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किसानों की आय बढ़ाने के लिए नाबार्ड का खास प्लान, मिश्रित खेती से आएगी खुशहाली

नाबार्ड ने स्टेट क्रेडिट सेमिनार में किसानों का आय दोगुना करने के लिए एक खास मसौदा तैयार किया है. इसमें बताया गया कि कैसे मिश्रित और ऑर्गेनिक खेती से किसानों की जिंदगी खुशहाल की जा सकती है.

state credit seminar
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Published : Dec 30, 2020, 3:20 PM IST

देहरादून: नाबार्ड की ओर से स्टेट क्रेडिट सेमिनार का आयोजन किया गया. इस मौके पर नाबार्ड ने 'किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उपज का समूहन' विषय पर अपनी वर्क स्टडी रखी. इस मौके पर मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार की योजना किसानों की आय को दोगुना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. ज्ञानेंद्र मणि ने बताया कि इस साल स्टेट फोकस पेपर का विषय 'किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उपज का समूहन' पर आधारित है. सेमिनार में नाबार्ड के पास उपलब्ध विभिन्न निधियों (आरआईडीएफ के अतिरिक्त एलटीआईएफ, सूक्ष्म सिंचाई, डेयरी प्रोससिंग, नीडा, स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण, वाटरशेड, एआईएफ, वित्तीय समावेशन के विभिन्न उत्पाद, जलवायु परिवर्तन, ग्राम्य विकास निधि) आदि के बारे में बताया. सेमिनार में राज्य सरकार व बैंकों से अनुरोध किया कि इन निधियों का अधिक से अधिक उपयोग करें और राज्य के विकास में सहयोग करें.

सेमिनार में डॉ. ज्ञानेंद्र मणि ने बताया कि नाबार्ड इस रोड-मैप के आधार पर राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के लिए वार्षिक ऋण योजना बनाती है और अग्रणी बैंक योजना के तहत बैंकों के लिए लक्ष्य निर्धारित करती है. राज्य सरकार को भी इससे अपने वार्षिक बजट में आवश्यक बुनियादी ढांचे और विस्तार सेवाओं हेतु उचित प्रावधान करने में सहायता मिलती है.

राज्य के विकास में नाबार्ड द्वारा बुनियादी जरूरतों, नीतिगत पहलों, विकास की प्राथमिकताओं और ऋण वितरण प्रणाली की क्षमता को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के लिए वर्ष 2021-22 के लिए 27160.16 करोड़ रुपये की ऋण संभावनाओं का आंकलन किया गया है. जिसमें से कृषि के लिए 12648.50 करोड़ रुपये का आंकलन है. यह ऋण संभावना विगत वर्ष से 10 प्रतिशत अधिक है. यही नहीं, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के समन्वयक डी.पी. भट्ट ने स्टेट फोकस पेपर में ऋण संभावनाओं पर मिलकर कार्य करने तथा केसीसी के माध्यम से किसानों तक समय पर ऋण पहुंचाने के लिए सभी बैंकर्स से अनुरोध किया. साथ ही सीडी रेश्यो बढ़ाने और वित्तीय साक्षरता पर जागरूकता बढ़ाने पर भी जोर दिया.

पढ़ेंः रेखा आर्य ने नंदा-गौरा कन्याधन योजना के लिए बढ़ाई अंतिम तारीख, कहा-कार्यशैली बदलें अधिकारी

वीर चंद गढ़वाली उत्तराखंड बागवानी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एके कर्नाटक ने नाबार्ड के ग्रामीण व कृषि क्षेत्र के प्रयासों की सराहना की और उत्तराखंड के पहाड़ों से हर वर्ष हो रही उपजाऊ मिट्टी के कटाव को रोकने पर मिलकर कार्य करने का अनुरोध किया. सेमिनार में भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि नाबार्ड ने स्टेट फोकस पेपर को अथक मेहनत से तैयार किया है और जो योजनाएं प्रस्तुत की हैं, उन पर क्रियान्वयन करने की जिम्मेदारी सभी बैंकों व एलडीएम की है. उन्होंने कहा कि किसानों का हित ही देश हित है और कृषि में क्रेडिट बढ़ाने पर बल दिया. उन्होंने सिक्किम के ऑर्गेनिक मॉडल को अपनाकर उत्तराखंड में भी ऑर्गेनिक के क्षेत्र में काम करने का सुझाव दिया.

सेमिनार में सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने नाबार्ड को स्टेट फोकस पेपर बनाने के लिए बधाई दी और कहा कि नाबार्ड राज्य की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. नाबार्ड द्वारा सहकारी बैंकों को पुर्नवित्त सहायता द्वारा बैंकों के संसाधनों में वृद्धि की जा रही है. स्टेट फोकस पेपर की थीम को प्रासंगिक बताते हुए उन्होंने राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला, जिसमें किसानों के लिए 3 लाख तक का ब्याज रहित ऋण, डेयरी क्षेत्र में पशुधन बढ़ाने हेतु 50 प्रतिशत की छूट, स्थानीय कृषि उत्पाद को एमएसपी पर खरीद, सहकारी बैंकों ऋण वसूली आदि प्रमुख हैं.

सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि इस कोविड महामारी काल में भी नाबार्ड स्वयं आगे आकर कार्य कर रहा है, जो सराहनीय व प्रशंसनीय है. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से भारत सरकार की योजना किसानों की आय को दोगुना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. उन्होंने कहा कि केवल कृषि से किसानों की आय को दोगुना नहीं किया जा सकता है, जरूरत है मिश्रित खेती करने और अन्य संबंधित गतिविधियों को अपनाने और बिचौलियों को दूर रखने की. साथ ही उत्पादों की बेहतर ब्रांडिग और पैकेजिंग की भी जरूरत है.

देहरादून: नाबार्ड की ओर से स्टेट क्रेडिट सेमिनार का आयोजन किया गया. इस मौके पर नाबार्ड ने 'किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उपज का समूहन' विषय पर अपनी वर्क स्टडी रखी. इस मौके पर मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार की योजना किसानों की आय को दोगुना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. ज्ञानेंद्र मणि ने बताया कि इस साल स्टेट फोकस पेपर का विषय 'किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि उपज का समूहन' पर आधारित है. सेमिनार में नाबार्ड के पास उपलब्ध विभिन्न निधियों (आरआईडीएफ के अतिरिक्त एलटीआईएफ, सूक्ष्म सिंचाई, डेयरी प्रोससिंग, नीडा, स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण, वाटरशेड, एआईएफ, वित्तीय समावेशन के विभिन्न उत्पाद, जलवायु परिवर्तन, ग्राम्य विकास निधि) आदि के बारे में बताया. सेमिनार में राज्य सरकार व बैंकों से अनुरोध किया कि इन निधियों का अधिक से अधिक उपयोग करें और राज्य के विकास में सहयोग करें.

सेमिनार में डॉ. ज्ञानेंद्र मणि ने बताया कि नाबार्ड इस रोड-मैप के आधार पर राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के लिए वार्षिक ऋण योजना बनाती है और अग्रणी बैंक योजना के तहत बैंकों के लिए लक्ष्य निर्धारित करती है. राज्य सरकार को भी इससे अपने वार्षिक बजट में आवश्यक बुनियादी ढांचे और विस्तार सेवाओं हेतु उचित प्रावधान करने में सहायता मिलती है.

राज्य के विकास में नाबार्ड द्वारा बुनियादी जरूरतों, नीतिगत पहलों, विकास की प्राथमिकताओं और ऋण वितरण प्रणाली की क्षमता को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के लिए वर्ष 2021-22 के लिए 27160.16 करोड़ रुपये की ऋण संभावनाओं का आंकलन किया गया है. जिसमें से कृषि के लिए 12648.50 करोड़ रुपये का आंकलन है. यह ऋण संभावना विगत वर्ष से 10 प्रतिशत अधिक है. यही नहीं, राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के समन्वयक डी.पी. भट्ट ने स्टेट फोकस पेपर में ऋण संभावनाओं पर मिलकर कार्य करने तथा केसीसी के माध्यम से किसानों तक समय पर ऋण पहुंचाने के लिए सभी बैंकर्स से अनुरोध किया. साथ ही सीडी रेश्यो बढ़ाने और वित्तीय साक्षरता पर जागरूकता बढ़ाने पर भी जोर दिया.

पढ़ेंः रेखा आर्य ने नंदा-गौरा कन्याधन योजना के लिए बढ़ाई अंतिम तारीख, कहा-कार्यशैली बदलें अधिकारी

वीर चंद गढ़वाली उत्तराखंड बागवानी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एके कर्नाटक ने नाबार्ड के ग्रामीण व कृषि क्षेत्र के प्रयासों की सराहना की और उत्तराखंड के पहाड़ों से हर वर्ष हो रही उपजाऊ मिट्टी के कटाव को रोकने पर मिलकर कार्य करने का अनुरोध किया. सेमिनार में भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि नाबार्ड ने स्टेट फोकस पेपर को अथक मेहनत से तैयार किया है और जो योजनाएं प्रस्तुत की हैं, उन पर क्रियान्वयन करने की जिम्मेदारी सभी बैंकों व एलडीएम की है. उन्होंने कहा कि किसानों का हित ही देश हित है और कृषि में क्रेडिट बढ़ाने पर बल दिया. उन्होंने सिक्किम के ऑर्गेनिक मॉडल को अपनाकर उत्तराखंड में भी ऑर्गेनिक के क्षेत्र में काम करने का सुझाव दिया.

सेमिनार में सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने नाबार्ड को स्टेट फोकस पेपर बनाने के लिए बधाई दी और कहा कि नाबार्ड राज्य की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. नाबार्ड द्वारा सहकारी बैंकों को पुर्नवित्त सहायता द्वारा बैंकों के संसाधनों में वृद्धि की जा रही है. स्टेट फोकस पेपर की थीम को प्रासंगिक बताते हुए उन्होंने राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला, जिसमें किसानों के लिए 3 लाख तक का ब्याज रहित ऋण, डेयरी क्षेत्र में पशुधन बढ़ाने हेतु 50 प्रतिशत की छूट, स्थानीय कृषि उत्पाद को एमएसपी पर खरीद, सहकारी बैंकों ऋण वसूली आदि प्रमुख हैं.

सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि इस कोविड महामारी काल में भी नाबार्ड स्वयं आगे आकर कार्य कर रहा है, जो सराहनीय व प्रशंसनीय है. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से भारत सरकार की योजना किसानों की आय को दोगुना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. उन्होंने कहा कि केवल कृषि से किसानों की आय को दोगुना नहीं किया जा सकता है, जरूरत है मिश्रित खेती करने और अन्य संबंधित गतिविधियों को अपनाने और बिचौलियों को दूर रखने की. साथ ही उत्पादों की बेहतर ब्रांडिग और पैकेजिंग की भी जरूरत है.

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