देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड हमेशा से ही पर्यटन और साहसिक खेलों के लिए मुफीद जगह मानी जाती है. जो प्रदेश का मुख्य रोजगार का साधन भी है. वहीं राजधानी देहरादून के माल देवता क्षेत्र पैराग्लाइडरों के लिए पसंदीदा जगह बनती जा रही है. जहां देश-विदेश से काफी तादाद में पर्यटक पैराग्लाइडिंग के लिए पहुंच रहे हैं. जिससे स्थानीय व्यवसायियों के चेहरे खिले हुए हैं.
गौर हो कि उत्तराखंड के भीमताल में पैराग्लाइडिंग जैसे साहसिक एडवेंचर के क्षेत्र मे शुमार होने के बाद अब दून के मालदेवता में भी पैराग्लाइडिंग का शौक रखने वाले लोग काफी तादाद में पहुंच रहे हैं. साथ ही साहसिक एडवेंचर का रोमांच उठा रहे हैं. दरअसल बीते 24 नवंबर को बीएसएफ इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस ट्रेनिंग और पैराग्लाइडिंग एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के प्रयासों से तीन दिवसीय मालदेवता पैराग्लाइडिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स फेस्टीवल का आयोजन किया गया था.
जिसमें पैराग्लाइडिंग, रॉक क्लाइमिंग, रैपलिंग, बर्मा ब्रीज, जीपलाइन आदि के गुर सिखाये गए. जिससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिल सके. लेकिन अब कोशिश परवान चढ़ती दिखाई दे रही है. जहां साहसिक खेलों में रुचि रखने वाले देश-विदेश के लोग पहुंच रहे हैं. वहीं अन्य राज्यों से आए टूरिस्ट साहसिक एडवेंचर के तौर पर पैराग्लाइडिंग की मांग करते थे, जिसके बाद उन्हें मायूस होकर भीमताल क रुख करना पड़ता था. लेकिन अब टूरिस्ट माल देवता की पैतीस सौ फीट की ऊंचाई पर और कुशल पायलटों के नेतृत्व में टेकऑफ कर रहे हैं.
साथ ही मालदेवता फार्म्स के निकट लैंडिंग करके साहसिक रोमांच का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं. मालदेवता मे पैराग्लाइडिंग करा रहे एडवेंचर बकेट के संचालक गुलशन ने बताया कि उत्तराखंड में पैराग्लाइडिंग की अपार संभावनाएं हैं. इसकी शुरुआत हिमाचल प्रदेश से हुई थी, बीते 12 -15 वर्षों में से भीमताल मे पैराग्लाइडिंग कराई जाती है. लेकिन अब गढ़वाल क्षेत्र के अंतर्गत देहरादून के मालदेवता में पैराग्लाइडिंग कराई जा रही है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं.
वहीं दार्जिलिंग निवासी पायलट सोसो का कहना है कि उड़ान भरने से पहले व्यक्ति का स्वस्थ होना आवश्यक है. यदि व्यक्ति को हृदय रोग है तो उसे पैराग्लाइडिंग नहीं कराई जाती है, इसके साथ उड़ान भरने से पूर्व पायलट द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों का पालन करना होता है.
पैराग्लाइडिंग की अहम बातें.
- हवा की दिशा देखना पायलट का काम होता है.
- टेकऑफ से पूर्व टूरिस्ट को दौड़ने के दिशा- निर्देश दिये जाते हैं.
- हवा में उड़ान भरते ही ग्लाइडर की सीट में किस तरह बैठा जाए इस बात का भी विशेष ध्यान रखते हुए सेफ्टी से अवगत कराया जाता है.
- सेफ लैंडिंग कराने के लिए किस तरह बैठा जाए यह भी पैराग्लाइडिंग का अहम हिस्सा है.
- पैराग्लाइडिंग में ऊंचाई की कोई लिमिट नहीं होती है.
- पायलट मौसम का मिजाज देखकर 7000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता रखता है.