देहरादून: चुनाव से सिर्फ 10 महीने पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे तीरथ सिंह रावत और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं. इनसे निपटना उनके लिए आसान नहीं होगा. हालांकि, इस सियासी भूचाल ने ना सिर्फ नेतृत्व बदला बल्कि भाजपा हाईकमान ने प्रांतीय नेतृत्व में भी बदलाव कर दिया. नेतृत्व परिवर्तन और संगठन के प्रांतीय नेतृत्व में बदलाव से अब नए मुख्यमंत्री और नए प्रदेश अध्यक्ष दोनों की चुनौतियां कम नहीं हैं. मुख्य रूप से देखें तो संगठन यानी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की चुनौती सबसे अधिक होंगी. क्योंकि मदन कौशिक को ना सिर्फ सरकार से तालमेल बनाकर रखना होगा, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं में जान भी फूंकनी होगी.
आगामी विधानसभा चुनाव में महज 10 महीने का वक्त बचा है. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के पास एक बड़ी चुनौती यह होगी कि चुनाव में पार्टी किन मुद्दों और किन उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाएगी. ऐसे में भाजपा के कार्यकर्ताओं में उत्साह वर्धन करने की एक बड़ी चुनौती जरूर होगी. जाहिर है कि इस समेत अन्य चुनौतियों से पार पाने के लिए उनके सामने समय कम है और विधानसभा चुनाव उनके कौशल की अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा.
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चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की एक बड़ी भूमिका होती है. क्योंकि सरकार और संगठन को आपस में समन्वय बनाकर जनता के बीच ना सिर्फ जाना होता है, बल्कि राज्य और केंद्र सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने को नई रणनीति के साथ काम करना होगा. इसके अतिरिक्त भाजपा ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल किया था. तब उसकी झोली में विधानसभा की 70 में से 57 सीटें आयीं. अब ऐसा ही प्रदर्शन फिर से दोहराने की एक बड़ी चुनौती भाजपा के सामने होगी.
इसके अतिरिक्त प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, केंद्रीय और प्रांतीय नेतृत्व के बीच महत्वपूर्ण कड़ी बन गए हैं. ऐसे में एक बड़ी चुनौती होगी कि किस तरह से पार्टी संगठन को आगे ले जाया जाए और संगठन को आगे ले जाने में सबकी निगाहें अब मदन कौशिक पर ही टिकी हैं. इन सब के बीच नेतृत्व परिवर्तन समेत अन्य विषयों को लेकर विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले सवालों का भी जवाब देना होगा.