देहरादूनः उत्तराखंड में हरिद्वार और पिथौरागढ़ में जल्द मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाएंगे. केंद्र सरकार की ओर से इसकी अनुमति मिल गई है. जिसे लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन आभार जताया है.
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प्रत्येक मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए केंद्र सरकार द्वारा ₹325 करोड़ की राशि मंजूर की गई है। इन मेडिकल कॉलेजों की स्थापना पर आने वाले खर्च का 10% राज्य सरकार द्वारा तथा 90% खर्च केंद्र द्वारा वहन किया जाएगा।
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">प्रत्येक मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए केंद्र सरकार द्वारा ₹325 करोड़ की राशि मंजूर की गई है। इन मेडिकल कॉलेजों की स्थापना पर आने वाले खर्च का 10% राज्य सरकार द्वारा तथा 90% खर्च केंद्र द्वारा वहन किया जाएगा।
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) March 28, 2020प्रत्येक मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए केंद्र सरकार द्वारा ₹325 करोड़ की राशि मंजूर की गई है। इन मेडिकल कॉलेजों की स्थापना पर आने वाले खर्च का 10% राज्य सरकार द्वारा तथा 90% खर्च केंद्र द्वारा वहन किया जाएगा।
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) March 28, 2020
दरअसल, उत्तराखंड में लंबे समय से अतिरिक्त मेडिकल कॉलेज खोलने की मांग चल रही थी. जिसपर अब केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सेंट्रल स्पोंसर्ड स्किम के तहत उत्तराखंड के हरिद्वार और पिथौरागढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति दे दी है.
प्रत्येक मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए केंद्र सरकार के द्वारा ₹325 करोड़ की राशि मंजूर की गई है. इन मेडिकल कॉलेजों की स्थापना पर आने वाले खर्च का 10 फीसदी राज्य सरकार और 90 फीसदी खर्च केंद्र की ओर से वहन किया जाएगा.
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वहीं, केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. केद्र सरकार ने एमओयू की कॉपी को उत्तराखंड सरकार के पास भेजा है और जल्द से जल्द एमओयू पर हस्ताक्षर कर केंद्र सरकार के पास भेजने को कहा है. जिससे उत्तराखंड में हरिद्वार और पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज की प्रक्रिया शुरू हो सके.
हालांकि, दोनों मेडिकल कॉलेज के निर्माण में 325-325 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा. जिसमें से केंद्र सरकार प्रति मेडिकल कॉलेज पर 90 फीसदी खर्च यानी 292.50 करोड़ रुपये देगी और राज्य सरकार पर करीब 10 प्रतिशत यानी राज्य सरकार पर प्रति मेडिकल कॉलेज कुल 32.50 करोड़ का भार आएगा.
ऐसे में माना जा रहा है कि हरिद्वार और पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज बनने से ना सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं की दिक्कतें कम होंगी. बल्कि, मेडिकल शिक्षा भी और बेहतर होगी. साथ ही राज्य में मेडिकल मेडिकल सुविधा को मजबूती भी मिलेगी.