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उत्तराखंड बार काउंसिल के नवनिर्वाचित चेयरमैन बोले- अधिवक्ताओं को हक दिलाना प्राथमिकता - new chairman of Uttarakhand Bar Council counts priorities

उत्तराखंड बार काउंसिल के नवनिर्वाचित चेयरमैन मनमोहन लांबा ने स्वागत समारोह में अपनी प्राथमिकताएं गिनाईं. उन्होंने कहा कि नैनीताल हाईकोर्ट बेंच को मैदानी जनपद में शिफ्टिंग वाली 4 दशकों से चली आ रही मांग से लेकर प्रदेश भर के अधिवक्ताओं को हक दिलाना उनकी मुख्य प्राथमिकता हैं.

Uttarakhand Bar Council
उत्तराखंड बार काउंसिल के निर्वाचित चेयरमैन
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Published : Mar 8, 2022, 12:20 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड बार काउंसिल के नवनिर्वाचित चेयरमैन मनमोहन लांबा ने स्वागत समारोह में अपनी प्राथमिकताएं गिनाईं. उन्होंने कहा कि नैनीताल हाईकोर्ट बेंच को मैदानी जनपद में शिफ्टिंग वाली 4 दशकों से चली आ रही मांग से लेकर प्रदेश भर के अधिवक्ताओं को हक दिलाना उनकी मुख्य प्राथमिकता हैं. साथ ही देहरादून के हरिद्वार रोड स्थित पुरानी जेल में नवनिर्मित जिला अदालत परिसर में अधिवक्ताओं के लिए चेंबर स्थापित करने जैसी समस्या का भी जल्द ही निस्तारण किया जाएगा. मनमोहन लांबा ने कहा कि अधिवक्ताओं से जुड़े अहम मुद्दों को मुख्य न्यायाधीश और राज्य सरकार के सामने रखेंगे. ताकि अधिवक्ताओं के हक को दिया जा सके.

हाईकोर्ट को शिफ्ट करने की मांग भी होगी तेज: नैनीताल हाईकोर्ट को मैदानी जिलों में शिफ्ट करने के मुद्दे पर मनमोहन लांबा ने कहा कि अधिवक्ताओं के लिए यह ज्वलंत मुद्दा है. 1980 उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर 2016 उत्तराखंड तक नैनीताल हाईकोर्ट को मैदानी जनपद में शिफ्ट करने की मांग को लेकर पिछले 4 दशकों से अधिवक्ता मांग उठा रहे हैं. लेकिन, आज तक नैनीताल हाईकोर्ट को मैदानी जनपद में शिफ्ट करने की मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो सकी.

पढ़ें: Haridwar Hate Speech: जितेंद्र त्यागी की जमानत पर HC में सुनवाई, सरकार से 24 घंटे में मांगा जवाब

मनमोहन लांबा ने कहा कि पहले उत्तर प्रदेश के समय 1980 में जब इलाहाबाद हाईकोर्ट हुआ करता था, तब से ही उत्तराखंड के मैदानी जनपद में हाईकोर्ट शिफ्ट करने की मांग रखी गई थी. उसके बाद वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने भी मैदानी जनपद में हाईकोर्ट शिफ्ट करने की मांग रखी गई थी. लेकिन इस मामले पर भी राज्य सरकारों द्वारा कोई पहल नहीं की गई. ऐसे में वह प्रदेश की नई सरकार के सामने इस मांग को पुरजोर तरीके से उठाएंगे.

राज्य अधिवक्ताओं के वेलफेयर पर बोलते हुए मनमोहन लांबा ने कहा कि इस मामले पर भी काफी सुधार लाने की आवश्यकता है. वकालत करने वाले रजिस्टर्ड अधिवक्ता का 10 हजार में 3 लाख बीमा की योजना को हर तहसील व तालुका में जाकर कैंप लगाकर बढ़ाया जाएगा. ताकि अधिवक्ताओं को इसका लाभ मिल सके.

