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हिमालयन कॉन्क्लेव में मसूरी संकल्प पत्र पारित, जल संरक्षण पर हुई विशेष चर्चा

रविवार को हिमालयन कॉन्क्लेव की शुरुआत मसूरी में हुई. इस कॉन्क्लेव के दौरान हिमालयी राज्य किस प्रकार से जल संरक्षण में केंद्र का सहयोग करें, इस पर विशेष रूप से विचार किया गया.

मसूरी संकल्प किया गया पारित.
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Published : Jul 29, 2019, 12:02 AM IST

देहरादून: हिमालयी राज्यों ने साझा प्रयासों के तहत क्षेत्र के विकास और पर्यावरण सुरक्षा पर विचार किया है. इसके बाद कॉन्क्लेव में पहुंचे दस राज्यों के प्रतिनिधियों ने मसूरी संकल्प भी पारित कर दिया है. हिमालयी क्षेत्र में सांस्कृतिक विरासत बचाने, प्रकृति के संरक्षण करने समेत लोक कला को भी सुरक्षित करने जैसे बिंदुओ को ध्यान में रखा गया.

पहाड़ों की रानी मसूरी में हुए हिमालयन कॉन्क्लेव के दौरान हिमालयी क्षेत्रों के विकास और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारियों पर विचार किया गया. वहीं कार्यक्रम के बाद मसूरी संकल्प को भी पारित किया गया है. मसूरी संकल्प में हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधियों ने पर्वतीय राज्यों के सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और देश की समृद्धि में योगदान देने का संकल्प लिया. है.

इस दौरान प्रकृति जय विविधता ग्लेशियर नदी और झीलों के संरक्षण की भी शपथ ली गई. मसूरी संकल्प में जीवंत लोक कला, सेल्फ लोक साहित्य को बचाकर आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने की शपथ ली गई. इसके अलावा समानता और न्यायिक सोच के साथ पर्वतीय क्षेत्रों में विकास करने का संकल्प लिया गया. पर्वतीय सभ्यताओं के महान इतिहास व विरासत के संरक्षण का भी संकल्प लिया गया.

रविवार को संपन्न हुए हिमालयन कॉन्क्लेव में एक मंच पर एक जैसी परिस्थितियों को लेकर मंथन के लिए मौजूद था. कॉन्क्लेव के दौरान तैयार ड्राफ्ट को भी केंद्र समेत नीति आयोग और वित्त आयोग को सौंपा गया. कॉन्क्लेव के बाद हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए मसूरी संकल्प को पारित कर इन राज्यों को नई दिशा प्रदान की.

देहरादून: हिमालयी राज्यों ने साझा प्रयासों के तहत क्षेत्र के विकास और पर्यावरण सुरक्षा पर विचार किया है. इसके बाद कॉन्क्लेव में पहुंचे दस राज्यों के प्रतिनिधियों ने मसूरी संकल्प भी पारित कर दिया है. हिमालयी क्षेत्र में सांस्कृतिक विरासत बचाने, प्रकृति के संरक्षण करने समेत लोक कला को भी सुरक्षित करने जैसे बिंदुओ को ध्यान में रखा गया.

पहाड़ों की रानी मसूरी में हुए हिमालयन कॉन्क्लेव के दौरान हिमालयी क्षेत्रों के विकास और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारियों पर विचार किया गया. वहीं कार्यक्रम के बाद मसूरी संकल्प को भी पारित किया गया है. मसूरी संकल्प में हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधियों ने पर्वतीय राज्यों के सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और देश की समृद्धि में योगदान देने का संकल्प लिया. है.

इस दौरान प्रकृति जय विविधता ग्लेशियर नदी और झीलों के संरक्षण की भी शपथ ली गई. मसूरी संकल्प में जीवंत लोक कला, सेल्फ लोक साहित्य को बचाकर आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने की शपथ ली गई. इसके अलावा समानता और न्यायिक सोच के साथ पर्वतीय क्षेत्रों में विकास करने का संकल्प लिया गया. पर्वतीय सभ्यताओं के महान इतिहास व विरासत के संरक्षण का भी संकल्प लिया गया.

रविवार को संपन्न हुए हिमालयन कॉन्क्लेव में एक मंच पर एक जैसी परिस्थितियों को लेकर मंथन के लिए मौजूद था. कॉन्क्लेव के दौरान तैयार ड्राफ्ट को भी केंद्र समेत नीति आयोग और वित्त आयोग को सौंपा गया. कॉन्क्लेव के बाद हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए मसूरी संकल्प को पारित कर इन राज्यों को नई दिशा प्रदान की.

Intro:summary- हिमालयी राज्यों ने साझा प्रयासों के तहत हिमालई क्षेत्र के विकास और यहां के पर्यावरण सुरक्षा पर गहन मंथन किया तो इसके बाद कॉन्क्लेव में पहुंचे राज्यों के प्रतिनिधियों ने मसूरी संकल्प भी पारित किया।

हिमालई क्षेत्र में सांस्कृतिक विरासत बचाने, प्रकृति के संरक्षण करने समेत लोक कला को भी सुरक्षित करने जैसे बिंदुओ पर हिमालई राज्यों के प्रतिनिधियों ने मसूरी संकल्प को पारित किया।


Body:पहाड़ों की रानी मसूरी में हुए हिमालयन कॉन्क्लेव के दौरान जहां इस क्षेत्र के विकास और पर्यावरण को लेकर जिम्मेदारियों पर मंथन किया गया तो वही कार्यक्रम के बाद मसूरी संकल्प को भी पारित किया गया। मसूरी संकल्प के दौरान हिमालई राज्यों के प्रतिनिधियों ने पर्वतीय राज्यों के सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और देश की समृद्धि में योगदान का संकल्प लिया.. इस दौरान प्रकृति जय विविधता ग्लेशियर नदी और झीलों के संरक्षण की भी शपथ ली गई। मसूरी संकल्प में जीवंत लोक कला सेल्फ लोक साहित्य को भी बचाकर आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने की कसम ली गयी। इसके अलावा समानता और न्यायिक सोच के साथ रणनीतिक रूप से सतत विकास करने की भी कसम ली गई। पर्वतीय सभ्यताओं के महान इतिहास व विरासत के संरक्षण का भी संकल्प लिया गया।


Conclusion:हिमालई राज्य रविवार को एक मंच पर एक जैसी परिस्थितियों को लेकर मंथन के लिए मौजूद थे और कॉन्क्लेव के दौरान तैयार ड्राफ्ट को भी केंद्र समेत नीति आयोग और वित्त आयोग को सौंपा गया लेकिन कॉन्क्लेव के बाद हिमालई राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपनी जिम्मेदारियों को भी समझते हुए मसूरी संकल्प को पारित कर इन राज्यों के दृष्टिकोण को भी साफ कर दिया।
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