देहरादून: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू हो चुकी है. अब हर दिन हजारों की संख्या में यात्री चारधाम यात्रा पर पहुंच रहे हैं. ऐसे में यात्रा रूट पर कूड़ा निस्तारण शासन-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है. यात्रा रूट के 26 शहरों में सॉलिड वेस्ट को कैसे मैनेज किया जा रहा है, ईटीवी भारत लगातार इसकी पड़ताल कर रहा है. इसके पहले चरण में हमने पाठकों को चारधाम यात्रा रूटस पर पहुंचने वाले कूड़े के बारे में बताया था. दूसरे एपिसोड में हमने उत्तरकाशी जिसे में कैसे कूड़े को मैनेज किया जा रहा है इसे लेकर बताया था. आज हम यात्रा रूट्स के 35 शहरों में कूड़ा निस्तारण की क्या व्यवस्था है इसके बारे में बताते हैं.
25 शहरों से हर दिन निकलता है 310 मीट्रिक टन कूड़ा: उत्तराखंड में मौजूद चारों धामों के रास्ते में 25 शहरों के तकरीबन 253 वॉर्ड पड़ते हैं. यहां पर कूड़ा निस्तारण की पूरी जिम्मेदारी वहां के स्थानीय नगर पालिका प्रशासन की होती है. ये प्रदेश सरकार के शहरी विकास विभाग के तहत आते हैं. विभागीय डाटा के अनुसार इन 25 शहरों के सभी 253 वार्डों से सामान्य दिनों में हर दिन 310 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है. हर दिन निकलने वाले इस कूड़े में से 80 फीसदी कूड़ा जो तकरीबन 248 मीट्रिक टन के बराबर होता है, उसे हर दिन प्रोसेस किया जाता है. बाकी का 20 फीसदी जो कूड़ा बचता है वह डंपिग यार्ड में डाल दिया जाता है.
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यात्रा के दौरान कूड़ा निस्तारण के लिए रात की शिफ्ट में भी होगा काम: यात्रा रूट पर मौजूद इन सभी 25 शहरों से निकलने वाले कूड़े को दो भागों में बांटा जाता है. एक जैविक कूड़ा होता है जिसे डिग्रेडेबल कूड़ा भी कहते हैं. इसे कंपोस्ट खाद बनाकर या फिर बड़े बड़े पिट में प्रोसेस करके रिसाइकिल कर लिया जाता है. कूड़े का दूसरा भाग अजैविक कूड़ा होता है. जिसमें ज्यादातर हिस्सा प्लास्टिक और कांच की बोतलों का होता है. उसे प्लास्टिक कंपैक्टर के माध्यम से आगे सप्लाई किया जाता है. यह प्रक्रिया आम दिनों की है, लेकिन अगर यात्रा सीजन के दौरान की बात करें तो यात्रा सीजन में कूड़ा निस्तारण यात्रा रूट पर पड़ने वाले इन सभी 25 छोटे बड़े शहरों के लिए एक बड़ी चुनौती रहने वाला है.
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शहरी विकास निदेशक ललित मोहन रयाल ने बताया यात्रा सीजन के अतिरिक्त दबाव को देखते हुए शहरी विकास विभाग लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है. उन्होंने बताया शहरी विकास मंत्री इस संबंध में पहले ही समीक्षा कर अतिरिक्त प्रर्यावरण मित्र यानी सफाई कर्माचारी यात्रा रूट पर तैनात करने के निर्देश दे चुके हैं. साथ ही विभाग द्वारा रात की शिफ्ट में भी सफाई करने के साफ तौर से निर्देश दिये गये हैं.
अब तक बेचा गया 1 करोड़ का कूड़ा: शहरी विकास विभाग के निदेशक ललित मोहन रयाल ने बताया यात्रा रूट पर पड़ने वाले सभी 25 शहरों से निकलने वाले अजैविक कूड़े को प्लास्टिक कंपैक्टर के माध्यम से प्लास्टिक बेल्स बनाकर इसकी बिक्री की जाती है. निदेशक ललित मोहन रयाल के अनुसार यात्रा रूट के सभी निकायों द्वारा अब तक एक करोड़ से ज्यादा का कूड़ा बेचा जा चुका है. इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा अब तक नगर पालिका जोशीमठ ने 60 लाख से ज्यादा का कूड़ा बेचा है.
अधिकारियों के अनुसार इस बेचे गए कूड़े को बड़ी-बड़ी कंपनियां खरीदती हैं. प्लास्टिक को दोबारा प्रोसेस करके उसे इस्तेमाल में लाया जाता है. वहीं, इसके अलावा अगर हम बात करें इन शहरों में प्रॉपर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की तो विभागीय जानकारी के अनुसार इन सभी 25 शहरों के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की डीपीआर भारत सरकार को भेजी जा चुकी है. निकट भविष्य में इस पर कार्यवाही गतिमान है.
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10 निकायों में लगे हैं कूड़े के ढेर: यात्रा रूट पर पड़ने वाले इन सभी 25 शहरों में कूड़े के निस्तारण को लेकर जब जानकारी जुटाई गई तो उसमें यह भी जानकारी निकलकर सामने आई कि 25 में से 10 निकायों में 8 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा डंप साइट पर पड़ा है. इस कूड़े के ढेर को लिगेसी वेस्ट यानी पुराने कूड़े का ढेर के रूप में देखा जा सकता है. स्थानीय पालिका प्रशासन इस कूड़े के पुराने ढेर को प्रदूषण रहित बनाने के लिए बायो रिमेडियेशन की प्रक्रिया अपना रहा है. अब तक इस प्रक्रिया के चलते 0.8 लाख मीट्रिक टन के डंप कूड़े को का निस्तारण किया जा चुका है. इसके अलावा अगर कोई भी कूड़े को इधर उधर या फिर नदियों की तरफ डंप करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है.