देहरादून: लॉकडाउन के बीच नेशनल हाइवे निर्माण का काम शुरू हो गया है. बीते दिनों केंद्र सरकार ने छूट देते हुए एनएच के काम को शुरू करने की अनुमति दी थी. ताकि काम जल्द से जल्द पूरा हो सके. इसी क्रम में रुड़की-देहरादून एनएच का काम भी जारी है. एनएच के काम में किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं. कितनी संख्या में मजदूर कार्य कर रहे हैं और कितनी गति से एनएच का काम हो रहा है. देखें ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट...
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से देश की जनता को बचाने के लिए सभी काम ठप पड़े हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने एनएच के कामों में गति लाने के लिए कार्य की अनुमति दे दी है. लिहाजा, अनुमति मिलने के बाद से ही एनएच का काम शुरू हो गया है. लेकिन मजदूर उपलब्ध ना हो पाने की वजह से बड़ी समस्या सामने आ रही है. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से मजदूर अपने घर जा चुके हैं. ऐसे में एक बड़ी चुनौती यह भी है कि किस तरह से कम लेबर और सीमित संसाधनों के बीच एनएच का काम पूरा किया जाए.
कम लेबर होने के चलते काम बेहद धीमी गति से चल रहा है. इसके साथ ही मशीनों के माध्यम से भी काम नहीं हो पा रहा है. क्योंकि मशीन ऑपरेटर और जेसीबी मशीनों के संचालक मौजूदा समय में अपने घरों में हैं. लिहाजा बिना मशीनों के ही मैनुअल तरीके से कार्य कराया जा रहा है. ऐसे में ना सिर्फ मजदूरों को मैनुअल तरीके से काम करना पड़ रहा है, बल्कि एनएच के कार्य की गति भी बेहद धीमी पड़ गई है. अब मजदूरों का ही इंतजार है, जिनके आने के बाद एनएच के कार्यों को गति मिलेगी.
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एनएच निर्माण कार्य के इंचार्ज ने ईटीवी भारत को बताया कि 20 अप्रैल से एनएच का कार्य शुरू हुआ है और इसके बाद से ही लगातार कार्य जारी है. हालांकि सीमित संसाधनों में ही कार्य चल रहा है. क्योंकि अधिकतर लेबर घर जा चुके हैं. ऐसे में कुछ लेबरों में ही काम चलाना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि फिलहाल रॉ मटेरियल उपलब्ध है. लॉकडाउन के बीच काम रुकने की वजह से स्टॉक बचा हुआ था. ऐसे में इसी रॉ मटेरियल से ही काम चल रहा है. इंचार्ज ने बताया कि एक बड़ी दिक्कत आ रही है कि जो बड़ी मशीनों को ऑपरेट करते थे वह अब अपने घर पर हैं. ऐसे में लॉकडाउन की वजह से वह नहीं आ पा रहे हैं.
मैनुअल तरीके से ही जितना काम हो सकता है, उतना काम किया जा रहा है. हालांकि, कुछ ऑपरेटर यहां मौजूद हैं जो मशीनों के तहत कार्य कर रहे हैं. लेबर का काम करने वाले लगभग सभी मजदूर उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड से हैं. काम कर रहे मजदूर ने बताया कि वह उत्तरप्रदेश के कानपुर का है. लॉकडाउन से पहले तमाम मजदूर कार्य कर रहे थे, लेकिन कई मजदूर लॉकडाउन से पहले और लॉकडॉउन के बाद घर जा चुके हैं. जो कुछ लोग यहां बचे हुए हैं जो एनएच का काम कर रहे हैं.