देहरादून: स्कूलों में रोजगार परक शिक्षा देने की कोशिश अब आगे बढ़ रही है.राज्य के 200 स्कूलों से शुरू हुए इस कार्यक्रम में अब 350 नए स्कूलों को जोड़ा जा रहा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई है. जिसके चलते स्कूलों में ही छात्रों को उनकी रुचि के अनुसार रोजगार परक शिक्षा दी जा रही है. अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे राज्यभर के स्कूलों को इसमें जोड़ा जा रहा है.
राज्य में किताबी ज्ञान के अलावा छात्रों को रोजगार परक जानकारी देने पर भी जोर दिया जा रहा है. इसमें कक्षा 9 से 12वीं तक के छात्रों को कॉलेज में पहुंचने से पहले ही उनकी रूचि के अनुसार व्यवसायिक पाठ्यक्रम से रूबरू करवाया जा रहा है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत छात्रों को स्कूली शैक्षणिक पाठ्यक्रम के साथ रोजगार परक शिक्षा देने पर भी जोर दिया जा रहा है और इसी के तहत उत्तराखंड के स्कूलों में शुरुआत की गई थी. राज्य के करीब 200 स्कूलों में इसकी शुरुआत की गई थी, लेकिन अब छात्रों के उत्साह को देखते हुए और इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए 350 नए स्कूलों को भी इस कार्यक्रम में जोड़ा जा रहा है.
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जिन व्यवसायिक पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है. उसमें कृषि, टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी, इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, ब्यूटी एंड वैलनेस, हार्डवेयर, ऑटोमोटिव और आईटी शामिल है. रोजगार परक शिक्षा देने के लिए छात्रों को थर्ड पार्टी परीक्षा भी देनी होती है, जिसके बाद छात्रों की रुचि के अनुसार पाठ्यक्रम में शामिल होते हैं. अच्छी बात यह है कि इसमें छात्रों ने भी बेहद ज्यादा उत्साह दिखाया है और इसलिए अब तक करीब 18000 से ज्यादा छात्र छात्राएं ऐसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में शामिल भी हुए हैं. छात्रों के इसी उत्साह को देखते हुए अब नए पाठ्यक्रमों को भी इसमें शामिल करने की कोशिश की जा रही है.
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शिक्षा विभाग द्वारा रोजगार परक शिक्षा में ऐसे पाठ्यक्रमों को जोड़ा जाता है, जिसकी बाजार में डिमांड सबसे अधिक होती है. ताकि स्कूली शिक्षा के बाद आगे चलकर छात्र अपनी रूचि के अनुसार ही उसी ट्रेड में काम करते हुए बाजार की डिमांड के अनुसार रोजगार ले सके.