बता दें उत्तराखंड बार काउंसिल के अधीन राज्य के लगभग 48 बार एसोसिएशन हैं. नए अधिवक्ता को रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस जारी करना और वेलफेयर को देखने का कार्य मुख्य तौर से बार काउंसिल करती है. इतना ही नहीं वकालत करने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ डिसीप्लिनरी एक्शन का कार्य भी यही करती है. बार काउंसिल में पहले 20 मेंबर चुने जाते हैं और फिर मेंबरों द्वारा ही चेयरमैन और वाइस चेयरमैन हर साल चुना जाता.

देहरादून: उत्तराखंड बार काउंसिल के नवनिर्वाचित चेयरमैन मनमोहन लांबा ने स्वागत समारोह में अपनी प्राथमिकताएं गिनाईं. उन्होंने कहा कि नैनीताल हाईकोर्ट बेंच को मैदानी जनपद में शिफ्टिंग वाली 4 दशकों से चली आ रही मांग से लेकर प्रदेश भर के अधिवक्ताओं को हक दिलाना उनकी मुख्य प्राथमिकता हैं. साथ ही देहरादून के हरिद्वार रोड स्थित पुरानी जेल में नवनिर्मित जिला अदालत परिसर में अधिवक्ताओं के लिए चेंबर स्थापित करने जैसी समस्या का भी जल्द ही निस्तारण किया जाएगा. मनमोहन लांबा ने कहा कि अधिवक्ताओं से जुड़े अहम मुद्दों को मुख्य न्यायाधीश और राज्य सरकार के सामने रखेंगे. ताकि अधिवक्ताओं के हक को दिया जा सके.

हाईकोर्ट को शिफ्ट करने की मांग भी होगी तेज: नैनीताल हाईकोर्ट को मैदानी जिलों में शिफ्ट करने के मुद्दे पर मनमोहन लांबा ने कहा कि अधिवक्ताओं के लिए यह ज्वलंत मुद्दा है. 1980 उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर 2016 उत्तराखंड तक नैनीताल हाईकोर्ट को मैदानी जनपद में शिफ्ट करने की मांग को लेकर पिछले 4 दशकों से अधिवक्ता मांग उठा रहे हैं. लेकिन, आज तक नैनीताल हाईकोर्ट को मैदानी जनपद में शिफ्ट करने की मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो सकी.

पढ़ें: Haridwar Hate Speech: जितेंद्र त्यागी की जमानत पर HC में सुनवाई, सरकार से 24 घंटे में मांगा जवाब

मनमोहन लांबा ने कहा कि पहले उत्तर प्रदेश के समय 1980 में जब इलाहाबाद हाईकोर्ट हुआ करता था, तब से ही उत्तराखंड के मैदानी जनपद में हाईकोर्ट शिफ्ट करने की मांग रखी गई थी. उसके बाद वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने भी मैदानी जनपद में हाईकोर्ट शिफ्ट करने की मांग रखी गई थी. लेकिन इस मामले पर भी राज्य सरकारों द्वारा कोई पहल नहीं की गई. ऐसे में वह प्रदेश की नई सरकार के सामने इस मांग को पुरजोर तरीके से उठाएंगे.

राज्य अधिवक्ताओं के वेलफेयर पर बोलते हुए मनमोहन लांबा ने कहा कि इस मामले पर भी काफी सुधार लाने की आवश्यकता है. वकालत करने वाले रजिस्टर्ड अधिवक्ता का 10 हजार में 3 लाख बीमा की योजना को हर तहसील व तालुका में जाकर कैंप लगाकर बढ़ाया जाएगा. ताकि अधिवक्ताओं को इसका लाभ मिल सके.

बता दें उत्तराखंड बार काउंसिल के अधीन राज्य के लगभग 48 बार एसोसिएशन हैं. नए अधिवक्ता को रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस जारी करना और वेलफेयर को देखने का कार्य मुख्य तौर से बार काउंसिल करती है. इतना ही नहीं वकालत करने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ डिसीप्लिनरी एक्शन का कार्य भी यही करती है. बार काउंसिल में पहले 20 मेंबर चुने जाते हैं और फिर मेंबरों द्वारा ही चेयरमैन और वाइस चेयरमैन हर साल चुना जाता.

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