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बर्फबारी न होने से फीकी हुई हिल स्टेशनों की चमक, बिजनेस में आई 70% गिरावट, मुरझाये पर्यटकों के चेहरे

Uttarakhand Weather,Snowfall in Uttarakhand उत्तराखंड के पहाड़ी पर्यटक स्थलों पर अभी तक बर्फबारी नहीं हुई है. बर्फबारी न होने से पर्यटक मायूस हैं. वहीं, स्थानीय व्यापारियों के कामकाज पर भी इसका असर पड़ा है. बर्फबारी न होने के कारण बिजनेस में 70% गिरावट दर्ज की गई है.मौसम विभाग ने भी 20 जनवरी तक बर्फबारी की संभावना से इंकार किया है.

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बर्फबारी न होने से फीकी हुई हिल स्टेशनों की चमक
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 13, 2024, 8:34 PM IST

Updated : Jan 13, 2024, 10:45 PM IST

बर्फबारी न होने से फीकी हुई हिल स्टेशनों की चमक

देहरादून: उत्तराखंड में आधी जनवरी बीतने के बाद भी मौसम का मिजाज समझ नहीं आ रहा है. अभी तक उत्तरखंड में बर्फबारी नहीं हुई है. जिसके कारण प्रदेश के पहाड़ी पर्यटन स्थल मसूरी, नैनीताल, चमोली, चकराता में सन्नाटा पसरा है. बर्फबारी नहीं होने के कारण स्थानीय व्यापारियों को चेहरे भी मुरझाये हुए हैं. मौसम विभाग की भविष्यवाणी और संभावनाएं थोड़ा बहुत पर्यटकों और व्यापारियों की उम्मीदों को संबल दे रही है, मगर अभी भी सभी को इंतजार बर्फबारी का है.

साल 2021 और साल 2022 में भी मौसम कुछ इसी तरह का था. इन सालों में जनवरी महीने के शुरुआती दिनों में ही सभी हिल स्टेशन पर बर्फबारी शुरू हो गई थी. इस बार भी सभी को अंदेशा था कि नैनीताल, मसूरी, और चकराता जैसे हिल स्टेशन पर बर्फबारी होगी. मौसम विभाग ने भी दिसंबर के अंत में बर्फबारी की भविष्यवाणी की थी, मगर हैरानी की बात यह है कि बर्फबारी तो छोड़िए बर्फबारी से पहले होने वाली बारिश भी पहाड़ों से गायब है. जिसके कारण पर्यटक पहाड़ नहीं चढ़ रहे हैं. उत्तराखंड में ऊपरी इलाकों में भले ही बर्फबारी है, लेकिन पर्यटक स्थल इससे अछूते हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड में जम गए नदी और झरने, कुदरत की कारीगरी देख आप भी कहेंगे वाह!


बर्फबारी ना होने से काम पर पड़ा असर: कभी बर्फ़बारी से लकदक रहने वाली औली हो या मिनी स्विट्ज़रलैंड कहे जाने वाला चकराता में इन दिनों बर्फ़बारी का नामो निशान नहीं है. ऐसा लगभग 14 साल बाद है जब जनवरी के इन दिनों तक बर्फ़बारी ना हुई हो. आलम ये है की औली तक में बर्फ़बारी नहीं हुई है. आमतौर पर औली में दिसंबर के शुरुवाती दिनों में ही बर्फ़बारी हो जाती है. बर्फ़बारी ना होने से उत्तराखंड सहित पहाड़ी राज्यों के व्यवसाय पर भी इसका बड़ा असर पड़ रहा है. उत्तराखंड के नैनीताल होटल एसोसिएशन नैनीताल के अध्यक्ष दिग्विजय बिष्ट कहते हैं हमने हाल फिलहाल के सालों में ऐसा नहीं देखा है जैसा इस बार हुआ है. अभी तक हल्की बर्फ़बारी भी नहीं हुई है. उन्होंने कहा अगर अब भी नैनीताल में बर्फ़बारी नहीं होगी तो यहां का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो जाएगा.

पढ़ें- देखनी है 'जन्नत' तो चले आइए उत्तराखंड, देवरिया ताल की खूबसूरती के हो जाएंगे कायल

बिजनेस में आई 70% गिरावट, पर्यटक भी मायूस: दिग्विजय बिष्ट ने बताया बताया इस बार लगभग 70% व्यवसाय में कमी आ गई है. होटल खाली हैं. बोट व्यवसाय हो या अन्य कामकाजी लोग हाथ पर हाथ रखें खाली बैठ हैं. उत्तराखंड घूमने आने वाले पर्यटक भी इस सूखी ठंड को देख कर बहुत मायूस है. इस मौसम में बर्फ़बारी का आनंद लेने के लिए पहुंचे पर्यटक उत्तराखंड से मायूस लौट रहे हैं. पर्यटक बड़ी की उम्मीद भरी नजरों से लोगों से बर्फबारी के बारे में जानकारी लेते हैं, मगर जब उन्हें जवाब में ना सुनने को मिलता है तो वे रुआंसे हो जाते हैं.

