डोइवालाः क्षेत्र के किसानों के लिए जैविक खेती वरदान साबित हो रही है. किसान अब जैविक खेती की ओर मुड़ रहे हैं. जीरो लागत की खेती होने से किसानों का अच्छा खासा लाभ मिल रहा है. डोइवाला में जैविक खेती का चलन तेजी से बढ़ कहा है. गौरतलब है कि कुछ किसान मुनाफा कमाने के चक्कर में रासायनिक खादों का जमकर प्रयोग कर रहे हैं, वहीं डोइवाला के शिमलाश ग्रांट के सैकड़ों किसान रासायनिक खादों को छोड़कर जैविक खादों का प्रयोग कर फसलें तैयार कर रहे हैं, जिससे किसानों को इन फसलों का अच्छा मुनाफा मिल रहा है साथ ही बीमारियों से भी निजात मिल रही है.
किसान उम्मेद बोरा ने बताया कि वे 2002 से जैविक खाद तैयार कर फसलों में डाल रहे हैं और उनके साथ सैकड़ों किसान जुड़कर जैविक खादों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इन खादों से उनकी फसलें अच्छा मुनाफा दे रही हैं. बोरा ने बताया कि वह जैविक धाद से गन्ना, आलू, प्याज, गेहूं, सब्जी, हल्दी लहसुन अरबी आदि फसलें कर रहे हैं.
बोरा ने बताया कि इस संबंध में राज्य सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. सरकार की तरफ से निशुल्क रजिस्ट्रेशन किसानों का हो रहा है. जैविक खेती का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है. सरकार 15 करोड़ की राशि जैविक किसानों को देने जा रही है.जैविक खादों से तैयार फसल की कीमत मार्केट से ज्यादा मिल रही है. जैविक खादों का प्रयोग करने से बीमारियों का खतरा होने का डर भी कम हो जाता है.
जैविक खाद उत्पाद के फील्ड ऑफिसर टीकाराम उनियाल ने बताया कि जैविक खाद का प्रयोग करने वाले किसान बढ़ रहे हैं. वर्तमान में डोइवाला ब्लॉक में 180 किसान जैविक खेती कर रहे हैं और 160 हेक्टेयर में जैविक खेती की जा रही है. उन्होंने बताया कि जैविक खेती की कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
हर हफ्ते देहरादून के किसान भवन में जैविक खेती से तैयार उत्पादों की स्टाल लगाए जाते हैं. वर्तमान में धान, गेहूं ,गन्ना के अलावा हब्स जिसमें फईम ,ऑर्गेनो ,पार्सले ,डील, मारजोराम ,कैमोमाइल, लेमन ग्रास, मिंट ,चंदन ,आलू ,गोभी, ब्रोकली आदि फसलें तैयार की जा रही हैं. सरकार भी इन फसलों को बढ़ावा दे रही है.