देहरादून: पिछले 2 महीनों से देहरादून के तीन श्मशान घाटों पर शव जलाने तक की जगह नहीं मिल पा रही थी. आलम यह था कि एक चिता ठंडी नहीं होती थी, तब तक दूसरी चिता कंधे पर लेकर लोग पहुंच जाते थे. श्मशान घाट प्रबंधन की मानें तो हालत ये हो गई थी कि एक दिन में एक श्मशान घाट पर शव जलाने का आंकड़ा दो दर्जन से ज्यादा पहुंच गया था. जिस वजह से श्मशान घाट प्रशासन को शव जलाने के लिए बाहर से लोग भी हायर करने पड़े थे. इतना ही नहीं, शव जलाने की व्यवस्थाओं को व्यवस्थित करने के लिए तीनों श्मशान घाटों पर टोकन की व्यवस्था को भी लागू किया गया था, मगर अब धीरे-धीरे ये संख्या कम हो रही है, जो कि सूकून देने वाली खबर है.
तीनों श्मशान घाटों पर जलने वाले शवों की संख्या 20 से 25
कोरोना कर्फ्यू के बाद जो सिलसिला 2 महीने से नहीं टूटा था. वह अब पिछले 3 दिनों से टूटने लगा है. यानी अब जिन तीनों श्मशान घाटों पर करीब 60-70 शव जलाएं जा रहे थे, अब इन तीनों श्मशान घाटों पर शव जलाने की कुल संख्या 20 से 25 पहुंच गई है. उम्मीद है कि आने वाले अगले एक हफ्ते में फिर से श्मशान घाटों पर रोजाना चार से पांच शव ही पहुंचेंगे. बहरहाल, राज्य में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या भले ही अभी भी लगभग 180 से ऊपर हो, लेकिन श्मशान घाट पर आने वालों शवों की संख्या पर विराम लगता नजर आ रहा है, जो कि अच्छी बात है.
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दूसरी लहर में एक ही घाट पर जल रहे थे 20 से 25 शव
राजधानी देहरादून में तीन श्मशान घाट हैं. जिनमें लक्खी बाग, नालापानी चौक स्थित श्मशान घाट और चंद्रबनी श्मशान घाट शामिल हैं. इनमें देहरादून ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी शव जलाने के लिए लाए जाते हैं. अगर सामान्य दिनों की बात करें तो इन तीनों ही श्मशान घाटों पर रोजाना करीब 4 से 5 शव ही आते थे. लेकिन कोरोना काल में प्रत्येक श्मशान घाट पर आने वाले शवों का आंकड़ा बढ़कर 20 से 25 तक पहुंच गया था. मगर अब राहत भरी खबर है कि इन घाटों पर आने वाले शवों की संख्या में कमी देखी जा रही है.
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हेल्थ बुलेटिन और जलाये जा रहे शवों की संख्या में अंतर
स्वास्थ्य विभाग की ओर से रोजाना जारी किए जा रहे हेल्थ बुलेटिन में मौत के आंकड़े और श्मशान घाटों पर जलाए जा रहे शवो की संख्या पर ध्यान दें तो यह आंकड़े इस बात की बयां कर रहे है कि जब स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ बुलेटिन में मौत का आंकड़ा कम था. उस दौरान श्मशान घाटों पर जलाए जा रहे शवों की संख्या अधिक थी. ऐसे में ये आंकड़े इस ओर इशारा कर रहे हैं कि इन श्मशान घाटों पर आने वाले शवों में से तमाम शव ऐसे रहे होंगे जो कोरोना संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन उस व्यक्ति ने अपना कोविड टेस्ट न कराया हो.
लक्खी बाग श्मशान घाट में सामान्य होने लगे हालात
लक्खी बाग श्मशान घाट में पिछले 2 महीने से रोजाना करीब 25 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा था. जब ईटीवी भारत की टीम ने लक्खी बाग श्मशान घाट के पुजारी पंडित रोहित शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है जब रोजाना पिछले 2 महीने से करीब 25 शवों का दाह संस्कार किया जा रहा है. सामान्य दिनों में कभी साल में एक दिन ऐसा होता था जब 25 शव एक दिन में जलाए जाते हैं.
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पिछले 3 दिनों से शवों की संख्या घटकर पहुंची 11
वे बताते हैं कि अब शवों के पहुंचने का सिलसिला कम हो गया है. पिछले 3 दिनों से यह संख्या घटकर 11 पहुंच गई. यही नहीं, रोहित शर्मा ने बताया कि 15 मई को इस श्मशान घाट पर 4 शवों का दाह संस्कार किया गया था. इसी तरह 16 मई को 11 शव, 17 मई को भी 12 शवो का दाह संस्कार किया गया है. रोहित ने देहरादून के अन्य श्मशान घाट के बारे में बताते हुए कहा पिछले 2 महीने से यही स्थिति उन श्मशान घाटों पर भी बनी हुई थी, मगर अब सब जगह हालात सामान्य होने लगे हैं.
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मरने वालों में शामिल 35 से 60 साल के लोग
यही नहीं, जब रोहित शर्मा से यह सवाल किया गया कि किस उम्र के लोगों का शव यहां सबसे अधिक आया तो उन्होंने बताया कि लक्खी बाग श्मशान घाट पर 35 से 60 साल के लोगों के शवों की संख्या अधिक रहती है. रोहित बताते हैं कि पिछले 2 महीने से जब शवों की संख्या अधिक आने लगी थी, उस दौरान श्मशान घाट में शवों का अंबार न लग जाए, इसके लिए तीनों श्मशान घाटों पर टोकन सिस्टम लागू किया गया. जिससे तय समय और व्यवस्थित तरीके से शवों का दाह संस्कार किया जा सके.
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ये है तीनों घाटों का आंकड़ा
रोहित बताते हैं कि लक्खी बाग श्मशान घाट में रोजाना 10 से 11 शव, चंद्रबनी श्मशान घाट में 7 से 8 शव और नालापानी चौक स्थित श्मशान घाट में 4 से 5 शव रोज आ रहे हैं.
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हालात बिगड़ने पर जाते हैं लोग अस्पताल
राज्य सरकार भी इस बात को मान रही है कि लोग टेस्ट न करा कर कोरोना संक्रमित होने के बावजूद भी इस बात को छुपा रहे हैं. इस बाबत जब शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि लोग हॉस्पिटल तब जा रहे हैं. जब उनकी हालत सबसे ज्यादा खराब हो जाती है. जिस वजह से हालात बिगड़ जाते हैं. उन्होंने कहा राज्य सरकार लगातार लोगों से अपील कर रही है कि समय रहते अपना कोविड टेस्ट करा लें.
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सरकार की सख्ती और लोगों की जागरुकता से जीतेंगे जंग
उन्होंने कहा खासकर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा मामले सबसे अधिक देखे जा रहे हैं, मगर लोगों को यह समझना होगा कि टेस्ट कराना न सिर्फ उस व्यक्ति के लिए बल्कि उसके परिवार और गांव के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. उन्होंने कहा सरकार की सख्ती और लोगों की जागरुकता से जरुर हम कोरोना की चेन को तोड़ने में कामयाब होंगे.