ETV Bharat / state

नारद जयंती खास: सृष्टि के पहले पत्रकार माने जाते हैं देवर्षि, इस तरह करें पूजा

देवर्षि नारद की जयंती इस बार 27 मई यानी आज है. नारद जयंती हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है. देवर्षि नारद को सृष्टि का प्रथम पत्रकार माना जाता है. उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे में वाद्य यंत्र रहता है.

देवर्षि नारद
देवर्षि नारद
author img

By

Published : May 27, 2021, 7:25 AM IST

देहरादून/प्रयागराज: नारद जी ब्रह्मा के मानस पुत्र माने जाते हैं. देवताओं के ऋषि होने के कारण इनको देवर्षि कहा गया है. कल्याणी देवी मंदिर के पुजारी पंडित राजेन्द प्रसाद शुक्ला के अनुसार देवर्षि नारद की जयंती हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है. इस वर्ष यह 27 मई को मनाई जाएगी. नारद जी को ब्रह्मर्षि की उपाधि दी गई है.


भगवान विष्णु के परम भक्त हैं नारद जी
नारद जी ज्ञानी होने के साथ-साथ बहुत तपस्वी भी थे. नारद जी हमेशा चलायमान रहते थे. वे कहीं ठहरते नहीं थे. नारद जी भगवान विष्णु के परम भक्त हैं. हमेशा नारायण नाम का जप ही उनकी आराधना है. इनकी वीणा महती के नाम से जानी जाती है. कहा जाता है कि नारद जी के श्राप के कारण ही भगवान राम को माता सीता के वियोग का सामना करना पड़ा.

नारद बताते हैं भक्ति के रहस्य
वीणा को बजाते हुए हरिगुन गाते हुए नारद जी अपनी भक्ति संगीत से तीनो लोकों को तारते हैं. नारद जी ने ही उर्वशी का विवाह पुरुरवा के साथ करवाया. वाल्मीकि को रामायण लिखने की प्रेरणा भी नारद जी ने ही दी. व्यास जी से भागवत की रचना उन्होंने ही करवायी. ये व्यास, वाल्मीकि और शुकदेव के गुरु हैं. नारद जी ने ही ध्रुव को भक्ति मार्ग का उपदेश दिया. उनके द्वारा लिखित भक्तिसूत्र बहुत महत्वपूर्ण है.

नारद जयंती पर नारायण नाम का करें जप
पंडित राजेन्द प्रसाद शुक्ला ने बताया कि भगवान की भक्ति प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ दिवस है. इस दिन नारायण नाम का जप करें. श्री विष्णुसहस्रनाम और श्री रामचरितमानस का पाठ कीजिए. इसके साथ ही प्यासे को पानी पिलाइये.

करें विष्णु, शिव और लक्ष्मी जी का पूजन
राजेन्द प्रसाद शुक्ला ने बताया कि इस दिन विष्णु जी की पूजा के साथ-साथ लक्ष्मी पूजा भी करें. श्री सूक्त और गीता का पाठ करें. अन्न और वस्त्र का दान करें. माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह में नारद जी की महती भूमिका थी. जिन कन्याओं का विवाह तय न हो पा रहा हो, वो आज के दिन श्री रामचरितमानस के शिव पार्वती विवाह की कथा को पढ़ें और सुनाएं. नारद भक्ति से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं.

इन चीजों का करें दान
माता पार्वती तो बहुत ही प्रसन्न होती हैं. इस दिन दुर्गासप्तशती का पाठ भी मनोवांछित फल की प्राप्ति करवाता है. माता सरस्वती की उपासना करें. ऐसा करने से आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी. इस दिन ब्राह्मण को पीला वस्त्र दान करें. यह महीना बहुत गर्मी का होता है, अत: जगह-जगह जल की व्यवस्था करें और छाते का दान करें. अस्पताल में गरीब मरीजों में शीतल जल पिलायें और फल का वितरण करें. सभी नौ ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. नव ग्रहों के बीज मन्त्र का जप कर हवन करें.

