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NGT के आदेश से 6,000 उद्योगों पर मंडरा रहा खतरा, अधिकारियों पर भी गिरेगी गाज - देहरादून न्यूज

एनजीटी द्वारा भूजल दोहन को रोकने के लिए साल 2017 में आदेश दिए गए थे, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में संबंधित उद्योगों और जिम्मेदार अधिकारियों पर भी जल्द गाज गिरने वाली है.

भूजल दोहन के खिलाफ छ:हजार उद्योगों पर चलेगा एनजीटी का डंडा
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Published : Nov 21, 2019, 7:20 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 8:29 PM IST

देहरादून: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भूजल दोहन करने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. इसके तहत एनजीटी की अनुमति के बिना भूजल दोहन करने वाले प्रदेश के करीब छह हजार उद्योगों पर बंदी की तलवार लटक गई है.

बता दें कि साल 2017 में एनजीटी की ओर से अवैध रूप से भूजल दोहन करने वाले उद्योगों पर कार्रवाई करने के आदेश जारी किए गए थे. लेकिन अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में प्रदेश में भूजल का स्तर लगातार घट रहा है. वहीं, अब एनजीटी ने भी इस मामले में सख्त रुख अपना दिया है. ऐसे में अगर एनजीटी के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो भविष्य में जिम्मेदार अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है.

ये भी पढ़ें: बेरोजगारों के साथ बड़ा धोखा, 7 लाख 73 हजार में से सिर्फ 3652 को मिली नौकरी

गौरतलब है कि प्रदेश के जिन इलाकों में भूजल का स्तर ओवर एक्सप्लॉइटेड, क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल श्रेणी में पहुंच चुका है, उनमें काशीपुर और खटीमा का नाम भी शामिल है. काशीपुर में भूजल की वार्षिक उपलब्धता का 98.86 फीसदी तक दोहन किया जा रहा है. वहीं, खटीमा में यह स्तर 83.14 फीसदी तक पहुंच गया है. वहीं, धर्मनगरी हरिद्वार जलस्तर दोहन मामले में सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में आता है.

देहरादून: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भूजल दोहन करने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. इसके तहत एनजीटी की अनुमति के बिना भूजल दोहन करने वाले प्रदेश के करीब छह हजार उद्योगों पर बंदी की तलवार लटक गई है.

बता दें कि साल 2017 में एनजीटी की ओर से अवैध रूप से भूजल दोहन करने वाले उद्योगों पर कार्रवाई करने के आदेश जारी किए गए थे. लेकिन अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में प्रदेश में भूजल का स्तर लगातार घट रहा है. वहीं, अब एनजीटी ने भी इस मामले में सख्त रुख अपना दिया है. ऐसे में अगर एनजीटी के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो भविष्य में जिम्मेदार अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है.

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गौरतलब है कि प्रदेश के जिन इलाकों में भूजल का स्तर ओवर एक्सप्लॉइटेड, क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल श्रेणी में पहुंच चुका है, उनमें काशीपुर और खटीमा का नाम भी शामिल है. काशीपुर में भूजल की वार्षिक उपलब्धता का 98.86 फीसदी तक दोहन किया जा रहा है. वहीं, खटीमा में यह स्तर 83.14 फीसदी तक पहुंच गया है. वहीं, धर्मनगरी हरिद्वार जलस्तर दोहन मामले में सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में आता है.

Intro:देहरादून- एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध रूप से भूजल दोहन करने वाले उद्योगों पर कार्यवाही करने के स्पष्ट आदेश जारी कर दिए हैं इसके तहत बिना अनुमति भूजल दोहन करने वाले प्रदेश के 6000 उद्योगों पर बंदी की तलवार लटक गई है। गौरतलब है कि साल 2017 में एनजीटी की ओर से अवैध रूप से भूजल दोहन करने वाले उद्योगों पर कार्यवाही करने का आदेश जारी किया गया था । लेकिन अब तक कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है ।ऐसे में भूजल जैसी अनमोल धरोहर के संरक्षण में कोताही बरतने वाले अधिकारी भी अब कार्रवाई की जद में आ चुके हैं।


Body:यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एनजीटी के आदेश के बाद वर्ष 2017 से अब तक प्रदेश में सिर्फ करीब 1100 इकाइयों ने हीं भूजल दोहन के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति मांगी है। प्रदेश के जिन इलाकों में भूजल का स्तर ओवर एक्सप्लॉइटेड, क्रिटिकल व सेमी क्रिटिकल श्रेणी में पहुंच चुका है उसमें काशीपुर और खटीमा का नाम शामिल है। काशीपुर में भूजल की वार्षिक उपलब्धता का 98.86 फ़ीसदी तक दोहन किया जा रहा है वहीं खटीमा में यह स्तर 83.14फ़ीसदी तक पहुंच गया है इसके अलावा बाद धर्मनगरी हरिद्वार की करें तो हरिद्वार का बहादराबाद सेमी क्रिटिकल सैनी में आता है


Conclusion:
Last Updated : Nov 21, 2019, 8:29 PM IST

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