देहरादून: पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर के साथ हुई हिंसा की घटना के बाद देशभर के निजी चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया. देहरादून में भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े निजी डॉक्टरों ने घटना के विरोध करते हुए काली पट्टी बांधकर आक्रोश व्यक्त किया.
इस संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉक्टर डीडी चौधरी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर पर हमला किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस घटना से देशभर के डॉक्टर नाराज हैं. खासकर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार को लेकर डॉक्टरों में भारी आक्रोश है. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने इस मामले में बयान बाजी करके माहौल और खराब कर दिया है.
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डॉक्टरों का कहना है कि दिनों-दिन उनके खिलाफ ऐसी घटनाओं की संख्या में इजाफा होता जा रहा है. ऐसा ही रहा तो डॉक्टरों का काम करना मुश्किल हो जाएगा. वहीं, चिकित्सकों ने सोमवार से राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने की भी बात कही है.
क्या है मामला
बीते सोमवार को एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोलकाता के टेंगरा इलाके के 75 वर्षीय मोहम्मद सईद को दिल का दौरा पड़ने पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया. इसी दौरान परिजनों के सामने ही उसे दूसरा दौरा पड़ा. ऐसा होते ही रात को ड्यूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टरों ने मरीज को इंजेक्शन लगाया, लेकिन उसकी जान नहीं बचा पाए.
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इसके बाद परिजन और पड़ोसी ने उन डॉक्टरों पर गलत दवा देने का आरोप लगाकर हंगामा करना शुरू कर दिया. रात को मृतक के परिजन ने फोन करके अपने इलाके से अन्य लोगों को बुलाया और रात 11 बजे दो ट्रकों में भरकर आये लोगों ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर परिवह मुखर्जी और यश टेकवानी की बुरी तरह पिटाई कर दी. ईंट की चोट से मुखर्जी के सिर में फ्रैक्चर हो गया और एक निजी नर्सिंग होम में उनका ऑपरेशन किया गया. उस घटना के विरोध में जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी समेत तमाम सेवाएं ठप कर दीं और अस्पताल का गेट बंद कर दिया.
अगले दिन दूसरे मेडिकल कॉलेजों में ये खबर पहुंचने के बाद हंगामा होने लगा. इस घटना के विरोध में ज़्यादातर सरकारी डॉक्टरों के आंदोलन में शामिल होने की वजह से पहले से ही बदहाल स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई. इसी बीच मामले में राजनीति शुरू हो गई.