देहरादून: उत्तराखंड सरकार नजूल नीति लाने की तैयारी कर रही है. इस नीति के आने से राज्य में नजूल भूमि में रहने वाले लोगों को राहत मिलेगी. दरअसल, इससे पहले भी सरकार नजूल नीति लाने की कोशिश कर चुकी है. लेकिन मामला कोर्ट में चला गया और नीति ठंडे बस्ते में चली गयी. लेकिन अब त्रिवेंद्र सरकार एक बार फिर नई नजूल नीति का प्रस्ताव तैयार करने में जुट गई है.
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बता दें कि नजूल भूमि ऐसी भूमि होती है जिसका राजस्व रिकॉर्ड नहीं होता है और निकायों के पास ही इसका रिकॉर्ड मौजूद होता है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि नजूल नीति को लेकर पहले भी प्रयास हुए थे. लेकिन अब हाईकोर्ट के निर्देशानुसार नई नजूल नीति लायी जाएगी, ताकि इस भूमि पर सैकड़ों सालों से रह रहे लोगों को मालिकाना हक मिल सके.
सीएम ने कहा कि नजूल नीति लाकर जहां प्रदेश में एक लाख से ज्यादा लोगों को सरकार राहत देने की तैयारी कर रही है. वहीं, सरकार ने टोंगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर ऐसे गांवों में रहने वाले लोगों को भी फायदा देने की कोशिश है. दरअसल, करीब 1930 में प्रदेश के विभिन्न जिलों में वृक्षारोपण के लिए लोगों को यहां लाया गया था. जो इन्हीं क्षेत्र में रहकर इस काम को करते रहे, अब ये लोग गांव के रूप में इन्हीं जगहों पर संरक्षित क्षेत्रों के बीच में आ गए. लेकिन अब राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने के बाद इन्हें भी मूलभूत सुविधाएं मिल सकेंगी.