ETV Bharat / state

World disaster mitigation day: चित्रकारों ने पेंटिंग्स में बयां किया आपदा का दर्द - वरिष्ठ चित्रकार सीवी रसैली

विश्व आपदा न्यूनीकरण दिवस के मौके पर देहरादून में चित्रकारों ने उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाया है. इसके साथ ही परिवर्तन जैसे ज्वलंत मुद्दों ध्यान में रखते हुए चित्रकारी की है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के जाने-माने चित्रकारों ने हिस्सा लिया.

देहरादून
author img

By

Published : Oct 13, 2019, 5:59 PM IST

Updated : Oct 13, 2019, 9:41 PM IST

देहरादून: चित्रकारी अपने मन की भावनाओं को बाहर लाने का सबसे अच्छा माध्यम है. विश्व आपदा न्यूनीकरण दिवस के मौके पर राजधानी देहरादून में चित्रकारों ने अपनी कला के माध्यम से पहाड़ में आई आपदाओं को अपने चित्रों में उकेरा. चित्रकारों का कहना है कि उन्होंने अपनी चित्रकारी में उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता के अलावा जलवायु परिवर्तन जैसे ज्वलंत मुद्दों को भी जगह दी है.

वरिष्ठ चित्रकारों ने चित्रकारी के माध्यम से बयां किया आपदा का दर्द

"आपदा और हम"
कुमाऊं विश्वविद्यालय में चित्रकला विभाग में प्रोफेसर शिखर चंद जोशी ने अपनी पेंटिंग में उस संवेदनशील मंजर को उकेरा है. जो आपदा के वक्त नजर आता है. जोशी ने अपनी चित्रकारी के बारे में बताया है कि उनकी इस तस्वीर में आपदा के समय किस तरह से एक दूसरे की मदद करनी चाहिए, वह दिखाया गया है. कुमाऊं विश्वविद्यालय से आए शेखर चंद जोशी की ये तस्वीर हमें सीख देती है कि हम आपदा के समय जागरूक रहें, सतर्क रहें और अपने आसपास आपदा में फंसे लोगों की मदद करें.

"आपदा पर लगाम"
देहरादून के चित्रकार भारत भंडारी ने अपनी चित्रकारी में एक घोड़े को हमारी प्रकृति के सूचक के रूप में दिखाया है. भंडारी का कहना है कि हमारी प्रकृति इसी घोड़े जैसी है, जो मुंह से आग उगल रही है और पूंछ से पानी का सैलाब ला रहा है. उनके अनुसार मजबूत घोड़े की प्रवृत्ति को बदला नहीं जा सकता है, लेकिन इंसान इस पर लगाम जरूर लगा सकता है. चित्रकार के अनुसार प्रकृति रूपी इस घोड़े को जो कि अपने आप में खूबसूरत है. मजबूत है और खतरनाक भी है उसको हम बदल नहीं सकते हैं. लेकिन इस पर लगाम कसने जैसा आपदा न्यूनीकरण के दिशा में हम प्रयास जरूर कर सकते हैं.

"पति और पत्थर"
देहरादून के वरिष्ठ चित्रकार सीवी रसैली ने अपनी पेंटिंग में पत्थर और पति के रूप में पेड़ों का हमारे पर्यावरण और खासतौर से आपदा पर कैसे असर होता है, उसे दर्शाया है. सीवी रसैली ने अपनी तस्वीर में दिखाया है कि पत्थर यानी चट्टान कठोर और खतरनाक चीज है, लेकिन इसे संभालने के लिए पत्तियों की जरूरत पड़ती है. पत्थर को नियंत्रित करने में केवल पत्तियां ही काम आ रही हैं और पत्तियों की हमारी प्रकृति में क्या भूमिका है? वह भी पेंटिंग में दर्शाया है. रसैली के अनुसार हमारी प्रकृति के लिए पेड़ अटूट हिस्सा हैं और आपदा के समय में भी यही पेड़ भूमि कटाव और तमाम नुकसान को कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. चित्र का संदेश है कि पेड़ लगाएं.

