देहरादून: नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 (सीएए) और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर लोगों का विरोध थम नहीं रहा है. मंगलवार को एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक संगठन और बुद्धिजीवियों ने संयुक्त रूप से देहरादून के हिंदी भवन में एक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें शिक्षण संस्थानों में हो रहे हमलों पर भी चिंता व्यक्त की गई.
इस दौरान कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि देश का भविष्य कहे जाने वाले छात्रों के विश्वविद्यालयों में जिस प्रकार से सरकार ने विवाद खड़ा किया है, वो देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. सरकार पढ़ाई लिखाई का वातावरण बनाने के बजाय जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को सरकार ने कंट्रोवर्शियल बना दिया है.
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उन्होंने कहा कि ये सरकार देश को बांटने का काम कर रही है. यदि देश को बांट कर भला होता है तो सभी सरकार के साथ खड़े हो जाएंगे. मगर देश को यदि नुकसान पहुंचाया जाएगा तो उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक का यह फर्ज बनता है कि ऐसे काले कानून के खिलाफ खड़ा होकर इसका विरोध करें. सरकार अपने निजी फायदे के लिए देश को तोड़ने का काम कर रही है.
भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी का कहना है कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ देश में आंदोलन चल रहा है. सरकार जो नागरिकता संशोधन अधिनियम लेकर आई है इसका दूसरे देशों के उत्पीड़कों को नागरिकता देने से ज्यादा देश के भीतर सांप्रदायिक विभाजन पैदा करना है. सरकार रोजगार, शिक्षा ,स्वास्थ्य जैसे मोर्चे पर विफल साबित हुई है और अर्थव्यवस्था गर्द में जा रही है. वे नागरिकता को सांप्रदायिक आधार पर देने की प्रक्रिया का विरोध करते हैं. ये सरकार के खिलाफ अविज्ञा का आंदोलन है, जिसमें सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है.
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उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ आगामी 30 तारीख को महात्मा गांधी के शहादत दिवस के दिन उनको याद करते हुए देहरादून मे एक बड़ा मार्च निकाला जाएगा.