देहरादून: दून मेडिकल कॉलेज ने करीब 7 महीने बाद अपनी ओपीडी को खोलने का फैसला लिया है. आज से इसकी शुरुआत भी कर दी गई, लेकिन मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स मरीजों का इंतजार करते रहे पर मरीज नहीं आए.
दरअसल, दून मेडिकल कॉलेज में आज से 5 विभागों की ओपीडी को खोला गया है. इसमें बाल रोग के चिकित्सक, साइकेट्रिक, पोस्ट कोविड-19, कैंसर और त्वचा रोग से जुड़े चिकित्सकों ने ओपीडी में मरीजों को देखा. पहले दिन त्वचा रोग चिकित्सक ने ओपीडी में सभी 20 मरीजों को चिकित्सा परामर्श दिया. 4 मरीज साइकेट्रिक की परेशानियों को लेकर अस्पताल पहुंचे, जबकि पोस्ट को भी कैंसर और बाल रोग में एक-दो मरीज ही ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचे.
बता दें, दून मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने के लिए ओपीडी में आने वाले मरीजों को अपॉइंटमेंट लेना होता है. अगर दून अस्पताल में ओपीडी के डॉक्टर को आप दिखाना चाहते हैं तो आप 9412081712 नंबर पर कॉल कर अपना अपॉइंटमेंट फिक्स कर सकते हैं.
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पुरानी इमारत में जल्द शुरू होगी ओपीडी
दून मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. केके टम्टा ने बताया कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो पुरानी इमारत को जल्द ही सैनिटाइज करके वहां ओपीडी और ऑपरेशन की प्रक्रिया शरू कर दी जाएगी. इसके लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से सभी तैयारियां की जा रही हैं. सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने के लिए ओपीडी के बाहर गोल घेरे बनाए जाएंगे, ताकि इंफेक्शन के चांसेस कम हो सकें. डॉक्टर्स के चेंबर के बाहर अतिरिक्त व्यवस्था के तहत सुरक्षाकर्मियों और वार्ड बॉय को सोशल डिस्टेंस मेंटेन करवाने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई. उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है.
श्वांस रोगियों के लिए हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के चिकित्सक की सलाह
हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन की चिकित्सक डॉ. राखी खंडूरी ने बताया कि सर्दी बढ़ने के साथ ही कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. खासतौर पर ऐसे लोग जिनके फेफड़े कोरोना से प्रभावित हुए हैं. ऐसे में प्रदूषण और कोरोनावायरस से बचने का एक ही उपाय है कि नियमित तौर पर मास्क लगाएं.
श्वास रोगियों के लिए कोरोना के साथ सर्दी और प्रदूषण का भी है खतरा
डॉ. राखी खंडूरी ने बताया कि सर्दी बढ़ने के साथ ही श्वांस के मरीजों के लिए दिक्कतें भी बढ़ जाती हैं. ऐसे में मरीजों को पहले से ही अलर्ट की जरूरत है, लेकिन इस बार चुनौतियां बढ़ गई हैं. श्वांस की पुरानी बीमारी के साथ सर्दी प्रदूषण और कोरोनावायरस से भी जूझना होगा.
वायरस ज्यादा देर हवा में ठहरेगा
डॉ. राखी खंडूरी ने बताया कि अभी औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक करीब 170 है, जबकि मानकों के हिसाब से सेहतमंद हवा का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 होना चाहिए. तापमान में गिरावट के साथ दीपावली पर प्रदूषण का स्तर और बढ़ेगा, जिससे हवा जहरीली होगी प्रदूषण बढ़ने पर धूल के कण कम ऊंचाई पर जमा हो जाएंगे और वायरस आसानी से ज्यादा देर तक ठहरेगा.
इनफ्लुएंजा के रोगी समय पर टीके लगवाएं
डॉ. राखी खंडूरी ने बताया कि बढ़ती सर्दी व प्रदूषण की वजह से अस्थमा के अटैक का भी खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में जरूरी है कि क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज( सीओपीडी) अस्थमा के रोगी जिन्हें हर साल इनफ्लुएंजाए के टीके लगते हैं. वह जरूर लगवा लें और इन्हेलर भी साथ रखें. दीपावली पर पटाखों और उससे होने वाले प्रदूषण से भी दूर रहें.
ऐसे करें बचाव
- नियमित तौर पर मास्क का प्रयोग करें.
- साथ में मौजूद वस्तुएं सैनिटाइज करते रहें.
- बाहर निकले तो लोगों से एक मीटर की दूरी बनाए रखें.
- घर में प्रवेश करें तो दरवाजे के हैंडल और डोरबेल को सैनिटाइज कर लें.
- अगर लिफ्ट का बटन छुआ है तो हाथ सेनीटाइज करें.
- दीपावली पर पटाखों से बचें.