ETV Bharat / state

महाकुंभ में दिख रहे राजनीति के नए-नए रंग, भाजपाई ही नहीं कांग्रेसी भी बने भगवाधारी - उत्तराखंड कांग्रेस न्यूज

महाकुंभ का फायदा सत्ताधारी बीजेपी को मिलेगा या फिर विपक्षी दल कांग्रेस को ये तो 2022 के विधानसभा चुनाव परिणाम बताएंगे लेकिन जैसे-जैसे कुंभ नजदीक आ रहा है, राजनीतिक पार्टियां भगवा रंग में रंगती जा रही हैं.

haridwar-mahakumbh
महाकुंभ में दिख रहे राजनीति के नए-नए रंग
author img

By

Published : Jan 28, 2021, 6:00 PM IST

Updated : Jan 29, 2021, 1:32 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में महाकुंभ के आगाज के साथ ही अब राजनेताओं पर भी भगवा रंग चढ़ने लगा है. ये चर्चा इसलिए शुरू हुई है क्योंकि इस रंग में भाजपाई ही नहीं बल्कि कांग्रेसी भी रंग रहे हैं. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के नजदीक होने के चलते आने वाले दिनों में साधु-संन्यासियों की चौखट पर नेताओं की परिक्रमा बढ़ने की संभावना है.

2022 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव होने वाला है. चुनाव में करीब एक साल का ही वक्त रह गया है. इसी बीच राज्य में महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन के चलते राजनीतिक मुद्दे में कुंभ का होना भी तय है. कुंभ की तैयारियों और सफल आयोजन को लेकर आए दिन विपक्षी दल और सत्ताधारियों के बीच घमासान छिड़ा रहता है. दोनों एक-दूसरे पर कटाक्ष करते हुए नजर आते हैं, लेकिन इस बार राजनीति का मुद्दा सांसारिक माया बंधनों से दूर साधु संत हैं.

महाकुंभ में दिख रहे राजनीति के नए-नए रंग.

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरिद्वार जाकर साधु संन्यासियों से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया. इस दौरान भगवा पहनने से लेकर संतों का आशीर्वाद लेने तक में कई राजनीतिक महत्व दिखाई दे रहे हैं. हालांकि हरीश रावत कहते हैं कि वे कोई संन्यासी नहीं हैं, लेकिन कई मामलों में वो अपने आप को बाबा रामदेव की तरह मानते हैं कि वे कर्मयोगी हैं. बाबा वो वहीं तक है जहां तक वो देवी और भगवान की स्तुति करते हैं. बाकी मामलों में तो वो अपने आप को योगी मानते हैं.

पढ़ें- महाकुंभ 2021: केंद्र की SOP पर हरदा की चुटकी, कहा- राज्य सरकार के लिए गॉड सेंड अपॉर्चुनिटी

उत्तराखंड की राजनीति में हरीश रावत बयान बहुत गहरे माने जाते हैं, जो सत्ताधारियों को भी चिंता में डाल देते हैं, लेकिन इस बार हरिद्वार महाकुंभ क्षेत्र में जाकर अखाड़ों के पदाधिकारियों से मिलना और साधु संतों का आशीर्वाद लेने के कई मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि एक तरफ हरीश रावत हिंदुत्व का संदेश देकर लोगों में विश्वास बढ़ाना चाहते हैं, तो दूसरी तरफ लोगों का ध्यान महाकुंभ की तरफ खींचकर सरकार को अव्यवस्थाओं के मामले में घेरना चाहते हैं. हरीश रावत को इन कार्यक्रमों के मायने ये भी निकाले जा रहे हैं कि वो कुंभ को लेकर सरकार को असहज करना चाहते हैं.

