देहरादून: लॉकडाउन 4 में कोरोना के नए मामले की रफ्तार तेज हो गई है. उत्तराखंड में कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों के कारण सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं. ऐसे में हर कोई सरकार से एक सवाल पूछ रहा है कि जब प्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या बेहद कम थी. उस समय लॉकडाउन में सख्ती थी. अब जब प्रदेश में कोरोना तेजी से फैल रहा है तो लॉकडाउन में इतनी ढील क्यों दी जा रही है.
पूरे मामले में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह का कहना है कि अगर शुरुआती दौर में लॉकडाउन नहीं किया गया होता तो आज की स्थिति शुरुआती दौर में ही दिखने लगती. ऐसी स्थिति में सरकार के पास ना तैयारी करने का समय होता और ना लोग आज इतने जागरुक हो पाते.
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के मुताबिक कोरोना के शुरुआती दौर में N-95 मास्क, पीपीई किट, वेंटिलेटर, ICU, ऑक्सीजन की व्यवस्था करना हमारी प्राथमिकता थी. आज हम कोरोना से लड़ने को पूरी तरह से तैयार हैं. शुरुआती दौर के लॉकडाउन में कोरोना का संक्रमण न्यूनतम था. जिसकी वजह से सरकार ने तैयारियां की और आज हम कोरोना से हर मोर्चे पर लड़ने को तैयार हैं.
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मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में जिस तरह से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. पूरे देश में कोरोना मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी होना तय था. अगर शुरुआती दौर में लॉकडाउन नहीं किया जाता तो इतनी बड़ी संख्या में मरीजों को संभालना बेहद मुश्किल हो जाता. हमारे सामने ऐसे कई देशों के उदाहरण हैं. जहां तैयारी नहीं होने की वजह से कोरोना ने कोहराम मचाया है. इसे देखते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा एक प्लानिंग के साथ हर एक कदम को उठाया गया है.
मुख्य सचिव ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से दूसरे प्रदेशों में रह रहे उत्तराखंड के लोगों पर आर्थिक संकट मंडरा रहा था. जिसको देखते हुए सरकार उन्हें धीरे-धीरे वापस ला रही है. मुख्य सचिव के मुताबिक जानकारों का मानना है कि कोरोना का संक्रमण अभी लंबा चलेगा. सरकार अभी लॉकडाउन में ढील नहीं देती तो लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाता. ऐसे में सरकार बैलेंस बनाकर सभी निर्णय ले रही है.