मसूरी: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग के चेयरमैन जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने शुक्रवार को मसूरी नगर पालिका परिषद के सभागार में सभी अल्पसंख्यक समुदायों तथा उनके शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े लोगों से अल्पसंख्यकों से संबंधित योजनाओं पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित किया हुआ है. सरकार द्वारा भाषाई आधार पर अल्पसंख्यक घोषित नहीं किए हैं. अल्पसंख्यक वर्गों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए.
अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक अधिकार की जानकारी दी: राज्य सरकार जमीन का पट्टा व्यक्ति के नाम होने पर मदरसा बनाने के लिए 20 लाख रुपए मुहैया कराती है. एनएमडीएफसी योजना के तहत अल्पसंख्यक समुदाय को सस्ती दरों पर कर्ज प्रदान किया जाता है. इस योजना का शुरुआती कोष 500 करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर 3,500 करोड़ रुपए कर दिया गया है. बैंकों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक नोडल ऑफिसर होता है. जैन ने कहा कि यदि अपने समुदाय के लिए कुछ करना चाहते हैं तो स्कूल और मेडिकल कॉलेज खोल सकते हैं. आप यूनिवर्सिटी भी स्थापित कर सकते हैं. जस्टिस नरेंद्र कुमार जैन ने अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक अधिकारों के बारे में जानकारी दी एवं शैक्षणिक समस्याओं एवं शैक्षिक संस्थानों के पंजीकरण से संबंधित समस्याओं पर चर्चा की. समस्याओं के समाधान ना होने पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग को शिकायत करने के निर्देश दिए गए.
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इनकी रही बैठक में मौजूदगी: बैठक में अल्पसंख्यक संस्थान आयोग के सचिव मनोज कुमार केजरीवाल, प्रदीप कुमार रावत मुख्य शिक्षा अधिकारी, रघुनाथ लाल आर्य संयुक्त निदेशक शिक्षा परिषद, अंशुल यामीन उप रजिस्ट्रार मदरसा शिक्षा परिषद, जीएस रावत जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, फराज खान अल्पसंख्यक आयोग, एडी डोभाल प्रबंधक सरस्वती जनकल्याण एवं स्वरोजगार संस्थान देहरादून, सीमा जावेद सदस्य उत्तराखंड, राशिद खान, मो. इस्लाम, मो. याकूब, मंजूर अहमद, इरफाल, राजेश सक्सेना, इजाज अहमद, राजेश सहित विभिन्न अधिकारी और अल्पसंख्यक वर्ग के शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़े लोग मौजूद रहे.