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स्वरोजगार से निकिता ने बदली किस्मत, गृहणियों के लिए बनीं प्रेरणा स्त्रोत

मसूरी शहर की मलिंगार निवासी निकिता इन दिनों घर में पड़े पुराने सामान और बाजार से रॉ मैटेरियल लाकर घर की साजों सज्जा का सामान तैयार कर रही हैं. जिसकी स्थानीय स्तर पर काफी डिमांड है.

Nikita chaudhary changed her luck
स्वरोजगार से निकिता ने बदली किस्मत
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Published : Jul 18, 2021, 8:43 PM IST

Updated : Jul 18, 2021, 9:27 PM IST

मसूरी: कोरोना काल में लाखों लोगों का रोजगार छीन गया है. ऐसे में कई युवा स्वरोजगार अपना कर ना सिर्फ अपने जीवन को दिशा दे रहे हैं, बल्कि लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बन रहे हैं. ऐसी ही कुछ कहानी है लंढौर छावनी क्षेत्र के मलिंगार निवासी निकिता चौहान की. जो स्वरोजगार के जरिए अपने परिवार का सहारा बनी हुई हैं. साथ ही क्षेत्र की महिलाओं के किसी प्रेरणा से कम नहीं.

निकिता का कार्य गृहणियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने वाला है. मसूरी शहर की मलिंगार निवासी निकिता इन दिनों घर में पड़े पुराने सामान और बाजार से रॉ मैटेरियल लाकर घर की साजों सज्जा का सामान तैयार कर रही हैं. जिसकी स्थानीय स्तर पर काफी डिमांड है. साथ ही रक्षाबंधन को लेकर निकिता रंगबिरंगी राखियां भी बना रही हैं.

स्वरोजगार से निकिता ने बदली किस्मत

निकिता चौहान ने बताया कि पिछले साल उन्होंने प्रयोग के तौर पर घर में रखे वेस्ट मैटेरियल की राखी बनाई थी. जिसे लोगों ने पंसंद किया और करीब तीन सौ राखियां खरीदी. राखी बनाने के लिए निकिता मोती, रूद्राक्ष, कलावा आदि का इस्तेमाल करती है. वहीं, राखी बनाने में घर के सभी सदस्यों निकिता का सहयोग करते हैं. निकिता के ससुर, सास भी राखी बनाने में उसकी मदद करते हैं. वहीं, निकिता को अब तक हजार राखियों के ऑर्डर हैं. इसके अलावा आसपास के लोग बड़ी संख्या में राखी का आर्डर दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें: स्वरोजगार की नजीर पेश कर रहे पिथौरागढ़ के 'Apple Man'

निकिता ने बताया कि कोरोना काल में घर चलाना मुश्किल हो गया था. तब मैंने राखी बनाने का कार्य शुरू किया. पहले लोगों ने पसंद नहीं किया, लेकिन उन्होंने नया लुक देकर राखियां बनानी जारी रखी. अब सभी राखियों की डिमांड कर रहे हैं. इस काम में घर के सभी सदस्यों का सहयोग मिलता है. एक दिन में सौ राखियां बन जाती है और एक राखी दस रूपये में बिक जाती है.

इसके साथ ही अब सजावटी सामान भी बनाना शुरू कर दिया है, जिसमें गणेश, लक्ष्मी सहित अन्य देवी देवताओं के सजावटी वस्तुएं भी बनायी जा रही है. उन्होंने कहा कि घर में रहकर ही महिलाएं अपने परिवार की आर्थिकी में मदद कर सकती हैं. यह रोजगार का जरिया बन सकता है. सरकार को इस तरह के कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करना चाहिए.

मसूरी: कोरोना काल में लाखों लोगों का रोजगार छीन गया है. ऐसे में कई युवा स्वरोजगार अपना कर ना सिर्फ अपने जीवन को दिशा दे रहे हैं, बल्कि लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी बन रहे हैं. ऐसी ही कुछ कहानी है लंढौर छावनी क्षेत्र के मलिंगार निवासी निकिता चौहान की. जो स्वरोजगार के जरिए अपने परिवार का सहारा बनी हुई हैं. साथ ही क्षेत्र की महिलाओं के किसी प्रेरणा से कम नहीं.

निकिता का कार्य गृहणियों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने वाला है. मसूरी शहर की मलिंगार निवासी निकिता इन दिनों घर में पड़े पुराने सामान और बाजार से रॉ मैटेरियल लाकर घर की साजों सज्जा का सामान तैयार कर रही हैं. जिसकी स्थानीय स्तर पर काफी डिमांड है. साथ ही रक्षाबंधन को लेकर निकिता रंगबिरंगी राखियां भी बना रही हैं.

स्वरोजगार से निकिता ने बदली किस्मत

निकिता चौहान ने बताया कि पिछले साल उन्होंने प्रयोग के तौर पर घर में रखे वेस्ट मैटेरियल की राखी बनाई थी. जिसे लोगों ने पंसंद किया और करीब तीन सौ राखियां खरीदी. राखी बनाने के लिए निकिता मोती, रूद्राक्ष, कलावा आदि का इस्तेमाल करती है. वहीं, राखी बनाने में घर के सभी सदस्यों निकिता का सहयोग करते हैं. निकिता के ससुर, सास भी राखी बनाने में उसकी मदद करते हैं. वहीं, निकिता को अब तक हजार राखियों के ऑर्डर हैं. इसके अलावा आसपास के लोग बड़ी संख्या में राखी का आर्डर दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें: स्वरोजगार की नजीर पेश कर रहे पिथौरागढ़ के 'Apple Man'

निकिता ने बताया कि कोरोना काल में घर चलाना मुश्किल हो गया था. तब मैंने राखी बनाने का कार्य शुरू किया. पहले लोगों ने पसंद नहीं किया, लेकिन उन्होंने नया लुक देकर राखियां बनानी जारी रखी. अब सभी राखियों की डिमांड कर रहे हैं. इस काम में घर के सभी सदस्यों का सहयोग मिलता है. एक दिन में सौ राखियां बन जाती है और एक राखी दस रूपये में बिक जाती है.

इसके साथ ही अब सजावटी सामान भी बनाना शुरू कर दिया है, जिसमें गणेश, लक्ष्मी सहित अन्य देवी देवताओं के सजावटी वस्तुएं भी बनायी जा रही है. उन्होंने कहा कि घर में रहकर ही महिलाएं अपने परिवार की आर्थिकी में मदद कर सकती हैं. यह रोजगार का जरिया बन सकता है. सरकार को इस तरह के कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करना चाहिए.

Last Updated : Jul 18, 2021, 9:27 PM IST
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