देहरादूनः आगामी 13 अगस्त को देहरादून जिले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से लोक अदालत (National Lok Adalat) लगाया जाएगा. इसके तहत कई तरह मामलों का निस्तारण किया जाएगा. इस लोक अदालत में जो भी वादी अपने केसों का निस्तारण कराना चाहते हैं तो उन्हें 12 अगस्त तक किसी भी दिन संबंधित न्यायालय में खुद या अपने अधिवक्ता के माध्यम से आवेदन जमा कराना होगा.
देहरादून जिला न्यायधीश और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन प्रदीप पंत के मुताबिक, राष्ट्रीय लोक अदालत में कई तरह के मामलों को दोनों पक्षों के समझौते से एक बार में ही पूरी तरह से निपटाए जाते हैं. इस अदालत का फायदा यह होता है कि यहां निस्तारण हुए मामलों की आगे अपील नहीं की जा सकती. हालांकि, इस राष्ट्रीय लोक अदालत में दुष्कर्म, हत्या, पॉक्सो एक्ट, लूट, डकैती, अपहरण जैसे अन्य अपराधों को नहीं लिया जाता है.
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राष्ट्रीय लोक अदालत में इन मामलों का होगा निस्तारणः
1. फौजदारी के शमनीय वाद.
2. धारा 138 एनआई एक्ट संबंधित वाद.
3. मोटर दुर्घटना प्रतिकर संबंधित वाद.
4. वैवाहिक/कुटुम न्यायालय के वाद..
5. श्रम संबंधी वाद.
6. भूमि अर्जन के वाद.
7. दीवानी वाद.
8. राजस्व संबंधित वाद.
9. विद्युत एवं जलकर बिलों के मामले.
10. वेतन-भत्तों एवं सेवानिवृत्त से संबंधित वाद.
11. धन वसूली से संबंधित वाद समेत अन्य ऐसे मामले जो सुलह व समझौता के आधार पर निस्तारित हो सकते हैं.
पिछली राष्ट्रीय लोक अदालत में 5560 मुकदमों का हुआ था निस्तारणः देहरादून जिला न्यायाधीश प्रदीप पंत के मुताबिक, साल के हर तीसरे महीने होने वाली इस लोक अदालत का मुख्य संचालन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार होता है. इससे पहले बीते 14 मई 2022 को देहरादून में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 976 लंबित केसों की सुनवाई हुई. जिसमें दोनों पक्षों की आपसी सुलह से 3 करोड़ 73 लाख रुपए में निस्तारण का सेटलमेंट हुआ. वहीं, प्री लिटिगेशन के 4560 मुकदमों की भी सुनवाई हुई. जिसमें उनके निस्तारण के लिए भी दोनों पक्षों के आपसी समझौतों में 3 करोड़ 11 लाख में सेटलमेंट हुआ.
देहरादून जिले के न्यायालयों में 1 लाख 14 हजार केस लंबितः देहरादून जिला न्यायाधीश प्रदीप पंत (Dehradun District Judge Pradeep Pant) के मुताबिक, वर्तमान समय में देहरादून के सभी न्यायालयों में लगभग एक लाख 14 हजार सिविल मामले लंबित हैं. जिसमें से सबसे ज्यादा 95 हजार फौजदारी के मामले हैं. जबकि, 44 हजार मोटर एक्ट अधिनियम के मामले पेंडिंग चल रहे हैं. हालांकि, लंबित मामलों की संख्या को कम करने के लिए सुनवाई चल रही है. जिला न्यायाधीश के मुताबिक, वर्तमान समय में जमीन और प्रॉपर्टी फर्जीवाड़े व धोखाधड़ी से संबंधित मामले भी काफी ज्यादा संख्या में सिविल कोर्ट में आ रहे हैं.