देहरादून/हल्द्वानी: जन हस्तक्षेप के बैनर तले राज्य के विपक्षी दलों और जन संगठनों की ओर से एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मुलाकात की. प्रदेश की वर्तमान स्थिति व कोरोना से प्रभावित समाज के हर वर्ग की कठिनाइयों को लेकर विपक्षी दलों ने सचिवालय में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को एक ज्ञापन सौंपते हुए जल्द समाधान निकालने का आग्रह किया है. ताकि आम जनमानस को राहत मिल सके.
राज्य के तमाम विपक्षी दलों की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि कोरोना वायरस के कारण राज्य में मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. इसने स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कमियों को उजागर कर दिया है. उत्तराखंड में ऑक्सीजन और दवा ना मिल पाने के कारण मौतें हो रही हैं. विपक्षी दलों ने सरकार से ग्रामीण क्षेत्रों में इस वायरस की ट्रेसिंग और ट्रैकिंग के लिए विशेष अभियान चलाने को कहा है. इसके साथ ही सामान्य बुखार खांसी के लिए तत्काल गांव में दवाई का वितरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है. मोबाइल टेस्टिंग की व्यवस्था की भी मांग की गई है.
मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने के दौरान कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण सचान, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव समर भंडारी समेत तमाम जन संगठनों के जनप्रतिनिधि मौजूद रहे. इधर, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी जनप्रतिनिधियों को सभी प्रस्ताव पर विचार करने का आश्वासन दिया है.
विपक्षी दलों ने उठाई मुख्य मांगें
- प्रत्येक जनपद में कंट्रोल रूम बनाया जाए, जिसके पास अस्पतालों में बैठ ऑक्सीजन जांचों और एंबुलेंस की सही जानकारी हो. इन सुविधाओं का आम जनमानस उचित तरीके से इस्तेमाल कर सके.
- इसके साथ ही सरकार एक ही फोन नंबर जारी करे, जिससे लोगों को स्वास्थ सुविधाओं से जुड़ी सटीक जानकारियां मिल सकें.
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को तत्काल दुरुस्त किया जाए, जिनमें ऑक्सीजन बेड आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की समुचित व्यवस्था हो.
- राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए स्वास्थ्य और जीवन बीमा योजनाओं को सरकार तुरंत चलाए.
- तीमारदारों को राहत देने के लिए प्रत्येक आईसीयू वार्ड में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएं, जिससे उन्हें अपने मरीज की स्थिति का पता चल सके.
- यदि किसी भी मरीज में कोरोना के लक्षण आ रहे हैं, तो उनका इलाज निःशुल्क किया जाए.
- राज्य में टीकाकरण अभियान युद्ध स्तर पर चलाया जाए.
- विपक्षी दलों ने श्रमिकों और मजदूरों को राहत दिए जाने की भी मांग की.
- कोरोना संक्रमण की वजह से निम्न आय वर्ग के लोगों की स्थिति बहुत दयनीय हो गई है. ऐसे में बिना किसी पंजीकरण और राशन कार्ड की शर्तों के सभी लोगों को कम से कम 3 माह का राशन मुफ्त दिया जाए. इसके साथ ही शहरों में भी कम्युनिटी किचन चलाई जाए.
- आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके मजदूरों, गरीबों छोटे किसानों पर्यटन व्यवसाय से जुड़े वाहन संचालकों और चालकों को न्यूनतम हर माह 7500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए.
- मनरेगा के तहत काम के दिनों को 200 दिन किया जाए और मजदूरी ₹500 दी जाए.
- लौट रहे प्रवासियों को रोजगार के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिया जाए.
- बुनियादी सुविधाओं में शामिल पानी और बिजली के बिलों को पूरी तरह माफ किया जाए इसके साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी से जनता को राहत देते हुए 25 प्रतिशत फीस कम की जाए.
- उपनल के कर्मचारियों को तत्काल वेतन भत्ते दिए जाएं.
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अपनी जिम्मेदारी में प्रदेश सरकार पूरी तरह फेल- इंदिरा हृदयेश
उत्तराखंड में लगातार वैक्सीनेशन की कमी के चलते लोगों को कोरोना वैक्सीन नहीं लग पा रही है. कई केंद्रों पर टीकाकरण का काम बंद हो चुका है. ऐसे में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हरदेश ने प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा है कि टीकाकरण का काम बंद होने से संक्रमण का और खतरा बढ़ गया है. ऐसे में सरकार को अपने स्तर से टेंडर कर वैक्सीन उपलब्ध करानी चाहिए. जिससे कि लोगों को वैक्सीन लग सके. इंदिरा हृदयेश ने कहा है कि प्रदेश की जनता को वैक्सीन लगाने की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की है, लेकिन प्रदेश सरकार अपनी जिम्मेदारी में पूरी तरह से फेल हो चुकी है. ऐसे में अब प्रदेश सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए.
सेना की ली जाए मदद
वहीं, उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष और राज्य आंदोलनकारी धीरेंद्र प्रताप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल प्रदेश को सेना के सुपुर्द किए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि देश के मुकाबले राज्य में मृतकों की संख्या और कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रदेश को सेना के सुपुर्द किए जाने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचा है.
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मांग करते हुए कहा कि राज्य के वर्तमान हालातों को देखते हुए सेना यहां पर आकर तमाम स्वास्थ्य सेवाओं को अपने हाथों में लेकर यहां लोगों की जान की रक्षा करे. धीरेंद्र प्रताप ने राज्य सरकार को कोरोना की रोकथाम में पूरी तरह विफल बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि राज्य के लोग अपना खून इस देश की सीमाओं को बचाने के लिए लगाते आ रहे हैं. लेकिन जब उनके घरों में ही परिवार का कोई ना कोई सदस्य संक्रमण से अपनी जान गवां रहा है. ऐसे में राज्य को सेना के सुपुर्द किए जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है.