देहरादून: सरकारी विभागों को अपना भवन किराए पर देकर कांग्रेस नेता लक्ष्मी राणा बुरी तरह फंस गई हैं, क्योंकि जिस कर्मकार कल्याण बोर्ड और ईएसआई विभाग को उन्होंने अपना भवन किराए पर दिया था. उन्होंने 4 महीनों से भवन का किराया नहीं दिया है. बोर्ड पर करीब ढाई लाख का बकाया है.
वहीं, इसी भवन में 2 फ्लोर पर स्थित ईएसआई विभाग ने पिछले डेढ़ साल से किराया भुगतान नहीं किया है. करीब नौ लाख की रकम ईएसआई पर भी बकाया है. यही नहीं, 4 साल से बिजली का बिल भी भुगतान नहीं किया गया है. इस सब से आजिज आकर अब भवन स्वामी ने कर्मकार कल्याण बोर्ड को भवन खाली करने का नोटिस दिया है.
सरकारी विभागों को अपना भवन किराए पर देकर किराए को लेकर भवन स्वामी निश्चिंत हो जाते हैं. क्योंकि माना जाता है कि सरकारी विभाग तो समय पर पूरा किराया मिल जाएगा, लेकिन कांग्रेस की नेत्री लक्ष्मी राणा ने जब ईएसआई और कर्मकार कल्याण बोर्ड को अपना भवन किराए पर दिया होगा तो उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि उनका यह कदम उनके लिए परेशानी का सबब बन जाएगा. क्योंकि दोनों विभागों ने कई महीनों से किराए का भुगतान नहीं किया. साथ ही 4 साल से बिजली बिल भी नहीं दिया है. दोनों विभागों को करीब 12 लाख रुपए किराया का भुतगान करना है, जिसको लेकर लक्ष्मी राणा ने नोटिस भेजा है.
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कर्मकार कल्याण बोर्ड को भवन खाली करने का नोटिस अब लक्ष्मी राणा ने दे दिया है. एक तरफ ज्यादा किराया लेने को लेकर भवन स्वामी को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया गया. वहीं, इस मामले के सामने आने के बाद भवन स्वामी ने साफ किया कि जिलाधिकारी द्वारा तय किए गए किराए से भी कम किराया उन्हें दिया जा रहा है. बावजूद इसके ज्यादा रकम बताकर उन्हें बदनाम भी किया जा रहा है. इस मामले को लेकर भवन स्वामी लक्ष्मी राणा ने विभागीय मंत्री से इसकी शिकायत की और भवन किराए दिलवाने की मांग की. साथ ही कर्मकार कल्याण बोर्ड से भवन खाली भी करवाने की मांग की.
मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि जिस तरह से भवन के किराए को लेकर गलत खबरों को प्रसारित किया गया है, उसकी भवन स्वामी ने मुझे शिकायत की है और किराया न मिलने की भी शिकायत की है, जिसके बाद भवन खाली करने का नोटिस दिया गया है. इस शिकायत के बाद मैंने विभाग को जल्द किराया भुगतान करने के आदेश दिए हैं. इन आरोपों को लेकर ऐसा प्रतीत होता है कि भवन किराए के मामले में जानबूझकर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की गई और इस मामले में कुछ लोगों की छवि भी खराब करने की कोशिश की गई. हालांकि इस मामले में क्यों ऐसा हुआ इसका पता जांच के बाद ही चल पाएगा.