देहरादून: चित्रकारी अपने मन की भावनाओं को बाहर लाने का सबसे अच्छा माध्यम है. विश्व आपदा न्यूनीकरण दिवस के मौके पर राजधानी देहरादून में चित्रकारों ने अपनी कला के माध्यम से पहाड़ में आई आपदाओं को अपने चित्रों में उकेरा. चित्रकारों का कहना है कि उन्होंने अपनी चित्रकारी में उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता के अलावा जलवायु परिवर्तन जैसे ज्वलंत मुद्दों को भी जगह दी है.

वरिष्ठ चित्रकारों ने चित्रकारी के माध्यम से बयां किया आपदा का दर्द

"आपदा और हम"
कुमाऊं विश्वविद्यालय में चित्रकला विभाग में प्रोफेसर शिखर चंद जोशी ने अपनी पेंटिंग में उस संवेदनशील मंजर को उकेरा है. जो आपदा के वक्त नजर आता है. जोशी ने अपनी चित्रकारी के बारे में बताया है कि उनकी इस तस्वीर में आपदा के समय किस तरह से एक दूसरे की मदद करनी चाहिए, वह दिखाया गया है. कुमाऊं विश्वविद्यालय से आए शेखर चंद जोशी की ये तस्वीर हमें सीख देती है कि हम आपदा के समय जागरूक रहें, सतर्क रहें और अपने आसपास आपदा में फंसे लोगों की मदद करें.

"आपदा पर लगाम"
देहरादून के चित्रकार भारत भंडारी ने अपनी चित्रकारी में एक घोड़े को हमारी प्रकृति के सूचक के रूप में दिखाया है. भंडारी का कहना है कि हमारी प्रकृति इसी घोड़े जैसी है, जो मुंह से आग उगल रही है और पूंछ से पानी का सैलाब ला रहा है. उनके अनुसार मजबूत घोड़े की प्रवृत्ति को बदला नहीं जा सकता है, लेकिन इंसान इस पर लगाम जरूर लगा सकता है. चित्रकार के अनुसार प्रकृति रूपी इस घोड़े को जो कि अपने आप में खूबसूरत है. मजबूत है और खतरनाक भी है उसको हम बदल नहीं सकते हैं. लेकिन इस पर लगाम कसने जैसा आपदा न्यूनीकरण के दिशा में हम प्रयास जरूर कर सकते हैं.

"पति और पत्थर"
देहरादून के वरिष्ठ चित्रकार सीवी रसैली ने अपनी पेंटिंग में पत्थर और पति के रूप में पेड़ों का हमारे पर्यावरण और खासतौर से आपदा पर कैसे असर होता है, उसे दर्शाया है. सीवी रसैली ने अपनी तस्वीर में दिखाया है कि पत्थर यानी चट्टान कठोर और खतरनाक चीज है, लेकिन इसे संभालने के लिए पत्तियों की जरूरत पड़ती है. पत्थर को नियंत्रित करने में केवल पत्तियां ही काम आ रही हैं और पत्तियों की हमारी प्रकृति में क्या भूमिका है? वह भी पेंटिंग में दर्शाया है. रसैली के अनुसार हमारी प्रकृति के लिए पेड़ अटूट हिस्सा हैं और आपदा के समय में भी यही पेड़ भूमि कटाव और तमाम नुकसान को कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. चित्र का संदेश है कि पेड़ लगाएं.

