देहरादून: नई आबकारी नीति को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. कैबिनेट के फैसले के बाद प्रदेश में शराब सस्ती हो सकती है. आबकारी विभाग ने इस बार 36 सौ करोड़ राजस्व हासिल करने का लक्ष्य रखा है. गौर हो कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के चलते शराब की कुल 624 दुकानों में से 131 दुकानों का आवंटन नहीं हो पाया था. जिसका सीधा असर आबकारी राजस्व पर देखने को मिला.
आबकारी विभाग ने 36 सौ करोड़ का राजस्व लक्ष्य
उत्तराखंड आबकारी विभाग लंबे समय से नई आबकारी नीति को लेकर कसरत कर रहा था, ताकि प्रदेश में लगातार घट रहे आबकारी राजस्व को बढ़ाया जा सके. उत्तराखंड शासन ने नई आबकारी नीति के साथ-साथ आगामी वित्तीय वर्ष के लिए आबकारी विभाग को 36 सौ करोड़ का राजस्व लक्ष्य रखा है. नई आबकारी नीति को मंजूरी मिलने से ना सिर्फ शराब की तस्करी कम होगी, बल्कि सभी दुकानों का आवंटन भी हो पाएगा.
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वर्तमान वित्तीय वर्ष में 3 हजार 1 सौ 80 करोड़ रुपए का राजस्व लक्ष्य है, हालांकि वर्तमान वित्तीय वर्ष में अभी तक आबकारी विभाग अपने राजस्व लक्ष्य का 75 से 80 फीसदी राजस्व ही इकट्ठा कर पाया है. ऐसे में आगामी वित्तीय वर्ष में राजस्व कट्ठा करना आबकारी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.
लॉटरी प्रक्रिया के तहत होगा शराब की दुकानों का आवंटन
लगातार घट रहे राजस्व को देखते हुए उत्तराखंड आबकारी विभाग ने आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 में फिर से शराब की दुकानों का आवंटन लॉटरी प्रक्रिया के तहत करने जा रहा है, ताकि प्रदेश के सभी दुकानों का आवंटन हो सके. यही नहीं जो इस बार पिछले सालों की तरह ही शराब की दुकानों के लाइसेंस को रिन्यू करना चाहता है. वह वर्तमान शराब की दुकान के आवंटन की कीमत में 15% इजाफा कर दोबारा से लाइसेंस रिन्यु करा सकता है.
3 साल के लिए मिलेगा बार संचालकों को लाइसेंस
शासन ने नई आबकारी नीति में बार लाइसेंस धारकों के लिए बड़ी सुविधा दी है. नई नीति के तहत अब जिलाधिकारी स्तर पर बार संचालकों को लाइसेंस उपलब्ध हो सकेगा. उन्हें अब शासन के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे. यही नहीं बार लाइसेंस की समय अवधि को एक साल से बढ़ाकर 3 साल तक कर दिया है.