देहरादून: चैत्र नवरात्रि में भक्त मां दुर्गा ने नौ रूपों की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. नवरात्र के आठवें दिन देवी के आठवें स्वरूप महागौरी की उपासना की जाती है. देशभर के मंदिरों में देवी दुर्गा के उपासक आज महाअष्टमी की पूजा कर रहे हैं. उसके बाद नवमी तिथि की शुरूआत के बाद हवन-पूजन कर नवरात्र के अनुष्ठान की पूर्णाहुति की जाएगी.
उत्तराखंड में भी महाअष्टमी के मौके पर प्रदेशभर में कन्याओं का पूजन किया गया. साथ ही मां दुर्गा से कोरोना से मुक्ति की कामना की गई.मां महागौरी को एक सौम्य देवी माना गया है. महागौरी को मां दुर्गा की आठवीं शक्ति भी कहा गया है. महागौरी की चार भुजाएं हैं और ये वृषभ की सवारी करती हैं. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है. मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मां की उपासना करता है उसकी हर मुराद पुरी होती है.
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मां महागौरी की कथा
पुराणों की कथा के अनुसार मां महागौरी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की. भगवान भोलेनाथ ने तपस्या से प्रसन्न होकर मां महागौरी को स्वीकार कर लिया. कई वर्षों तक कठोर तपस्या करने के कारण मां महागौरी का शरीर काला पड़ गया और उन पर धूल मिट्टी जम गई. तब भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से नहलाया. भगवान शिव की ओर से मां को स्नान कराने से उनका शरीर स्वर्ण के समान चमकने लगा. जिसके बाद मां के इस स्वरूप को महागौरी नाम दिया गया.