वहीं, इस मामले पर बीजेपी नेता वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि हरीश रावत पूरी तरह स्वतंत्र हैं, वो किसी से भी मिल सकते हैं. कभी वो साधु से मिलते हैं तो कभी वो चौराहों पर जाकर जलेबी तलते हैं. हालांकि, ये उनका एक अंदाज है, लेकिन आजकल उनके ये अंदाज टांय-टांय फिश हो गए हैं. हरदा तो गाना भी गाते हैं, लेकिन उससे बीजेपी नहीं, बल्कि उनका प्रदेश नेतृत्व विचलित हो जाता है. हरीश रावत के अंदाज से कांग्रेस वाले ही खफा रहते हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में महाकुंभ के आगाज के साथ ही अब राजनेताओं पर भी भगवा रंग चढ़ने लगा है. ये चर्चा इसलिए शुरू हुई है क्योंकि इस रंग में भाजपाई ही नहीं बल्कि कांग्रेसी भी रंग रहे हैं. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के नजदीक होने के चलते आने वाले दिनों में साधु-संन्यासियों की चौखट पर नेताओं की परिक्रमा बढ़ने की संभावना है.

2022 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव होने वाला है. चुनाव में करीब एक साल का ही वक्त रह गया है. इसी बीच राज्य में महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन के चलते राजनीतिक मुद्दे में कुंभ का होना भी तय है. कुंभ की तैयारियों और सफल आयोजन को लेकर आए दिन विपक्षी दल और सत्ताधारियों के बीच घमासान छिड़ा रहता है. दोनों एक-दूसरे पर कटाक्ष करते हुए नजर आते हैं, लेकिन इस बार राजनीति का मुद्दा सांसारिक माया बंधनों से दूर साधु संत हैं.

महाकुंभ में दिख रहे राजनीति के नए-नए रंग.

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरिद्वार जाकर साधु संन्यासियों से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया. इस दौरान भगवा पहनने से लेकर संतों का आशीर्वाद लेने तक में कई राजनीतिक महत्व दिखाई दे रहे हैं. हालांकि हरीश रावत कहते हैं कि वे कोई संन्यासी नहीं हैं, लेकिन कई मामलों में वो अपने आप को बाबा रामदेव की तरह मानते हैं कि वे कर्मयोगी हैं. बाबा वो वहीं तक है जहां तक वो देवी और भगवान की स्तुति करते हैं. बाकी मामलों में तो वो अपने आप को योगी मानते हैं.

पढ़ें- महाकुंभ 2021: केंद्र की SOP पर हरदा की चुटकी, कहा- राज्य सरकार के लिए गॉड सेंड अपॉर्चुनिटी

उत्तराखंड की राजनीति में हरीश रावत बयान बहुत गहरे माने जाते हैं, जो सत्ताधारियों को भी चिंता में डाल देते हैं, लेकिन इस बार हरिद्वार महाकुंभ क्षेत्र में जाकर अखाड़ों के पदाधिकारियों से मिलना और साधु संतों का आशीर्वाद लेने के कई मायने निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि एक तरफ हरीश रावत हिंदुत्व का संदेश देकर लोगों में विश्वास बढ़ाना चाहते हैं, तो दूसरी तरफ लोगों का ध्यान महाकुंभ की तरफ खींचकर सरकार को अव्यवस्थाओं के मामले में घेरना चाहते हैं. हरीश रावत को इन कार्यक्रमों के मायने ये भी निकाले जा रहे हैं कि वो कुंभ को लेकर सरकार को असहज करना चाहते हैं.

वहीं, इस मामले पर बीजेपी नेता वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि हरीश रावत पूरी तरह स्वतंत्र हैं, वो किसी से भी मिल सकते हैं. कभी वो साधु से मिलते हैं तो कभी वो चौराहों पर जाकर जलेबी तलते हैं. हालांकि, ये उनका एक अंदाज है, लेकिन आजकल उनके ये अंदाज टांय-टांय फिश हो गए हैं. हरदा तो गाना भी गाते हैं, लेकिन उससे बीजेपी नहीं, बल्कि उनका प्रदेश नेतृत्व विचलित हो जाता है. हरीश रावत के अंदाज से कांग्रेस वाले ही खफा रहते हैं.

Last Updated : Jan 29, 2021, 1:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.