रयास करने का दावा करती है वहीं दूसरी तरफ मसूरी जैसे महत्वपूर्ण बस स्टेशन को बचाने के लिए सरकार और परिवहन निगम द्वारा कोई ठोस पहल ना होना दुर्भाग्यपूर्ण है।

बाईट- दिनेश पंत,प्रदेश महामंत्री,रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद
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