इसे भी पढ़ें: माननीयों के लिए नहीं नियम-कानून! 'दो गज दूरी' का पाठ भूले सीएम साहब

बता दें कि इस दिन पत्रकारिता से जुड़े लोग नारद जी की प्रतिमा को सामने पुष्प अर्पित करते हैं और उनकी निष्पक्षता से सीख लेकर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को मजबूत करने का काम करते हैं.

देहरादून/प्रयागराज: नारद जी ब्रह्मा के मानस पुत्र माने जाते हैं. देवताओं के ऋषि होने के कारण इनको देवर्षि कहा गया है. कल्याणी देवी मंदिर के पुजारी पंडित राजेन्द प्रसाद शुक्ला के अनुसार देवर्षि नारद की जयंती हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है. इस वर्ष यह 27 मई को मनाई जाएगी. नारद जी को ब्रह्मर्षि की उपाधि दी गई है.


भगवान विष्णु के परम भक्त हैं नारद जी
नारद जी ज्ञानी होने के साथ-साथ बहुत तपस्वी भी थे. नारद जी हमेशा चलायमान रहते थे. वे कहीं ठहरते नहीं थे. नारद जी भगवान विष्णु के परम भक्त हैं. हमेशा नारायण नाम का जप ही उनकी आराधना है. इनकी वीणा महती के नाम से जानी जाती है. कहा जाता है कि नारद जी के श्राप के कारण ही भगवान राम को माता सीता के वियोग का सामना करना पड़ा.

नारद बताते हैं भक्ति के रहस्य
वीणा को बजाते हुए हरिगुन गाते हुए नारद जी अपनी भक्ति संगीत से तीनो लोकों को तारते हैं. नारद जी ने ही उर्वशी का विवाह पुरुरवा के साथ करवाया. वाल्मीकि को रामायण लिखने की प्रेरणा भी नारद जी ने ही दी. व्यास जी से भागवत की रचना उन्होंने ही करवायी. ये व्यास, वाल्मीकि और शुकदेव के गुरु हैं. नारद जी ने ही ध्रुव को भक्ति मार्ग का उपदेश दिया. उनके द्वारा लिखित भक्तिसूत्र बहुत महत्वपूर्ण है.

नारद जयंती पर नारायण नाम का करें जप
पंडित राजेन्द प्रसाद शुक्ला ने बताया कि भगवान की भक्ति प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ दिवस है. इस दिन नारायण नाम का जप करें. श्री विष्णुसहस्रनाम और श्री रामचरितमानस का पाठ कीजिए. इसके साथ ही प्यासे को पानी पिलाइये.

करें विष्णु, शिव और लक्ष्मी जी का पूजन
राजेन्द प्रसाद शुक्ला ने बताया कि इस दिन विष्णु जी की पूजा के साथ-साथ लक्ष्मी पूजा भी करें. श्री सूक्त और गीता का पाठ करें. अन्न और वस्त्र का दान करें. माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह में नारद जी की महती भूमिका थी. जिन कन्याओं का विवाह तय न हो पा रहा हो, वो आज के दिन श्री रामचरितमानस के शिव पार्वती विवाह की कथा को पढ़ें और सुनाएं. नारद भक्ति से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं.

इन चीजों का करें दान
माता पार्वती तो बहुत ही प्रसन्न होती हैं. इस दिन दुर्गासप्तशती का पाठ भी मनोवांछित फल की प्राप्ति करवाता है. माता सरस्वती की उपासना करें. ऐसा करने से आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी. इस दिन ब्राह्मण को पीला वस्त्र दान करें. यह महीना बहुत गर्मी का होता है, अत: जगह-जगह जल की व्यवस्था करें और छाते का दान करें. अस्पताल में गरीब मरीजों में शीतल जल पिलायें और फल का वितरण करें. सभी नौ ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. नव ग्रहों के बीज मन्त्र का जप कर हवन करें.

इसे भी पढ़ें: माननीयों के लिए नहीं नियम-कानून! 'दो गज दूरी' का पाठ भूले सीएम साहब

बता दें कि इस दिन पत्रकारिता से जुड़े लोग नारद जी की प्रतिमा को सामने पुष्प अर्पित करते हैं और उनकी निष्पक्षता से सीख लेकर लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को मजबूत करने का काम करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.