देहरादून: देशभर में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा आगे बढ़ा रही है. वहीं, दूसरी तरफ उत्तराखंड में कांग्रेस नेताओं के बीच घमासान भी तेज हो गया है. खास बात यह है कि इस बार न केवल हरीश रावत की नाराजगी की चर्चाएं हैं. बल्कि प्रीतम सिंह समेत पार्टी के कई नेताओ का निशाना कांग्रेस संगठन पर होने की खबरें हैं.
उत्तराखंड कांग्रेस में संगठन (Uttarakhand Congress Organization) की कमान संभाल रहे करण माहरा अकेले दिखाई दे रहे हैं. यूं तो राज्य में हरीश रावत और प्रीतम सिंह खेमे के बीच तनातनी हमेशा रही है. लेकिन इस बार निशाना करण माहरा हैं. कांग्रेस अध्यक्ष होने के चलते पार्टी के भीतर करण तीसरे खेमे के रूप में दिखाई दे रहे हैं.
संगठन के लिए परेशानी की बात ये है कि इस बार न केवल हरीश रावत बल्कि प्रीतम सिंह की भी नाराजगी की चर्चाएं हैं. कहा जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों के निर्वाचन को लेकर प्रदेश भर में कई नेताओं की नाराजगी संगठन से है. हालांकि कांग्रेस के नेता इस बात का खंडन करते हुए पार्टी के भीतर किसी भी तरह की कोई खेमेबाजी नहीं होने की बात दोहरा रहे हैं.
पढे़ं-हिमाचल चुनाव में प्रचार करेंगे उत्तराखंड के दिग्गज, 49 नेता 19 जिलों में संभालेंगे कमान
पीसीसी के नए सदस्यों पर क्या है विवाद: प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विधानसभा स्तर पर सदस्यों को निर्वाचित किया गया है. राज्य के अधिकतर बूथ से सदस्य निर्वाचित हुए हैं. इन सदस्यों का निर्वाचन कांग्रेस के प्रदेश संगठन से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले चुनाव की प्रक्रिया के रूप में किया गया है. कांग्रेस की चुनाव प्रक्रिया के तहत विधानसभा स्तर पर बूथ से सदस्यों का निर्वाचन किया जाता है. जिनमें से एक सदस्य को जिला स्तर की कमेटी और एक को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया जाता है.
यानी जिन सदस्यों को निर्वाचित किया गया है, वही सदस्य जिला प्रदेश और एआईसीसी तक निर्वाचित होकर पहुंचते हैं. प्रत्येक बड़े नेता की कोशिश होती है कि उनके करीबी इसमें निर्वाचित हों. बताया जा रहा है कि हरीश रावत के करीबियों को इस सूची में काफी कम शामिल किया गया है. यही स्थिति प्रीतम सिंह, गणेश गोदियाल और प्रदेश के कई विधायकों के साथ भी रही है. जिसके कारण इन नेताओं के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा से नाराज होने की चर्चाएं हैं.
पढे़ं- PM Birthday: पंतनगर में पुष्कर सिंह धामी ने चलाया स्वच्छता अभियान, रखा ये लक्ष्य
हरीश रावत पहले भी संगठन पर कर चुके हैं प्रहार: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हरिद्वार की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों के चयन को लेकर पहले भी संगठन पर सीधा वार कर चुके हैं. हरीश रावत ने सार्वजनिक रूप से चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन करने में संगठन द्वारा उन्हें बिना पूछे जाने की बात कही है. जाहिर है कि इससे पार्टी के भीतर लड़ाई काफी तेज हो गई है.
पढे़ं- समृद्ध संस्कृति की पहचान है सेलकु, मायके आई ध्याणियों के खास होता है यह मेला
उधर भाजपा, कांग्रेस के भीतर इन हालातों को बारीकी से देख रही है. बड़ी बात यह है कि कांग्रेस के बीच इस लड़ाई से भाजपा सरकार को वॉकओवर मिल रहा है. इन नेताओं के एकजुट ना होने से धामी सरकार आसानी से बिना बड़े विरोध के सरकार चला पा रही है.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता की मानें तो हरीश रावत हमेशा से ही अपने नेताओं के खिलाफ रहे हैं. पार्टी के भीतर लड़ाई हमेशा रही है. भारत जोड़ो अभियान चलाकर कांग्रेस छोड़ो अभियान भी शुरू हो चुका है. देश भर की तरह उत्तराखंड में भी कांग्रेसी आपस में लड़कर इस बात को जाहिर कर रहे हैं.