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नागपंचमी पर्व: देवभूमि के इस गांव में सांप के काटने पर लोग नहीं कराते इलाज, ऐसे उतर जाता है जहर - panchami festival

आज के वैज्ञानिक युग ने असंभव को संभव कर दिखाया है. लेकिन कई बार विज्ञान भी आस्था और चमत्कार के आगे नतमस्तक दिखाई देता है. भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आस्था विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. देवभूमि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है, जहां जहरीले सांप के काटने पर भी लोगों पर उसके जहर का असर नहीं होता. स्थानीय लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं.

नाग पंचमी.
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Published : Aug 5, 2019, 9:01 AM IST

Updated : Aug 5, 2019, 9:17 AM IST

विकासनगर: आज पूरे देश के साथ ही देवभूमि उत्तराखंड में भी नाग पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. जिसका हिन्दू धर्म के लोगों के लिए खास महत्व है.इस बार नाग पंचमी 5 अगस्‍त यानी आज है. खास बात यह है कि इस बार नाग पंचमी के दिन सोमवार है. दरअसल, सोमवार को भगवान शिव शंकर का दिन माना गया है, इसवजह से इस पर्व का महत्व बढ़ गया है. वहीं प्रदेश के कई हिस्सों में लोग नाग देवता के मंदिरों में सुबह से पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

देवभूमि के इस गांव में सांप के काटने पर लोग नहीं कराते इलाज
वहीं आज के वैज्ञानिक युग ने असंभव को संभव कर दिखाया है. लेकिन कई बार विज्ञान भी आस्था और चमत्कार के आगे नतमस्तक दिखाई देता है. भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आस्था विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. देवभूमि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है, जहां जहरीले सांप के काटने पर भी लोगों पर उसके जहर का असर नहीं होता. स्थानीय लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं.

पढ़ें-धारा 370 और राम मंदिर पर रामदेव के कड़े तेवर, बोले- जिसका था इंतजार अब होने वाला है

सांप के काटने पर नहीं होता असर

पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों का इतिहास चार युगों से रहा है. जिनकी भूलोक में आज भी पूजा की जाती है. ऐसा ही एक क्षेत्र उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील कालसी का सुरेऊ गांव हैं. जहां सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. स्थानीय लोगों का कहना है कि नाग देवता के स्मरण मात्र से ही सांप के काटने पर जहर उतर जाता है और पीड़ित को अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती. लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं. स्थानीय लोग मानते हैं कि सांप तभी काटते हैं जब नाग नाराज होते हैं, जिसे लोग दोष मानते हैं. प्रत्येक साल अगस्त माह में लोग नाग देवता की उपासना के लिए तीन दिन का व्रत रखते हैं. जिसमें लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. वहीं नाग देवता के बारे में लोगों में क्या धारण हैं आप भी सुन लीजिए.

गुफा में भी होती नाग देवता की पूजा

नाग देवता की प्रसाद के रूप में जो भोग बनाया जाता है उसमें विशेष आटे का प्रयोग किया जाता है. जिसमें रोट दाल शुद्ध घी से भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के उपरांत व्रत खोला जाता है. वहीं, सुरेऊ गांव के करीब 60 परिवारों में ये परंपरा अतीत से चली आ रही है. साथ ही गांव से लगते दूसरे गांव भी नाग देवता की महिमा सुनकर मंदिर में पूजा- अर्चना के लिए आते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गांव की बसायत से पहले यहां नाग देवता का वास नगाया गुफा में था. जहां पहुंचने के लिए लगभग दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. स्थानीय लोगों में मान्यता है कि जो सच्चे मन से गुफा में पूजा-अर्चना करता है उसे नाग देवता अपने दर्शन देते हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय ग्रामीण

स्थानीय ग्रामीण केदार सिंह का कहना है गांव के किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो उसे उपचार की जरूरत नहीं पड़ती. गांव के लोग जमा होकर जैसे ही नाग देवता का स्मरण करते हैं वैसे-वैसे जहर उतरता रहता है. साल में नाग देवता के लिए स्थानीय लोग तीन दिन का व्रत रखते हैं. गांव के बुजुर्ग छोटू सिंह का कहना है कि पीढ़ियों से नाग देवता का वास हमारे साथ है. क्षेत्र की बहन-बेटी या किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो नाग देवता की शक्ति हमें उस जहर से बचाती है. जिसे लोग नाग देवता की शक्ति मानते हैं.

