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राष्ट्रीय पुलिस अकादमी ने पत्र लिखकर जताया DGP अनिल रतूड़ी का आभार

राष्ट्रीय पुलिस अकादमी हैदराबाद ने 30 नवंबर को रिटायर हो रहे उत्तराखंड के DGP अनिल रतूड़ी को पत्र भेजा है. पत्र के माध्यम से उनकी पुलिस और राष्ट्रीय पुलिस अकादमी को दी गई सेवाओं के लिए आभार जताया गया है.

anil raturi
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Published : Nov 28, 2020, 12:23 PM IST

Updated : Nov 28, 2020, 1:30 PM IST

देहरादून: 30 नवंबर 2020 को सेवानिवृत्त होने जा रहे पुलिस महानिदेशक अनिल के रतूड़ी को हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी से उनके सराहनीय योगदान के चलते आभार व्यक्त पत्र भेजा गया है. डीजीपी अनिल रतूड़ी अपने पुलिस सेवा काल के दौरान हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में सहायक निदेशक के पद पर 4 वर्ष तक नियुक्त रहे. इस दौरान उन्होंने अकादमी में ट्रेनिंग पाने वाले आईपीएस, केंद्रीय सेवाओं और विदेशी पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इसके चलते अकादमी की ट्रेनिंग को नई ऊंचाइयां भी मिलीं.

पुलिस सेवा काल में अपने बेहतरीन अनुशासन और पारदर्शी पुलिसिंग के लिए पहचान रखने वाले डीजीपी रतूड़ी को हैदराबाद राष्ट्रीय पुलिस अकादमी की ओर से बकायदा उनके योगदान के लिए आभार पत्र भेजकर सम्मान दिया गया है.

जुलाई 2017 में उत्तराखंड के डीजीपी बने थे रतूड़ी

अनिल रतूड़ी जुलाई 2017 में उत्तराखंड के डीजीपी बने थे. वो उत्तराखंड मूल के चौथे डीजीपी थे. डीजीपी बनने से पहले रतूड़ी महानिदेशक विजिलेंस का दायित्व संभाल रहे थे. 1987 बैच के आईपीएस रतूड़ी मूलरूप से रतूड़ा (रुद्रप्रयाग) के रहने वाले हैं.

डीजीपी रतूड़ी का बताया पाठ्यक्रम आज भी अकादमी का हिस्सा

हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी द्वारा उत्तराखंड के डीजीपी को भेजे गए आभार पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि उनके द्वारा अकादमी में बताए गए ट्रेनिंग के कई अहम पाठ्यक्रम को वर्तमान में भी प्रशिक्षण में जारी रखा गया है. उनके द्वारा किये गए कई बदलावों को भी ट्रेनिंग का हिस्सा रखा गया है. इसके कारण अकादमी का नाम देश-विदेश तक चर्चित है. ऐसे में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी आपके सराहनीय योगदान के लिए आभार व्यक्त करती है.

पढ़ें: करोड़ों की ठगी करने वाले आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार

बता दें कि 1987 आईपीएस बैच के उत्तराखंड डीजीपी अनिल के रतूड़ी 30 नवंबर 2020 को अपने 3 साल से अधिक का कार्यकाल पूरा कर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उत्तराखंड मूल के वह चौथे डीजीपी हैं जो अपने प्रदेश में लंबे समय तक सेवा देने के उपरांत पुलिस महकमे के सबसे बड़े पद से तय समय पर रिटायर होने जा रहे हैं. 24 जुलाई 2017 को उन्होंने उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक की कमान संभाली थी. 3 वर्ष 4 महीने लंबे कार्यकाल में उन्होंने अपने बेहतरीन अनुशासन, भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी तरीके से पुलिस फोर्स का नेतृत्व किया.

देहरादून: 30 नवंबर 2020 को सेवानिवृत्त होने जा रहे पुलिस महानिदेशक अनिल के रतूड़ी को हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी से उनके सराहनीय योगदान के चलते आभार व्यक्त पत्र भेजा गया है. डीजीपी अनिल रतूड़ी अपने पुलिस सेवा काल के दौरान हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में सहायक निदेशक के पद पर 4 वर्ष तक नियुक्त रहे. इस दौरान उन्होंने अकादमी में ट्रेनिंग पाने वाले आईपीएस, केंद्रीय सेवाओं और विदेशी पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इसके चलते अकादमी की ट्रेनिंग को नई ऊंचाइयां भी मिलीं.

पुलिस सेवा काल में अपने बेहतरीन अनुशासन और पारदर्शी पुलिसिंग के लिए पहचान रखने वाले डीजीपी रतूड़ी को हैदराबाद राष्ट्रीय पुलिस अकादमी की ओर से बकायदा उनके योगदान के लिए आभार पत्र भेजकर सम्मान दिया गया है.

जुलाई 2017 में उत्तराखंड के डीजीपी बने थे रतूड़ी

अनिल रतूड़ी जुलाई 2017 में उत्तराखंड के डीजीपी बने थे. वो उत्तराखंड मूल के चौथे डीजीपी थे. डीजीपी बनने से पहले रतूड़ी महानिदेशक विजिलेंस का दायित्व संभाल रहे थे. 1987 बैच के आईपीएस रतूड़ी मूलरूप से रतूड़ा (रुद्रप्रयाग) के रहने वाले हैं.

डीजीपी रतूड़ी का बताया पाठ्यक्रम आज भी अकादमी का हिस्सा

हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पुलिस अकादमी द्वारा उत्तराखंड के डीजीपी को भेजे गए आभार पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि उनके द्वारा अकादमी में बताए गए ट्रेनिंग के कई अहम पाठ्यक्रम को वर्तमान में भी प्रशिक्षण में जारी रखा गया है. उनके द्वारा किये गए कई बदलावों को भी ट्रेनिंग का हिस्सा रखा गया है. इसके कारण अकादमी का नाम देश-विदेश तक चर्चित है. ऐसे में राष्ट्रीय पुलिस अकादमी आपके सराहनीय योगदान के लिए आभार व्यक्त करती है.

पढ़ें: करोड़ों की ठगी करने वाले आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार

बता दें कि 1987 आईपीएस बैच के उत्तराखंड डीजीपी अनिल के रतूड़ी 30 नवंबर 2020 को अपने 3 साल से अधिक का कार्यकाल पूरा कर सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उत्तराखंड मूल के वह चौथे डीजीपी हैं जो अपने प्रदेश में लंबे समय तक सेवा देने के उपरांत पुलिस महकमे के सबसे बड़े पद से तय समय पर रिटायर होने जा रहे हैं. 24 जुलाई 2017 को उन्होंने उत्तराखंड पुलिस महानिदेशक की कमान संभाली थी. 3 वर्ष 4 महीने लंबे कार्यकाल में उन्होंने अपने बेहतरीन अनुशासन, भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी तरीके से पुलिस फोर्स का नेतृत्व किया.

Last Updated : Nov 28, 2020, 1:30 PM IST
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