हल्द्वानी: निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की हड़ताल मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की. गुरविंदर चड्ढा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सख्त रवैया अपनाते हुए सरकार को एक हफ्ते के अंदर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने और डॉक्टरों की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं.
दरअसल, निजी अस्पताल क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के खिलाफ हड़ताल पर हैं. प्राइवेट हॉस्पिटल की हड़ताल की वजह से मरीजों को हो रही दिक्कत को देखते हुए हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह चड्ढा ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले के समाधान की मांग की थी.
याचिका में चड्ढा ने लिखा है कि प्रदेशभर में जितने भी सरकारी अस्पताल हैं, वहां आधुनिक सुविधाएं नहीं है. जिस वजह से मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है. लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को बैरंग ही वापस लौटना पड़ता है. वहीं गंभीर बीमारों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख करना पड़ रहा है.
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गुरविंदर चड्ढा ने याचिका में यह भी कहा था कि सरकारी अस्पताल में भीड़ बढ़ रही है इसलिए गंभीर बीमारों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में सरकार को और व्यवस्था करनी चाहिए. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने के साथ ही सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की तुरंत नियुक्ति करने को कहा है.
उन्होंने कोर्ट में कहा कि रानीखेत से आई 4 वर्षीय बच्ची के सिर में गंभीर चोट लगी थी. उसके परिवार वाले इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे थे. इसी वजह से मजबूर होकर उन्होंने हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की है.
बता दें कि क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को केंद्र सरकार ने साल 2010 में पारित करते हुए सभी राज्यों को इसे सख्ती से लागू कराने के निर्देश दिए थे. उत्तराखंड में यह एक्ट साल 2013 में विधानसभा में पारित हुआ, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया गया है. इसकी वजह निजी चिकित्सकों की कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है.
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गौर हो कि अगस्त में हाई कोर्ट ने राज्य में बिना लाइसेंस और क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत गैर पंजीकृत सभी अस्पतालों और क्लीनिकों को तत्काल प्रभाव से सील करने का आदेश दिया था.