देहरादूनः उत्तराखंड परिवहन निगम की लापरवाही का खामियाजा पहाड़ी क्षेत्रों और मसूरी जाने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ सकता है. रेलवे विभाग भूमि का किराया भुगतान ना होने को लेकर जल्द कार्रवाई कर सकता है. उधर, पर्वतीय बस डिपो के आईएसबीटी शिफ्ट होने पर यात्रियों की परेशानी बढ़ सकती है. रोडवेज कर्मचारियों की मानें तो इससे यात्रियों पर किराये का बोझ बढ़ेगा. साथ ही ज्यादा समय भी लगेगा.
बता दें कि साल 1956 से मसूरी रोडवेज बस स्टैंड संचालित हो रही है. जिसका अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है. दरअसल, पर्वतीय डिपो और मसूरी बस स्टैंड रेलवे विभाग की भूमि पर है. जिसका परिवहन निगम ने किराया का भुगतान नहीं किया है. इसी कड़ी में बीते 15 दिन पहले रेलवे विभाग ने एक पत्र जारी किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि 31 जुलाई तक रेलवे की भूमि का किराया भुगतान नहीं किया जाता है तो वो बस स्टैंड को हटाने के लिए कड़े कदम उठा सकते हैं.
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रोडवेज कर्मचारियों के मुताबिक रेलवे का 53 लाख 36 हजार 688 रुपये भुगतान बाकी है. ऐसे में मामले को लेकर पर्वतीय रोडवेज के कर्मचारी, परिवहन निगम के आला अधिकारियों और मुख्यमंत्री से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन मामले पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
वर्तमान में रेलवे स्टेशन से मसूरी जाने के लिए रोडवेज बस का किराया करीब 60 रुपये प्रति यात्री है. जबकि, टैक्सी का किराया प्रति सीट 350 रुपये है. ऐसे में मसूरी की बसों का संचालन शहर से बाहर आईएसबीटी से होने की स्थिति में किराये में बढ़ोत्तरी हो सकती है. रोडवेज कर्मचारियों की मानें तो टैक्सी वाले मनमाना किराया भी वसूल सकते हैं.