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यहां शफीक के बनाए रावण दहन करते हैं राम, 55 सालों से परिवार दे रहा भाईचारे का संदेश

ऋषिकेश में साल 1964 से मुज्जफरनगर (यूपी) के शफीक अहमद का परिवार रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बनाने का काम करता आ रहा है. शफीक अहमद अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं. जो कौमी एकता का संदेश दे रहे हैं.

ऋषिकेश
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Published : Oct 7, 2019, 5:10 PM IST

Updated : Oct 7, 2019, 6:01 PM IST

ऋषिकेशः दशहरा के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले दहन करते हैं. पुतले बनाने के लिए कारीगर काफी पहले से ही काम पर जुट जाते हैं. तीर्थनगरी में एक मुस्लिम परिवार हिंदुओं के इस पवित्र पर्व दशहरा में रंग भरने का काम कर रहा है. ये मुस्लिम परिवार बीते 55 सालों से यानि तीन पीढ़ियों से पुतला बनाने का काम कर रहा है. जो हिंदू-मुस्लिम की एकता और आपसी सौहार्द का संदेश दे रहे हैं.

दशहरा के लिए पुतले बनाकर कौमी एकता का संदेश देता मुस्लिम परिवार.

दरअसल, ऋषिकेश में साल 1964 से मुज्जफरनगर (यूपी) के शफीक अहमद का परिवार रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बनाने का काम करता आ रहा है. शफीक अहमद अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं. जो हिंदुओं के त्योहार दशहरा में रंग भरने के लिए इन पुतलों को बनाने का काम कर रहे हैं. इन पुतलों की ऊंचाई 40 से 50 फुट तक होती है. ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट, आईडीपीएल और लक्ष्मण झूला समेत कई स्थानों पर इन पुतलों को दहन किया जाता है.

ये भी पढ़ेंः आस्था और चमत्कार का दरबार है मां चूड़ामणि का मंदिर, भक्तों की हर कामना होती है पूरी

इन पुतलों को बनाने के लिए ये 12 से ज्यादा मुस्लिम कारीगर करीब डेढ़ महीने तक कड़ी मेहनत कर पुतलों को तैयार करते हैं. इतना ही नहीं ये मुस्लिम कारीगर हिंदुओं के अन्य त्योहारों जैसे जन्माष्टमी और कावड़ यात्रा में भी अपना योगदान देते हैं. Etv Bharat से खास बातचीच करते हुए कारीगरों ने बताया कि उन्हें हिंदुओं के पर्व में अपनी कलाकारी से रंग भरने का एक अलग ही आंनद आता है.

कारीगर शफीक अहमद ने बताया कि 55 साल पहले उनके पिता ने रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों को बनाने का काम शुरू किया था. पिता के साथ रहते हुए उन्होंने भी यह काम सीख लिया था. जिसे अभी तक जारी रखा है. साथ ही कहा कि उन्हें इस काम से काफी खुशी भी मिलती है. वहीं, अब शफीक के भांजे भी इस काम को सीख रहे हैं और अपने परिवार की विरासत को आगे ले जाने की बात कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः मां दुर्गा के जयकारों से गूंजी बाबा बागनाथ की नगरी, पंडालों में भजन-कीर्तनों की धूम

वहीं, एक ओर जहां देश में कुछ लोग हिंदू-मुस्लिम को बांटने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं, ये मुस्लिम परिवार कौमी एकता का संदेश दे रहा है. जो एक मिशाल कायम कर रहा है.

ऋषिकेशः दशहरा के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले दहन करते हैं. पुतले बनाने के लिए कारीगर काफी पहले से ही काम पर जुट जाते हैं. तीर्थनगरी में एक मुस्लिम परिवार हिंदुओं के इस पवित्र पर्व दशहरा में रंग भरने का काम कर रहा है. ये मुस्लिम परिवार बीते 55 सालों से यानि तीन पीढ़ियों से पुतला बनाने का काम कर रहा है. जो हिंदू-मुस्लिम की एकता और आपसी सौहार्द का संदेश दे रहे हैं.

दशहरा के लिए पुतले बनाकर कौमी एकता का संदेश देता मुस्लिम परिवार.

दरअसल, ऋषिकेश में साल 1964 से मुज्जफरनगर (यूपी) के शफीक अहमद का परिवार रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले बनाने का काम करता आ रहा है. शफीक अहमद अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं. जो हिंदुओं के त्योहार दशहरा में रंग भरने के लिए इन पुतलों को बनाने का काम कर रहे हैं. इन पुतलों की ऊंचाई 40 से 50 फुट तक होती है. ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट, आईडीपीएल और लक्ष्मण झूला समेत कई स्थानों पर इन पुतलों को दहन किया जाता है.

