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हाइड्रोपावर प्लांट से पानी के रिसाव पर NGT गंभीर, कंपनी को जल्द कार्रवाई के दिए निर्देश

उत्तराखंड निवासी उत्तम सिंह भंडारी की याचिका पर NGT ने टिहरी में हाइड्रोपावर प्लांट के पानी के चैनल में रिसाव को बंद करने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल.
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Published : Sep 11, 2019, 11:06 PM IST

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने अलकनंदा हाइड्रोपावर कंपनी लिमिटेड को रिसाव बंद करने के निर्देश जारी किए हैं. उत्तराखंड निवासी उत्तम सिंह भंडारी की दायर याचिका में खुले चैनल के कारण फसल और मकानों में नुकसान की बात कही गई थी, जिसके बाद उत्तराखंड के टिहरी जिले में हाइड्रोपावर प्लांट के पानी के चैनल में रिसाव को बंद करने के लिए कदम उठाए जाने के निर्देश जारी किए गए हैं.

उत्तराखंड निवासी उत्तम सिंह भंडारी ने याचिका दायर की थी. याचिका में हाइड्रोपावर प्लांट के पानी के चैनलों में रिसाव को दुरूस्त करने के लिए उचित कदम उठाने और टिहरी गढ़वाल जिले के मांगसू, सुरासू और नौर थापली गांवों में लोगों का जीवन सुरक्षित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया कि अलकनंदा नदी पर एक बांध बनाकर 82.5 मेगावाट के चार टरबाइन के जरिए 330 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है. इस बांध से बिजली घर के बीच नदी करीब एक किलोमीटर भूमिगत चैनल से और 3.2 किलोमीटर खुले चैनल से गुजरती है. याचिका में कहा गया कि 2015 में बांध का पानी लीक होने से फसलों और मकानों को काफी नुकसान हुआ था.

ये भी पढ़ें: डर के आगे जीतः तेलंगाना के दो दिव्यांग युवकों ने फतह की 18 हजार फीट की ऊंचाई

दरअसल, एनजीटी की ओर से नियुक्त एक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. कमेटी में बिजली और ऊर्जा विभाग, उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि और टिहरी गढ़वाल के जिलाधिकारी शामिल हैं. रिपोर्ट में श्रीनगर हाइड्रोपावर प्लांट के सुपदा गांव के भूमिगत चैनल में रिसाव देखे जाने की बात कही गई है. कमेटी की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद एनजीटी ने ये आदेश जारी किया है.

नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने अलकनंदा हाइड्रोपावर कंपनी लिमिटेड को रिसाव बंद करने के निर्देश जारी किए हैं. उत्तराखंड निवासी उत्तम सिंह भंडारी की दायर याचिका में खुले चैनल के कारण फसल और मकानों में नुकसान की बात कही गई थी, जिसके बाद उत्तराखंड के टिहरी जिले में हाइड्रोपावर प्लांट के पानी के चैनल में रिसाव को बंद करने के लिए कदम उठाए जाने के निर्देश जारी किए गए हैं.

उत्तराखंड निवासी उत्तम सिंह भंडारी ने याचिका दायर की थी. याचिका में हाइड्रोपावर प्लांट के पानी के चैनलों में रिसाव को दुरूस्त करने के लिए उचित कदम उठाने और टिहरी गढ़वाल जिले के मांगसू, सुरासू और नौर थापली गांवों में लोगों का जीवन सुरक्षित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया कि अलकनंदा नदी पर एक बांध बनाकर 82.5 मेगावाट के चार टरबाइन के जरिए 330 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है. इस बांध से बिजली घर के बीच नदी करीब एक किलोमीटर भूमिगत चैनल से और 3.2 किलोमीटर खुले चैनल से गुजरती है. याचिका में कहा गया कि 2015 में बांध का पानी लीक होने से फसलों और मकानों को काफी नुकसान हुआ था.

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दरअसल, एनजीटी की ओर से नियुक्त एक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. कमेटी में बिजली और ऊर्जा विभाग, उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि और टिहरी गढ़वाल के जिलाधिकारी शामिल हैं. रिपोर्ट में श्रीनगर हाइड्रोपावर प्लांट के सुपदा गांव के भूमिगत चैनल में रिसाव देखे जाने की बात कही गई है. कमेटी की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद एनजीटी ने ये आदेश जारी किया है.

Intro:नई दिल्ली । नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने अलकनंदा हाइड्रो पावर कंपनी लिमिटेड को निर्देश दिया है कि वो उत्तराखंड के टिहरी जिले में हाइड्रोपावर प्लांट के पानी के चैनल में रिसाव को बंद करने के लिए कदम उठाए। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने ये आदेश जारी किया।



Body:याचिका उत्तराखंड निवासी उत्तम सिंह भंडारी ने दायर किया था। याचिका में हाइड्रोपावर प्लांट के पानी के चैनलों में रिसाव को दुरूस्त करने के लिए उचित कदम उठाने और टिहरी गढ़वाल जिले के मांगसू, सुरासू और नौर थापली गांवों में लोगों का जीवन सुरक्षित करने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि अलकनंदा नदी पर एक बांध बनाकर 82.5 मेगावाट के चार टरबाइन के जरिये 330 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। इस बांध से बिजली घर के बीच नदी करीब एक किलोमीटर भूमिगत चैनल से और 3.2किलोमीटर खुले चैनल से गुजरती है। याचिका में कहा गया था कि 2015 में बांध का पानी लीक होने से फसलों और मकानों को काफी नुकसान हुआ था।



Conclusion:दरअसल एनजीटी की ओर से नियुक्त एक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी । कमेटी में बिजली और ऊर्जा विभाग, उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि और टिहरी गढ़वाल के जिलाधिकारी शामिल हैं। रिपोर्ट में श्रीनगर हाइड्रोपावर प्लांट के सुपदा गांव के भूमिगत चैनल में रिसाव देखे जाने की बात कही गयी है। कमेटी की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद एनजीटी ने ये आदेश जारी किया।
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