पढ़ें- जन्नत से कम नहीं देवभूमि, यहां आप कर सकेंगे खुद से बातें

सूखी जाएगी जनवरी, कोहरे से भी नहीं मिलेगी निजात: उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में इन दिनों घना कोहरा है. हरिद्वार, सहारनपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, पंजाब से आने वाली सड़कों पर आसपास की गाड़ियां भी दिखाई नहीं दे रही हैं. ऐसे में बीते कई सालों से कोहरे के कारण हुए हादसे भी पर्यटकों को डराते हैं. मौसम विभाग की मानें तो अभी निचले इलाकों को कोहरे से निजात नहीं मिलेगी. बर्फबारी सवाल पर मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह ने कहा 20 जनवरी तक किसी तरह की कोई भी बर्फबारी की संभावना नहीं बन रही है.उन्होंने बताया पहाड़ों पर सूखे की वजह धीमी हवाएं हैं. साल 2005 और 2006 के बीच में भी ऐसा ही देखने के लिए मिला था. मौसम निदेशक फिलहाल जनवरी महीने में किसी भी तरह की बर्फबारी की उम्मीद से इंकार कर रहे हैं.

बर्फबारी न होने से फीकी हुई हिल स्टेशनों की चमक

देहरादून: उत्तराखंड में आधी जनवरी बीतने के बाद भी मौसम का मिजाज समझ नहीं आ रहा है. अभी तक उत्तरखंड में बर्फबारी नहीं हुई है. जिसके कारण प्रदेश के पहाड़ी पर्यटन स्थल मसूरी, नैनीताल, चमोली, चकराता में सन्नाटा पसरा है. बर्फबारी नहीं होने के कारण स्थानीय व्यापारियों को चेहरे भी मुरझाये हुए हैं. मौसम विभाग की भविष्यवाणी और संभावनाएं थोड़ा बहुत पर्यटकों और व्यापारियों की उम्मीदों को संबल दे रही है, मगर अभी भी सभी को इंतजार बर्फबारी का है.

साल 2021 और साल 2022 में भी मौसम कुछ इसी तरह का था. इन सालों में जनवरी महीने के शुरुआती दिनों में ही सभी हिल स्टेशन पर बर्फबारी शुरू हो गई थी. इस बार भी सभी को अंदेशा था कि नैनीताल, मसूरी, और चकराता जैसे हिल स्टेशन पर बर्फबारी होगी. मौसम विभाग ने भी दिसंबर के अंत में बर्फबारी की भविष्यवाणी की थी, मगर हैरानी की बात यह है कि बर्फबारी तो छोड़िए बर्फबारी से पहले होने वाली बारिश भी पहाड़ों से गायब है. जिसके कारण पर्यटक पहाड़ नहीं चढ़ रहे हैं. उत्तराखंड में ऊपरी इलाकों में भले ही बर्फबारी है, लेकिन पर्यटक स्थल इससे अछूते हैं.

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बर्फबारी ना होने से काम पर पड़ा असर: कभी बर्फ़बारी से लकदक रहने वाली औली हो या मिनी स्विट्ज़रलैंड कहे जाने वाला चकराता में इन दिनों बर्फ़बारी का नामो निशान नहीं है. ऐसा लगभग 14 साल बाद है जब जनवरी के इन दिनों तक बर्फ़बारी ना हुई हो. आलम ये है की औली तक में बर्फ़बारी नहीं हुई है. आमतौर पर औली में दिसंबर के शुरुवाती दिनों में ही बर्फ़बारी हो जाती है. बर्फ़बारी ना होने से उत्तराखंड सहित पहाड़ी राज्यों के व्यवसाय पर भी इसका बड़ा असर पड़ रहा है. उत्तराखंड के नैनीताल होटल एसोसिएशन नैनीताल के अध्यक्ष दिग्विजय बिष्ट कहते हैं हमने हाल फिलहाल के सालों में ऐसा नहीं देखा है जैसा इस बार हुआ है. अभी तक हल्की बर्फ़बारी भी नहीं हुई है. उन्होंने कहा अगर अब भी नैनीताल में बर्फ़बारी नहीं होगी तो यहां का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो जाएगा.

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बिजनेस में आई 70% गिरावट, पर्यटक भी मायूस: दिग्विजय बिष्ट ने बताया बताया इस बार लगभग 70% व्यवसाय में कमी आ गई है. होटल खाली हैं. बोट व्यवसाय हो या अन्य कामकाजी लोग हाथ पर हाथ रखें खाली बैठ हैं. उत्तराखंड घूमने आने वाले पर्यटक भी इस सूखी ठंड को देख कर बहुत मायूस है. इस मौसम में बर्फ़बारी का आनंद लेने के लिए पहुंचे पर्यटक उत्तराखंड से मायूस लौट रहे हैं. पर्यटक बड़ी की उम्मीद भरी नजरों से लोगों से बर्फबारी के बारे में जानकारी लेते हैं, मगर जब उन्हें जवाब में ना सुनने को मिलता है तो वे रुआंसे हो जाते हैं.

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सूखी जाएगी जनवरी, कोहरे से भी नहीं मिलेगी निजात: उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में इन दिनों घना कोहरा है. हरिद्वार, सहारनपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, पंजाब से आने वाली सड़कों पर आसपास की गाड़ियां भी दिखाई नहीं दे रही हैं. ऐसे में बीते कई सालों से कोहरे के कारण हुए हादसे भी पर्यटकों को डराते हैं. मौसम विभाग की मानें तो अभी निचले इलाकों को कोहरे से निजात नहीं मिलेगी. बर्फबारी सवाल पर मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह ने कहा 20 जनवरी तक किसी तरह की कोई भी बर्फबारी की संभावना नहीं बन रही है.उन्होंने बताया पहाड़ों पर सूखे की वजह धीमी हवाएं हैं. साल 2005 और 2006 के बीच में भी ऐसा ही देखने के लिए मिला था. मौसम निदेशक फिलहाल जनवरी महीने में किसी भी तरह की बर्फबारी की उम्मीद से इंकार कर रहे हैं.

Last Updated : Jan 13, 2024, 10:45 PM IST
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