देहरादून: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भूजल दोहन करने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. इसके तहत एनजीटी की अनुमति के बिना भूजल दोहन करने वाले प्रदेश के करीब छह हजार उद्योगों पर बंदी की तलवार लटक गई है.
बता दें कि साल 2017 में एनजीटी की ओर से अवैध रूप से भूजल दोहन करने वाले उद्योगों पर कार्रवाई करने के आदेश जारी किए गए थे. लेकिन अधिकारियों की हीलाहवाली के चलते अब तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में प्रदेश में भूजल का स्तर लगातार घट रहा है. वहीं, अब एनजीटी ने भी इस मामले में सख्त रुख अपना दिया है. ऐसे में अगर एनजीटी के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो भविष्य में जिम्मेदार अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है.
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गौरतलब है कि प्रदेश के जिन इलाकों में भूजल का स्तर ओवर एक्सप्लॉइटेड, क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल श्रेणी में पहुंच चुका है, उनमें काशीपुर और खटीमा का नाम भी शामिल है. काशीपुर में भूजल की वार्षिक उपलब्धता का 98.86 फीसदी तक दोहन किया जा रहा है. वहीं, खटीमा में यह स्तर 83.14 फीसदी तक पहुंच गया है. वहीं, धर्मनगरी हरिद्वार जलस्तर दोहन मामले में सेमी क्रिटिकल की श्रेणी में आता है.