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इन पुतलों को बनाने के लिए ये 12 से ज्यादा मुस्लिम कारीगर करीब डेढ़ महीने तक कड़ी मेहनत कर पुतलों को तैयार करते हैं. इतना ही नहीं ये मुस्लिम कारीगर हिंदुओं के अन्य त्योहारों जैसे जन्माष्टमी और कावड़ यात्रा में भी अपना योगदान देते हैं. Etv Bharat से खास बातचीच करते हुए कारीगरों ने बताया कि उन्हें हिंदुओं के पर्व में अपनी कलाकारी से रंग भरने का एक अलग ही आंनद आता है.

कारीगर शफीक अहमद ने बताया कि 55 साल पहले उनके पिता ने रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों को बनाने का काम शुरू किया था. पिता के साथ रहते हुए उन्होंने भी यह काम सीख लिया था. जिसे अभी तक जारी रखा है. साथ ही कहा कि उन्हें इस काम से काफी खुशी भी मिलती है. वहीं, अब शफीक के भांजे भी इस काम को सीख रहे हैं और अपने परिवार की विरासत को आगे ले जाने की बात कर रहे हैं.

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वहीं, एक ओर जहां देश में कुछ लोग हिंदू-मुस्लिम को बांटने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं, ये मुस्लिम परिवार कौमी एकता का संदेश दे रहा है. जो एक मिशाल कायम कर रहा है.

Intro:Special
ऋषिकेश-- प्राचीन कथाओं में रावण भले ही बुराई का दूसरा नाम माना जाता रहा हो लेकिन बीते 55 सालों से एक मुस्लिम परिवार दशहरा के लिए रावण बनाने का काम कर हिन्दु-मुस्लिम एकता का सन्देश दे रहे हैं हम ऐसा क्यों कह रहे हैं ये जानने के लिए ऋषिकेश से ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट--


Body:वी/ओ--भारतीय इतिहास में रावण को बुराई के रूप में देखा जाता है आज भी दशहरा के समय रावण के बड़े-बडे पुतले दहन कर हम दशहरा के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं, तीर्थनगरी ऋषिकेश में हिन्दुओं के इस पवित्र पर्व दशहरा में रंग भरने का काम एक मुस्लिम परिवार बीते 55 सालों से करता आ रहा है, ऋषिकेश में सन् 1964 से मुज्जफर नगर यूपी के शफीक अहमद का परिवार रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने का काम करता है, शफीक अहमद अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी है जो हिन्दुओं के त्यौहार दशहरा में रंग भरने के लिए इन पुतलों को बनाने का काम कर रहे हैं। 



बाईट-- सफीक अहमद,(कारीगर )


 वी/ओ--दशहरा के पर्व पर बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दहन होने वाले रावण मेघनाथ और कुम्भकर्ण के विशालकाय पुतलों की ऊचाई 40 से 50 फुट तक होती है, ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट, आईडीपीएल और लक्ष्मणझुला समेत कई स्थानों पर इन पुतलों का दहन होता है, पुतलों को बनाने के लिए ये 12 से ज्यादा मुस्लिम कारिगर करीब डेढ़ महीने तक कड़ी मेहनत कर पुतलों को तैयार करते हैं । दशहरा में पूतले बनाने के सिवाय इन मुस्लिम कारीगरों की कलाकारी का हिन्दूओं के अन्य त्यौहारों जनमाष्ठिमी और कावड़ यात्रा में भी योगदान रहता है, मुस्लिम कारीगरों को हिन्दुओं के पर्व में अपनी कलाकारी से रंग भरने का एक अलग ही आनन्द आता है, कारीगर सफीक अहमद का कहना है कि उन्हें इससे बहुत खुशी मिलती है।



बाईट-- शफीक अहमद(कारीगर)

वी/ओ--55 वर्ष पहले शफीक के पिता ने रावण कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतलों को बनाने का कार्य शुरू किया था पिता के साथ रहते हुए सफीक रफीक ने भी यह काम सीख लिया और फिर पिता के बाद उन्होंने इस कार्य को जारी रखा अब शफीक के भांजे भी इस कार्य को सीख रहे हैं और अपने परिवार की विरासत को आगे ले जाने की बात कर रहे हैं।

बाईट--जीशान(शफीक का भांजा,कारीगर)




Conclusion:वी/ओ-- एक ओर जहां देश में कुछ लोग हिंदू मुस्लिम के नाम पर बांटने का प्रयास कर रहे हैं वहीं एक मुस्लिम परिवार कौमी एकता का संदेश दे रहा है पिछले 55 वर्षों से जिस तरह से एक मुस्लिम परिवार हिंदुओं के सबसे बड़े त्यौहार दशहरे के लिए रावण कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों को तैयार करता है वो काबिले तारीफ है ।

पीटीसी--विनय पाण्डेय ऋषिकेश
Last Updated : Oct 7, 2019, 6:01 PM IST
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