नाग देवता की उपासना के लिए लोग प्रसाद के लिए विशेष आटा तैयार करते हैं. वह वर्ष में एक बार 3 दिनों का कठोर व्रत रखते हैं. ग्रामीण खजान सिंह चौहान का कहना है कि नाग देवता का अगस्त माह में व्रत रखा जाता है बताया कि नाग देवता किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हमारे ऊपर नाग देवता की बड़ी कृपा है. हम लोग अन्य लोगों को भी सांपों को मारने से रोकते हैं. मंदिर के भंडारी परम सिंह कहते हैं कि हमारे ऊपर नाग देवता की हमेशा ही कृपा बनी रहती है. गलती से कभी सांप अगर काट भी लेता है तो जहर नहीं चढ़ता है.

वहीं, प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि गांव से ऊंचाई पर स्थित लगाया पहाड़ी में नाग देवता का वास है. जिसके कारण लोगों ने गांव में नाग देवता का मंदिर स्थापित किया है. यहां आसपास के गांव के लोग भी नाग देवता की पूजा अर्चना करने आते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर में नाग देवता के साक्षात रूप में दर्शन होते हैं. उनका कहना है कि इस मंदिर की महिमा इतनी फैल गई है कि लोग दूर-दूर से यहां नाग देवता के दर्शन करने आते हैं. सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए कदम उठाना चाहिए.

आवश्यक नोट: ईटीवी भारत ऐसे किसी भी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता. लोगों में जो धारणा है यह उनकी आस्था से जुड़ी है. सांप के काटने पर इलाज जरूर कराना चाहिए.

विकासनगर: आज पूरे देश के साथ ही देवभूमि उत्तराखंड में भी नाग पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. जिसका हिन्दू धर्म के लोगों के लिए खास महत्व है.इस बार नाग पंचमी 5 अगस्‍त यानी आज है. खास बात यह है कि इस बार नाग पंचमी के दिन सोमवार है. दरअसल, सोमवार को भगवान शिव शंकर का दिन माना गया है, इसवजह से इस पर्व का महत्व बढ़ गया है. वहीं प्रदेश के कई हिस्सों में लोग नाग देवता के मंदिरों में सुबह से पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

देवभूमि के इस गांव में सांप के काटने पर लोग नहीं कराते इलाज
वहीं आज के वैज्ञानिक युग ने असंभव को संभव कर दिखाया है. लेकिन कई बार विज्ञान भी आस्था और चमत्कार के आगे नतमस्तक दिखाई देता है. भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आस्था विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. देवभूमि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है, जहां जहरीले सांप के काटने पर भी लोगों पर उसके जहर का असर नहीं होता. स्थानीय लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं.

पढ़ें-धारा 370 और राम मंदिर पर रामदेव के कड़े तेवर, बोले- जिसका था इंतजार अब होने वाला है

सांप के काटने पर नहीं होता असर

पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों का इतिहास चार युगों से रहा है. जिनकी भूलोक में आज भी पूजा की जाती है. ऐसा ही एक क्षेत्र उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील कालसी का सुरेऊ गांव हैं. जहां सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. स्थानीय लोगों का कहना है कि नाग देवता के स्मरण मात्र से ही सांप के काटने पर जहर उतर जाता है और पीड़ित को अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती. लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं. स्थानीय लोग मानते हैं कि सांप तभी काटते हैं जब नाग नाराज होते हैं, जिसे लोग दोष मानते हैं. प्रत्येक साल अगस्त माह में लोग नाग देवता की उपासना के लिए तीन दिन का व्रत रखते हैं. जिसमें लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. वहीं नाग देवता के बारे में लोगों में क्या धारण हैं आप भी सुन लीजिए.

गुफा में भी होती नाग देवता की पूजा

नाग देवता की प्रसाद के रूप में जो भोग बनाया जाता है उसमें विशेष आटे का प्रयोग किया जाता है. जिसमें रोट दाल शुद्ध घी से भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के उपरांत व्रत खोला जाता है. वहीं, सुरेऊ गांव के करीब 60 परिवारों में ये परंपरा अतीत से चली आ रही है. साथ ही गांव से लगते दूसरे गांव भी नाग देवता की महिमा सुनकर मंदिर में पूजा- अर्चना के लिए आते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गांव की बसायत से पहले यहां नाग देवता का वास नगाया गुफा में था. जहां पहुंचने के लिए लगभग दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. स्थानीय लोगों में मान्यता है कि जो सच्चे मन से गुफा में पूजा-अर्चना करता है उसे नाग देवता अपने दर्शन देते हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय ग्रामीण

स्थानीय ग्रामीण केदार सिंह का कहना है गांव के किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो उसे उपचार की जरूरत नहीं पड़ती. गांव के लोग जमा होकर जैसे ही नाग देवता का स्मरण करते हैं वैसे-वैसे जहर उतरता रहता है. साल में नाग देवता के लिए स्थानीय लोग तीन दिन का व्रत रखते हैं. गांव के बुजुर्ग छोटू सिंह का कहना है कि पीढ़ियों से नाग देवता का वास हमारे साथ है. क्षेत्र की बहन-बेटी या किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो नाग देवता की शक्ति हमें उस जहर से बचाती है. जिसे लोग नाग देवता की शक्ति मानते हैं.

नाग देवता की उपासना के लिए लोग प्रसाद के लिए विशेष आटा तैयार करते हैं. वह वर्ष में एक बार 3 दिनों का कठोर व्रत रखते हैं. ग्रामीण खजान सिंह चौहान का कहना है कि नाग देवता का अगस्त माह में व्रत रखा जाता है बताया कि नाग देवता किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हमारे ऊपर नाग देवता की बड़ी कृपा है. हम लोग अन्य लोगों को भी सांपों को मारने से रोकते हैं. मंदिर के भंडारी परम सिंह कहते हैं कि हमारे ऊपर नाग देवता की हमेशा ही कृपा बनी रहती है. गलती से कभी सांप अगर काट भी लेता है तो जहर नहीं चढ़ता है.

वहीं, प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि गांव से ऊंचाई पर स्थित लगाया पहाड़ी में नाग देवता का वास है. जिसके कारण लोगों ने गांव में नाग देवता का मंदिर स्थापित किया है. यहां आसपास के गांव के लोग भी नाग देवता की पूजा अर्चना करने आते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर में नाग देवता के साक्षात रूप में दर्शन होते हैं. उनका कहना है कि इस मंदिर की महिमा इतनी फैल गई है कि लोग दूर-दूर से यहां नाग देवता के दर्शन करने आते हैं. सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए कदम उठाना चाहिए.

आवश्यक नोट: ईटीवी भारत ऐसे किसी भी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता. लोगों में जो धारणा है यह उनकी आस्था से जुड़ी है. सांप के काटने पर इलाज जरूर कराना चाहिए.

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Nag devta temple in sureu village vikasnagar dehradun

देवभूमि के इस गांव में सांप के काटने पर लोग नहीं कराते इलाज, ऐसे उतर जाता है जहर



विकासनगर: आज पूरे देश में नाग पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. जिसका हिन्दू धर्म के लोगों के लिए खास महत्व है.इस बार नाग पंचमी 5 अगस्‍त यानी आज  है. खास बात यह है कि इस बार नाग पंचमी के दिन सोमवार है. दरअसल, सोमवार को भगवान शिव शंकर का दिन माना गया है. इसवजह से इस पर्व का महत्व बढ़ गया है.

आज के वैज्ञानिक युग ने असंभव को संभव कर दिखाया है. लेकिन कई बार विज्ञान भी आस्था और चमत्कार के आगे नतमस्तक दिखाई देता है. भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आस्था विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. देवभूमि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है, जहां जहरीले सांप के काटने पर भी लोगों पर उसके जहर का असर नहीं होता. स्थानीय लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं.

सांप के काटने पर नहीं होता असर

पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों का इतिहास चार युगों से रहा है. जिनकी भूलोक में आज भी पूजा की जाती है. ऐसा ही एक क्षेत्र उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील कालसी का सुरेऊ गांव हैं. जहां सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. स्थानीय लोगों का कहना है कि  नाग देवता के स्मरण मात्र से ही सांप के काटने पर जहर उतर जाता है और पीड़ित को अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती. लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं. स्थानीय लोग मानते हैं कि सांप तभी काटते हैं जब नाग नाराज होते हैं, जिसे लोग दोष मानते हैं. प्रत्येक साल अगस्त माह में लोग नाग देवता की उपासना के लिए तीन दिन का व्रत रखते हैं. जिसमें लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. वहीं नाग देवता के बारे में लोगों में क्या धारण हैं आप भी सुन लीजिए. 

गुफा में भी होती नाग देवता की पूजा

नाग देवता की प्रसाद के रूप में जो भोग बनाया जाता है उसमें विशेष आटे का प्रयोग किया जाता है. जिसमें रोट दाल शुद्ध घी से भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के उपरांत व्रत खोला जाता है. वहीं, सुरेऊ गांव के करीब 60 परिवारों में ये परंपरा अतीत से चली आ रही है. साथ ही गांव से लगते दूसरे गांव भी नाग देवता की महिमा सुनकर मंदिर में पूजा- अर्चना के लिए आते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गांव की बसायत से पहले यहां नाग देवता का वास नगाया गुफा में था. जहां पहुंचने के लिए लगभग दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. स्थानीय लोगों में मान्यता है कि जो सच्चे मन से गुफा में पूजा-अर्चना करता है उसे नाग देवता अपने दर्शन देते हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय ग्रामीण

स्थानीय ग्रामीण केदार सिंह का कहना है गांव के किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो उसे उपचार की जरूरत नहीं पड़ती. गांव के लोग जमा होकर जैसे ही नाग देवता का स्मरण करते हैं वैसे-वैसे जहर उतरता रहता है.  साल में नाग देवता के लिए स्थानीय लोग तीन दिन का व्रत रखते हैं.  गांव के बुजुर्ग छोटू सिंह का कहना है कि पीढ़ियों से नाग देवता का वास हमारे साथ है. क्षेत्र की बहन-बेटी या किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो नाग देवता की शक्ति हमें उस जहर से बचाती है. जिसे लोग नाग देवता की शक्ति मानते हैं. 

नाग देवता की उपासना के लिए लोग प्रसाद के लिए विशेष आटा तैयार करते हैं. वह वर्ष में एक बार 3 दिनों का कठोर व्रत रखते हैं. ग्रामीण खजान सिंह चौहान का कहना है कि नाग देवता का अगस्त माह में व्रत रखा जाता है बताया कि नाग देवता किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते हमारे ऊपर नाग देवता की बड़ी कृपा है. हम लोग अन्य लोगों को भी सांपों को मारने से रोकते हैं. मंदिर के भंडारी परम सिंह कहते हैं कि हमारे ऊपर नाग देवता की हमेशा ही कृपा बनी रहती है. गलती से कभी सांप अगर काट भी लेता है तो जहर नहीं चढ़ता है. 

वहीं, प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि गांव से ऊंचाई पर स्थित लगाया पहाड़ी में नाग देवता का वास है. जिसके कारण लोगों ने गांव में नाग देवता का मंदिर स्थापित किया है. यहां आसपास के गांव के लोग भी नाग देवता की पूजा अर्चना करने आते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर में नाग देवता के साक्षात रूप में दर्शन होते हैं. उनका कहना है कि इस मंदिर की महिमा इतनी फैल गई है कि लोग दूर-दूर से यहां नाग देवता के दर्शन करने आते हैं. सरकार को इसे बढ़ावा देने के लिए कदम उठाना चाहिए.  

आवश्यक नोट: ईटीवी भारत ऐसे किसी भी मिथक और अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता. लोगों में जो धारणा है यह उनकी आस्था से जुड़ी है. सांप के काटने पर इलाज जरूर कराना चाहिए.

 


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Last Updated : Aug 5, 2019, 9:17 AM IST
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