Intro:Note- यह स्पेशल स्टोरी world disaster reduction day पर भेजी गई है। फीड FTP पर (uk_deh_02_picture_speak_on_disasters_pkg_7205800) नाम से भेजी गई है।

एंकर- विश्व आपदा न्यूनीकरण दिवस के मौके पर उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आपदा न्यूनीकरण को लेकर कॉल तमाम चित्रकारों ने अपनी तस्वीरों के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त की यह तस्वीरें अपने आप में इसलिए भी खास है क्योंकि इन तस्वीरों में वह भावनाएं हैं जो एक हर उत्तराखंड वासी के दिलों जान में बसती है लेकिन हम सब कुछ जानने के बावजूद भी उत्तराखंड जैसे सुंदर प्रदेश में आपदाओं के लिए खुद ही जिम्मेदार हैं आइए आपको इन मशहूर चित्रकारों की इन तस्वीरों से और इन तस्वीरों के भाव से रूबरू कराते हैं।


Body:"आपदा और हम" चित्रकार शिखर चंद जोशी---

कुमाऊं विश्वविद्यालय में चित्रकला विभाग में वरिष्ठ प्रोफेसर शिखर चंद जोशी ने अपनी पेंटिंग में आपदा के उस संवेदनशील मंजर को उकेरा है जो कि आपदा के वक्त नजर आता है। शेखर चंद जोशी ने अपनी चित्रकारी के बारे में बताते हुए कहा कि उनकी इस तस्वीर में आपदा के समय किस तरह से एक दूसरे की मदद करनी चाहिए वह दिखाया गया है। कुमाऊं विश्वविद्यालय से आए शेखर चंद जोशी की ये तस्वीर हमें सीख देती है कि हम आपदा के समय जागरूक रहें सतर्क रहें और अपने आसपास आपदा में फंसे लोगों की मदद करें।

"आपदा पर लगाम" चित्रकार भारत भंडारी--

देहरादून के चित्रकार भारत भंडारी ने अपनी चित्रकारी में एक घोड़े को हमारी प्रकृति के सूचक के रूप में दिखाया है। चित्रकार भारत भंडारी का कहना है कि हमारी प्रकृति इसी घोड़े जैसी है जो मुंह से आग उगल रही है और पूंछ से पानी का सैलाब ला रहा है। चित्रकार भारत भंडारी के अनुसार मजबूत घोड़े की प्रवृत्ति को बदला नहीं जा सकता है लेकिन इंसान इस पर लगाम जरूर लगा सकता है। चित्रकार के अनुसार प्रकृति रूपी इस घोड़े को जो कि अपने आप में खूबसूरत है, मजबूत है और खतरनाक भी है उसको हम बदल नहीं सकते हैं लेकिन इस पर लगाम कसने जैसा आपदा न्यूनीकरण के दिशा में हम प्रयास जरूर कर सकते हैं।

"पति और पत्थर" चित्रकार सीवी रसैली
देहरादून के वरिष्ठ पत्रकार सीवी रसैली ने अपने चित्रकारी में पत्थर और पति के रूप में पेड़ों का हमारे पर्यावरण और खासतौर से आपदा पर कैसे असर होता है उस को दिखाया है। सीवी रसैली ने अपनी तस्वीर में दिखाया है कि पत्थर यानी चट्टान एक अत्यधिक कठोर और खतरनाक चीज है लेकिन इसे संभालने के लिए पत्तियों की जरूरत पड़ती है। यही नहीं तस्वीर में दिखाया गया है कि पत्थर को नियंत्रित करने में केवल पत्तियां ही काम आ रही है और पत्तियों की हमारी प्रकृति में क्या भूमिका है वह भी चित्र में दिखाया गया है। चित्रकार सीवी रसैली के अनुसार हमारी प्रकृति के लिए हरी पत्तियां यानी कि पेड़ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और आपदा के समय में भी यही पेड़ भूमि कटाव और तमाम नुकसान को कम करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चित्र का संदेश है कि पेड़ लगाएं।

one to one-- (तीनो चित्रकारों के साथ चित्र सहित गयी बातचीत)


Conclusion:
Last Updated : Oct 13, 2019, 9:41 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.