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निजी डॉक्टरों की हड़ताल पर HC सख्त, सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की नियुक्ति के आदेश - Doctor strike in Uttarakhand

नैनीताल हाई कोर्ट ने क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की मांग को लेकर हड़ताल मामले में की सुनवाई. सख्त लहजे में सरकार से एक हफ्ते में मांगा जवाब.

नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : Feb 20, 2019, 7:17 PM IST

हल्द्वानी: निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की हड़ताल मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की. गुरविंदर चड्ढा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सख्त रवैया अपनाते हुए सरकार को एक हफ्ते के अंदर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने और डॉक्टरों की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं.


दरअसल, निजी अस्पताल क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के खिलाफ हड़ताल पर हैं. प्राइवेट हॉस्पिटल की हड़ताल की वजह से मरीजों को हो रही दिक्कत को देखते हुए हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह चड्ढा ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले के समाधान की मांग की थी.


याचिका में चड्ढा ने लिखा है कि प्रदेशभर में जितने भी सरकारी अस्पताल हैं, वहां आधुनिक सुविधाएं नहीं है. जिस वजह से मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है. लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को बैरंग ही वापस लौटना पड़ता है. वहीं गंभीर बीमारों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख करना पड़ रहा है.

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गुरविंदर चड्ढा ने याचिका में यह भी कहा था कि सरकारी अस्पताल में भीड़ बढ़ रही है इसलिए गंभीर बीमारों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में सरकार को और व्यवस्था करनी चाहिए. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने के साथ ही सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की तुरंत नियुक्ति करने को कहा है.


उन्होंने कोर्ट में कहा कि रानीखेत से आई 4 वर्षीय बच्ची के सिर में गंभीर चोट लगी थी. उसके परिवार वाले इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे थे. इसी वजह से मजबूर होकर उन्होंने हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की है.


बता दें कि क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को केंद्र सरकार ने साल 2010 में पारित करते हुए सभी राज्यों को इसे सख्ती से लागू कराने के निर्देश दिए थे. उत्तराखंड में यह एक्ट साल 2013 में विधानसभा में पारित हुआ, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया गया है. इसकी वजह निजी चिकित्सकों की कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है.

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गौर हो कि अगस्त में हाई कोर्ट ने राज्य में बिना लाइसेंस और क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत गैर पंजीकृत सभी अस्पतालों और क्लीनिकों को तत्काल प्रभाव से सील करने का आदेश दिया था.

हल्द्वानी: निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की हड़ताल मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की. गुरविंदर चड्ढा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सख्त रवैया अपनाते हुए सरकार को एक हफ्ते के अंदर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने और डॉक्टरों की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं.


दरअसल, निजी अस्पताल क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के खिलाफ हड़ताल पर हैं. प्राइवेट हॉस्पिटल की हड़ताल की वजह से मरीजों को हो रही दिक्कत को देखते हुए हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह चड्ढा ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मामले के समाधान की मांग की थी.


याचिका में चड्ढा ने लिखा है कि प्रदेशभर में जितने भी सरकारी अस्पताल हैं, वहां आधुनिक सुविधाएं नहीं है. जिस वजह से मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है. लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों को बैरंग ही वापस लौटना पड़ता है. वहीं गंभीर बीमारों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख करना पड़ रहा है.

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गुरविंदर चड्ढा ने याचिका में यह भी कहा था कि सरकारी अस्पताल में भीड़ बढ़ रही है इसलिए गंभीर बीमारों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में सरकार को और व्यवस्था करनी चाहिए. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने के साथ ही सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की तुरंत नियुक्ति करने को कहा है.


उन्होंने कोर्ट में कहा कि रानीखेत से आई 4 वर्षीय बच्ची के सिर में गंभीर चोट लगी थी. उसके परिवार वाले इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे थे. इसी वजह से मजबूर होकर उन्होंने हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की है.


बता दें कि क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को केंद्र सरकार ने साल 2010 में पारित करते हुए सभी राज्यों को इसे सख्ती से लागू कराने के निर्देश दिए थे. उत्तराखंड में यह एक्ट साल 2013 में विधानसभा में पारित हुआ, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया गया है. इसकी वजह निजी चिकित्सकों की कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है.

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गौर हो कि अगस्त में हाई कोर्ट ने राज्य में बिना लाइसेंस और क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत गैर पंजीकृत सभी अस्पतालों और क्लीनिकों को तत्काल प्रभाव से सील करने का आदेश दिया था.

Intro:स्लग- प्राइवेट अस्पताल हड़ताल हाई कोर्ट सख्त
रिपोटर- भावनाथ पंडित

एंकर- निजी अस्पताल के हड़ताल के मामले में हाईकोर्ट ने गुरविंदर चड्ढा की जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के सख्त रवैया अपनाते हुए सरकार को 1 सप्ताह के भीतर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने और डॉक्टर की नियुक्ति करने का आदेश दिए हैं।


Body:निजी अस्पताल क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के खिलाफ अपने अस्पताल बंद कर गए हैं तो वहीं दूसरी तरफ नैनीताल हाईकोर्ट निजी अस्पताल की हड़ताल से मरीजों को हो रही दिक्कत को देखते हुए हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह चड्ढा ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि निजी अस्पताल के हड़ताल में चले जाने के वजह से सरकारी अस्पतालों में भीड़ उमर पड़ी है ऐसे में बाहर से आने वाले मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है उन्होंने कहा कि रानीखेत से आई 4 वर्षीय बच्ची के सर में गंभीर चोट लगी थी उसके परिवार वाले इलाज के लिए इधर उधर भटक रहे थे जिसके बाद मजबूर होकर उन्होंने हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल किया।


Conclusion:गुरविंदर चड्डा में याचिका में यह भी कहा था कि सरकारी अस्पताल में भीड़ हो जैसे गंभीर बीमार लोगों को इलाज नहीं पा रहा है ऐसे में सरकार को और व्यवस्था करनी चाहिए। हालांकि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 1 सप्ताह के भीतर इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है साथी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर की तुरंत नियुक्ति करने के भी निर्देश दिए हैं। गुरविंदर चड्ढा कहना है कि हाईकोर्ट ने क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट का पालन न करने वाले निजी अस्पतालों को सील करने के अपने पुराने निर्देश दिए थे इसे संशोधन को लेकर निजी अस्पताल पूरे प्रदेश में हड़ताल में है जिससे आम मरीजों को बेहद दिक्कत हो रहा है।
बाइट -गुरिंदर चड्ढा जनहित याचिका कर्ता
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