देहरादूनः कोविड-19 के इस मुश्किल दौर में एक बार फिर से शासन का पंजा आम जनता पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर चलने वाला है. ऐसे में आम लोग, रेहड़ी-पटरी वाले व्यापारियों की मुश्किल बढ़ने वाली हैं. मसूरी विधायक गणेश जोशी इस मामले में वन टाइम सेटलमेंट के लिए आवाज उठा रहे हैं. जिसको लेकर उन्होंने आज आवास सचिव शैलेश बगौली से बातचीत की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मसूरी में आवास निर्माण किये जाने को लेकर मसूरी विधायक गणेश जोशी ने आवास एवं शहरी विकास विभाग के सचिव शैलेश बगौली से मुलाकात की.उन्होंने मसूरी के लिए वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी पर अतिशीघ्र निर्णय लेने का भी आग्रह किया.
सचिवालय में मुलाकात के दौरान विधायक जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मसूरी में आवास निर्माण नहीं होने से इस योजना का लाभ मसूरी की गरीब जनता एवं जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल पा रहा है. उन्होनें कहा कि मसूरी में सभी निम्न वर्ग आय के लोगों को आवास उपलब्ध कराये जाने के लिए इस योजना पर कार्य किया जाना आवश्यक है. मसूरी में अधिसूचित वन भूमि होने के कारण आवास योजना में दिक्कत हो रही थी, किन्तु मसूरी के आसपास कई स्थानों पर नगर पालिका परिषद के पास ऐसी भूमि भी है, जहां पर अधिसूचित वन क्षेत्र नहीं है.
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ऐसे स्थानों पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भवन निर्माण कर निम्न वर्ग आय के लोगों को आवास निर्माण कर आवंटित किये जा सकते हैं. उन्होनें कहा कि मसूरी नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत निजी भूमि भी उपलब्ध है. कई निजी भूमि धारक अपनी भूमि देने को तैयार हैं, ताकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासों का निर्माण हो सके, ताकि निम्न वर्ग आय के लोगों को आवास योजना का लाभ मिल सके.
मसूरी में आवासीय एवं व्यवसायिक भवनों के मानचित्र प्राधिकरण द्वारा अलग-अलग कारणों से स्वीकृत नहीं किये गये. जिसके चलते लोगों ने पूर्व निर्मित भवनों में परिवर्तन एवं इसके साथ निर्माण कार्य किया. ऐसे निर्माण कार्यो में प्राधिकरण द्वारा बिना सुनवाई के सीलिंग एवं ध्वस्तीकरण के आदेश दिये गए, जिससे मसूरी के अधिकांश लोग प्रभावित हो रहे हैं.
उन्होंने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा वन टाइम सेटलमेंट पाॅलिसी लागू करने का निर्णय लिया गया है. एमडीडीए द्वारा वन टाइम सेटलमेंट पाॅलिसी के संबंध में पत्रावली तैयार कर शासन को प्रेषित भी की गई है और अब इस प्रकरण पर शासन को संज्ञान लेना है.