मसूरीः आज शिक्षक दिवस है. शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को सम्मानित करने का दिन. देश में शिक्षा की स्थिति क्या है वह किसी से छिपी नहीं है. खासकर ग्रामीण भागों में शिक्षा को लेकर सरकार कितनी जागरुक है वह सर्वविदित है. हालत यह है कि बच्चे जान जोखिम में डालकर जर्जर इमारत में पढ़ने को मजबूर हैं. उत्तराखंड में भी कमोवेश यही स्थिति है. राज्य सरकार लगातार सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए प्रयास कर रही है परंतु धरातल पर कुछ खास होता हुआ नजर नहीं आ रहा है.
प्रदेश की राजधानी देहरादून से मात्र 40 किलोमीटर दूर मसूरी नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत संचालित होने वाले राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय दूधली और राजकीय प्राथमिक विद्यालय दूधली का हाल बेहाल है. जब राजधानी के समीप के स्कूलों की यह हालत है तो राज्य के सुदूर अंचलों में स्थित स्कूलों की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है.
बिना छत के राजकीय प्राथमिक विद्यालय दूधली और क्षतिग्रस्त हालत में उच्च राजकीय प्राथमिक विद्यालय बताने के लिए काफी है कि स्कूल किन परिस्थितियों में संचालित किया जा रहा है.
वहीं, दोनों स्कूलों में तैनात शिक्षकों की लापरवाही के कारण स्कूल में पढ़ाई भी चौपट होती जा रही है. लोगों की मानें तो अधिकांश समय स्कूल बंद रहता है. वहीं दूसरी ओर दूरदराज से स्कूल आने वाले छात्रों को भारी परेशानियों का सामना करना
पड़ता है ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में तैनात चारों शिक्षक बारी-बारी स्कूल आते हैं. वहीं कई बार तो चारों शिक्षक में से कोई भी स्कूल नहीं आते हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हो रही है
स्थानीय निवासी बीरबल सिंह चौहान ने बताया कि यहां के दोनों स्कूलों का हाल बेहाल है. एक स्कूल की छत पिछले दो साल से उड़ी हुई है जिसको लगाने के लिये क्षेत्र की जनता ने विधायक गणेश जोषी से आग्रह किया था परन्तु इस दिशा में आज तक कोई काम नहीं हुआ है.
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इन दोनों स्कूलों में तैनात शिक्षक भी स्कूल में कम ही आते हैं जिससे कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही हैं. वह शिक्षकों की लापरवाही के कारण बच्चों का भविष्य भी अंधकार जाता नजर आ रहा है. उन्होंने सरकार से दोनों स्कूलों की हालत को सुधारने के साथ लापरवाह शिक्षकों पर भी कार्रवाई करने की मांग की है.
वहीं, इस संबंध में कांग्रेस के पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला द्वारा सरकार की शिक्षा नीति पर ही सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार पहाड़ी क्षेत्रों से पलायन को रोकने के बात तो कर रही है परंतु पहाड़ों के स्कूलों को लगातार कम करने का काम कर रही है.
आंकड़ों के हिसाब से अब तक 3000 से ज्यादा सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं. उसके पीछे सरकार द्वारा सरकारी स्कूल के पास कॉन्वेंट स्कूलों को खोलने की अनुमति दी जा रही है. उन्होने कहा कि शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिये एक समान शिक्षा लागू करनी होगी.
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उन्होंने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से आग्रह किया है कि वह उत्तराखंड को बहुत बेहतर तरीके से जानते हैं और ऐसे में यहां के शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कोई ठोस नीति लेकर आएं जिससे उत्तराखंड के बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा सके. उन्होंने कहा कि अगर देश का युवा पढ़ेगा तो देश बढ़ेगा.
इस संबंध में भाजपा नेता विजय रमोला ने कहा कि दूधली के दोनों स्कूल की जर्जर हालत व स्कूलों में शिक्षकों का न पहुंचना गंभीर विषय है. ऐसे में वे जल्द शिक्षा मंत्री और उच्च शिक्षा अधिकारी से वार्ता कर स्कूल की हालत को सुधारने के साथ लापरवाह शिक्षकों की शिकायत करेंगे जिससे बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके.