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CAA का विरोध: महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर राजनीतिक संगठन निकालेंगे मार्च

सम्मेलन में कई विपक्षी पार्टियों के नेता के साथ कुछ बुद्धिजीवी भी मौजूद थे, जिन्होंने सीएए को काला कानून बताया है. सभी लोग संयुक्त रूप से 30 जनवरी को महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर सीएए के खिलाफ देहरादून में एक रैली निकालेंगे.

protest against CAA
सीएए का विरोध
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Published : Jan 21, 2020, 7:20 PM IST

देहरादून: नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 (सीएए) और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर लोगों का विरोध थम नहीं रहा है. मंगलवार को एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक संगठन और बुद्धिजीवियों ने संयुक्त रूप से देहरादून के हिंदी भवन में एक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें शिक्षण संस्थानों में हो रहे हमलों पर भी चिंता व्यक्त की गई.

सीएए का विरोध.

इस दौरान कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि देश का भविष्य कहे जाने वाले छात्रों के विश्वविद्यालयों में जिस प्रकार से सरकार ने विवाद खड़ा किया है, वो देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. सरकार पढ़ाई लिखाई का वातावरण बनाने के बजाय जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को सरकार ने कंट्रोवर्शियल बना दिया है.

पढ़ें- देहरादून की दीवारें बता रहीं उत्तराखंड की कहानी, संस्कृति और इतिहास उकेर रहे कलाकार

उन्होंने कहा कि ये सरकार देश को बांटने का काम कर रही है. यदि देश को बांट कर भला होता है तो सभी सरकार के साथ खड़े हो जाएंगे. मगर देश को यदि नुकसान पहुंचाया जाएगा तो उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक का यह फर्ज बनता है कि ऐसे काले कानून के खिलाफ खड़ा होकर इसका विरोध करें. सरकार अपने निजी फायदे के लिए देश को तोड़ने का काम कर रही है.

भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी का कहना है कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ देश में आंदोलन चल रहा है. सरकार जो नागरिकता संशोधन अधिनियम लेकर आई है इसका दूसरे देशों के उत्पीड़कों को नागरिकता देने से ज्यादा देश के भीतर सांप्रदायिक विभाजन पैदा करना है. सरकार रोजगार, शिक्षा ,स्वास्थ्य जैसे मोर्चे पर विफल साबित हुई है और अर्थव्यवस्था गर्द में जा रही है. वे नागरिकता को सांप्रदायिक आधार पर देने की प्रक्रिया का विरोध करते हैं. ये सरकार के खिलाफ अविज्ञा का आंदोलन है, जिसमें सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है.

पढ़ें- हरिद्वारः सामुदायिक केंद्रों के अधिग्रहण का लोगों ने किया विरोध, नप के प्रस्ताव पर जताई आपत्ति

उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ आगामी 30 तारीख को महात्मा गांधी के शहादत दिवस के दिन उनको याद करते हुए देहरादून मे एक बड़ा मार्च निकाला जाएगा.

देहरादून: नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 (सीएए) और भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर लोगों का विरोध थम नहीं रहा है. मंगलवार को एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक संगठन और बुद्धिजीवियों ने संयुक्त रूप से देहरादून के हिंदी भवन में एक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें शिक्षण संस्थानों में हो रहे हमलों पर भी चिंता व्यक्त की गई.

सीएए का विरोध.

इस दौरान कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि देश का भविष्य कहे जाने वाले छात्रों के विश्वविद्यालयों में जिस प्रकार से सरकार ने विवाद खड़ा किया है, वो देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. सरकार पढ़ाई लिखाई का वातावरण बनाने के बजाय जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को सरकार ने कंट्रोवर्शियल बना दिया है.

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उन्होंने कहा कि ये सरकार देश को बांटने का काम कर रही है. यदि देश को बांट कर भला होता है तो सभी सरकार के साथ खड़े हो जाएंगे. मगर देश को यदि नुकसान पहुंचाया जाएगा तो उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक का यह फर्ज बनता है कि ऐसे काले कानून के खिलाफ खड़ा होकर इसका विरोध करें. सरकार अपने निजी फायदे के लिए देश को तोड़ने का काम कर रही है.

भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी का कहना है कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ देश में आंदोलन चल रहा है. सरकार जो नागरिकता संशोधन अधिनियम लेकर आई है इसका दूसरे देशों के उत्पीड़कों को नागरिकता देने से ज्यादा देश के भीतर सांप्रदायिक विभाजन पैदा करना है. सरकार रोजगार, शिक्षा ,स्वास्थ्य जैसे मोर्चे पर विफल साबित हुई है और अर्थव्यवस्था गर्द में जा रही है. वे नागरिकता को सांप्रदायिक आधार पर देने की प्रक्रिया का विरोध करते हैं. ये सरकार के खिलाफ अविज्ञा का आंदोलन है, जिसमें सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है.

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उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ आगामी 30 तारीख को महात्मा गांधी के शहादत दिवस के दिन उनको याद करते हुए देहरादून मे एक बड़ा मार्च निकाला जाएगा.

Intro: देहरादून के हिंदी भवन में विभिन्न राजनीतिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने एनपीआर ,एनआरसी, सीएए के खिलाफ एक जन सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें वक्ताओं ने अपने-अपने विचार लोगों के सामने रखें।
summary- एनपीआर, एनआरसी के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक संगठन और बुद्धिजीवियों ने एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसमे शिक्षण संस्थानों में हो रहे हमलों पर भी चिंता व्यक्त की गई।


Body: सम्मेलन में पहुंचे पूर्व कांग्रेस प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का कहना है कि इस देश का भविष्य कहे जाने वाले छात्रों के विश्वविद्यालयों में जिस प्रकार से सरकार ने विवाद खड़ा किया है ,वो देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए पढ़ाई लिखाई का वातावरण बनाना चाहिए। जबकि जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को सरकार ने कंट्रोवर्शियल बना दिया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से सरकार समाज को बांटने का काम कर रही है यदि देश को बांट कर भला होता है तो सभी सरकार के साथ खड़े हो जाएंगे। मगर देश को यदि नुकसान पहुंचाया जाएगा तो उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक का यह फर्ज बनता है कि ऐसे काले कानून के खिलाफ खड़ा होकर इसका विरोध करें, किशोर का कहना है कि सरकार अपने निजी फायदे के लिए देश को तोड़ने का काम कर रही है। बाइट -किशोर उपाध्याय पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष

वहीं भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी का कहना है कि एनआरसीए ना प्यार के खिलाफ समूचे देश में आंदोलन चल रहा है ।हमारा यह मानना है कि सरकार जो नागरिकता संशोधन अधिनियम लेकर आई है इसका दूसरे देशों के उत्पीड़कों को नागरिकता देने से ज्यादा देश के भीतर सांप्रदायिक विभाजन पैदा करना है। सरकार रोजगार, शिक्षा ,स्वास्थ्य जैसे मोर्चे पर विफल साबित हुई है और अर्थव्यवस्था गर्द में जा रही है। हम इस देश मे नागरिकता को सांप्रदायिक आधार पर देने की प्रक्रिया का विरोध करते हैं। ये सरकार के खिलाफ अविज्ञा का आंदोलन है, जिसमें सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के खिलाफ आगामी 30 तारीख को महात्मा गांधी के शहादत दिवस के दिन उनको याद करते हुए देहरादून मे एक बड़ा मार्च निकाला जाएगा ।

बाइट- इंद्रेश मैखुरी, गढ़वाल सचिव ,भाकपा माले


Conclusion: दरअसल जन सम्मेलन में वक्ताओं का कहना है कि सरकार कुछ बुनियादी सवालों के जवाब को दरकिनार कर रही है, क्या राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर बनने वाला है या नहीं? जब नागरिकता नियमावली के अनुसार एनआरसी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के आधार पर ही बनाए जाएगा, तो आखिर ग्रह मंत्री कैसे कह सकते हैं कि दोनों में कोई संबंध नहीं है? वक्ताओं का यह भी कहना था कि सरकार लोगों को सिर्फ गुमराह करके गरीब और जनविरोधी नीतियां लाने में लगे हुए हैं। शरणार्थियों को शरण देना हमारे कर्तव्य लेकिन उसमें भेदभाव नहीं होना चाहिये। एनपीआर, एनआरसी, सीएए नहीं बल्कि रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ देश का विकास होना चाहिए। कार्यक्रम में सीपीआई के नेता समर भंडारी, समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ सत्यनारायण सचान आदि मौजूद रहे
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