देहरादून: तीन साल से लापता ममता की तलाश में बुजुर्ग माता-पिता दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर हैं, लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. बुजुर्ग माता-पिता को डर है कि कई उसके ससुराल वालों ने उनकी बेटी की हत्या तो नहीं कर दी. क्योंकि ससुरालियों को बेटे की चाहत थी, इस कारण उन्होंने दो बार उनकी बेटी का जबरन गर्भपात भी कराया है. गुरुवार को पीड़िता माता-पिता इंसाफ की आस में पुलिस मुख्यालय देहरादून पहुंचे और डीजीपी अशोक कुमार से न्याय की गुहार लगाई.
मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी ने पीड़ित परिवार को आश्वासन दिया कि इस केस की जांच सीआईडी से कराई जाएगी. बुजुर्ग माता-पिता का कहना है कि नवंबर 2019 में उनकी बेटी ससुराल से लापता हो गई थी. उन्हें आशांका है कि ससुरालियों ने उनकी बेटी की हत्या कर दी. माता-पिता का आरोप है कि इस मामले में श्रीनगर पुलिस भी आरोपियों के साथ मिली हुई है और तीन साल से उन्हें गुमराह कर रही है.
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25 नवंबर 2019 को आया था दामाद का फोन: पिता राजा राम जोशी ने बताया कि 25 नवंबर 2019 को सुबह 8 बजे के आसपास उनके दामाद गिरीश बहुगुणा का फोन आया कि उनकी बेटी ममता सुबह 5 बजे से गायब है. सूचना मिलते ही आनन-फानन में पिता और दोनों भाई ममता की तलाश में जुट गए. ममता को ढूंढ़ते हुए राजा राम जोशी श्रीनगर के नैथाणा पुल के पास पहुंचे तो देखा कि वहां उसकी एक जोड़ी चप्पल पड़ी हुई है.
25 नवंबर को भाई दीपक जोशी ने श्रीनगर कोतवाली में बहन ममता की गुमशुदगी दर्ज कराई. ऐसे में जब पुलिस ने ममता के ससुराल वालों से पूछताछ की तो उन्होंने इस मामले को आत्महत्या से जोड़ने की तरफ आशंका जाहिर की. लेकिन पिता राजाराम जोशी ने ममता के पति और जेठ अजय बहुगुणा पर उनकी बेटी की हत्या का आरोप लगाते हुए इस केस को आत्महत्या मानने से इनकार किया.
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पिता के अनुसार 2008 में शादी होने के बाद जब ममता बेटे की जगह बेटी को जन्म दिया, तभी से ममता को उसके पति और परिवारजन लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रूप से परेशान कर रहे थे. इतना ही नहीं पुलिस को दी तहरीर में ममता के दूसरे भाई प्रदीप जोशी ने आरोप लगाया कि 2008 में ममता की शादी के बाद 2009 में ममता को एक बेटी हुई. उसके बाद परिवार वालों ने जबरन ममता की मर्जी के खिलाफ दो बार बेटियों की कोख में ही हत्या करवा दी. क्योंकि वे बेटा चाहते थे.
वहीं, 2018 में ममता चौथी बार मां बनने वाली थी, ऐसे में फिर ससुराल वालों ने फिर भ्रूण जांच कर बेटी होने का पता किया और फिर ममता पर इस अजन्मी बच्ची की हत्या का दबाव बनाया. लेकिन इस बार ममता ने ससुराल वालों के खिलाफ खड़े होकर हर हाल में इस बच्ची को जन्म देने की ठान ली. और फिर फरवरी 2019 को ममता ने इस बच्ची को जन्म दिया.
इस दौरान ममता अपने पति के साथ यूपी के मेरठ में रहती थी. दूसरी बेटी को जन्म देने के बाद से ममता को शारिरिक और मानसिक रूप प्रताड़ित किया जा रहा था. इस बीच फरवरी 2019 में ममता श्रीनगर गढ़वाल में रहने आ गई और नवंबर 2019 में लापता हो गई.
पिता राजाराम जोशी का आरोप है कि तत्कालीन श्रीनगर कोतवाल नरेंद्र बिष्ट ने इस मामले में भी गंभीरता नहीं दिखाई. इतने लंबे समय बाद भी पुलिस आजतक इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज करने को तैयार नहीं है. आखिर में थकहार कर आज पीड़ित परिवार इंसाफ की आस में डीजीपी अशोक कुमार के पास पहुंचा है.
डीजीपी अशोक कुमार ने पीड़़िता परिवार को भरोसा दिया है कि इस मामले की जांच सीबीसीआईडी से कराई जाएगी. ममता की मां सुनीता देवी कि शरीर भी थाने और पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटकर थक गया है. सुनीता का कहना है कि उनकी बेटी होनहार और पढ़ी लिखी थी. उसका सिर्फ यही कसूर था कि उसकी कोख से बेटी जन्म ले रही थी, जबकि बेटा और बेटी पैदा करना किसी के हाथ में नहीं है. इस बात को दूर दूर तक ना समझते हुए ऐसी होनहार बेटी की हत्या कर उसे लापता कर दिया है.
इस बारे में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेशन का कहना है कि इस केस में गुमशुदगी की तय सीमा अनुसार जनपद एसपी से रिपोर्ट तलब की जाएगी. उसके पश्चात जिस तरह से पीड़ित पक्ष ने इस केस में सीबीसीआईडी से जांच की मांग की है. उसके चलते शासन से पत्राचार कर CBCID जांच की मांग की जाएगी