देहरादून: उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए अप्रैल में राज्य सरकार की ओर से जारी रिए गए विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर 1064 में ताबड़तोड़ शिकायतें आ रही हैं. लेकिन जितनी शिकायतें आ रहीं हैं, उतने मामलों का निपटारा नहीं हो पा रहा है. देहरादून स्थित विजिलेंस मुख्यालय के मुताबिक डेढ़ महीने में 3,558 शिकायतें आ चुकी हैं लेकिन अभी तक 5 शिकायतों में कार्रवाई करते हुए भ्रष्टाचारियों को जेल भेजा है. जबकि देहरादून और हल्द्वानी से 64 से अधिक भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई जारी है. देहरादून से 38 और हल्द्वानी की 26 शिकायतें शामिल हैं. 27 शिकायतों पर जांच और साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं. वहीं, भ्रष्टाचार से जुड़े 4 बड़े मामले शासन को भेजे गए हैं, जिन पर अग्रिम कार्रवाई होनी बाकी है.
विजिलेंस हेल्पलाइन पर मिलने वाली सैकड़ों शिकायतों में हैरानी की बात यह है कि अभी तक थाना, चौकी और पुलिस भ्रष्टाचार से जुड़ी कोई भी शिकायत विजिलेंस से नहीं की गई है. विजिलेंस मुख्यालय जानकारों के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह लोगों का डर व भ्रम है कि अगर वह शिकायत करते हैं तो शायद उन्हें ऐसा लगता है कि विजिलेंस भी पुलिस की एक इकाई है, तो वो पुलिस के खिलाफ कैसे कार्रवाई कर सकती है. जबकि यह धारणा बिल्कुल गलत है. किसी को भी अगर पुलिस से कोई भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायत है तो वह निःसंकोच इसकी सूचना और शिकायत लिखित रूप में दे सकता है, ताकि पुलिस के भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाया जा सके.
करीब 1700 से 1800 शिकायतों को किया गया ट्रांसफर: लगभग 1700 से 1800 ऐसी शिकायतें आ चुकी है जो विजिलेंस को छोड़ अन्य विभागों से संबंधित हैं, जिनको विजिलेंस द्वारा संबंधित विभागों को ट्रांसफर किया जा चुका है. यह शिकायतें रोड बनने में भ्रष्टाचार, बिजली के पोल लगाने में गड़बड़ी, बिजली और पानी के कनेक्शन लगाने में गड़बड़ी की हैं.
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सरकारी विभागों की शिकायतें कम: विजिलेंस मुख्यालय मानता है कि भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला होने के बावजूद सरकारी विभागों की शिकायतें कम आ रही हैं, सरकारी विभागों के खिलाफ लोग शिकायत करने में कतराते हैं. यही कारण है कि विजिलेंस चाह कर भी भ्रष्टाचार अंकुश में उस तरह से कार्रवाई नहीं कर पा रही है, जिस तरह से उसे करना चाहिए. यही कारण है कि राज्य बनने के 22 साल में लगभग 250 सरकारी कर्मचारी रिश्वत के आरोप में जेल भेजे जा चुके हैं. इसमें भी अधिकांश निचले श्रेणी के कर्मचारी हैं, जबकि बड़े स्तर के अधिकारियों के खिलाफ बहुत कम संख्या में शिकायते आती हैं.
सीएम हेल्पलाइन और बिजनेस हेल्पलाइन से भी आईं शिकायतें: विजिलेंस मुख्यालय एसपी धीरेंद्र गुंज्याल के मुताबिक सीएम हेल्पलाइन नंबर 1905 और विजलेंस हेल्पलाइन 1064 में ऐसी काफी शिकायतें आई हैं, जिन पर विजिलेंस को अपने अधिकार क्षेत्र से कार्रवाई करने की आवश्यकता है और उन पर कार्रवाई भी चल रही है.
कुछ शिकायतों को सीएम हेल्पलाइन में किया गया ट्रांसफर: विजिलेंस के अपर पुलिस महानिदेशक अमित सिन्हा के मुताबिक विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर 1064 पर आने वाली कुछ ऐसी शिकायतें भी हैं, जिनको सीएम हेल्पलाइन नंबर 1905 में ट्रांसफर किया गया है, ताकि संबंधित विभाग से जुड़ी शिकायतों का निस्तारण हो सके. वहीं, सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतें जो भी आ रही हैं, उन पर विजिलेंस की लगातार कार्रवाई चल रही है. विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर पर आईं 3,358 शिकायतों में से लगभग आधे मामलों की जांच चल रही है.
इन मामलों में की गई कार्रवाई: उत्तराखंड सिंचाई विभाग से जूनियर इंजीनियर के पद से रिटायर कर्मी की ग्रेच्युटी की धनराशि रिलीज करने के लिए सचिवालय में समीक्षा अधिकारी अनिल पुरोहित ने एक लाख रुपये की डिमांड की. शिकायतकर्ता ने विजिलेंस हेल्पलाइन 1064 पर सूचना दी, जिसके बाद विजिलेंस ने जाल बिछाकर रिश्वतखोर पुरोहित को ट्रेप कर रंगे हाथों सचिवालय के बाहर से गिरफ्तार किया.
CRETRA FERTILIZER & CHEMICAL PVT फर्म खोलने के नाम पर रुड़की तहसील के कानूनगों पद पर तैनात राजकुमार सैनी ने 15 हजार की रिश्वत मांगी थी. सैनी को विजिलेंस टीम ने ट्रैप कर रुड़की से गिरफ्तार किया.
हरिद्वार के कनखल इलाके में नए घर में बिजली कनेक्शन के लिए कनखल स्थित पॉवर ऑफिस में तैनात SDO संदीप शर्मा ने ₹20 हजार की रिश्वत मांग की. शिकायतकर्ता ने हेल्पलाइन 1064 और विजिलेंस एप पर शिकायत दी. शिकायत के आधार पर बिजनेस की टीम ने आरोपी एसडीओ को रिश्वत की रकम लेते हुए ट्रेप कर हरिद्वार से गिरफ्तार किया.
हरिद्वार जनपद में सरकारी निर्माण कार्य के लिए ठेकेदारी का हैसियत प्रमाण पत्र बनाने के रुड़की पटवारी नरेश कुमार सैनी ने शिकायतकर्ता से 4 हजार रुपए की मांग की. ऐसे में ठेकेदार ने विजिलेंस 1064 नंबर पर शिकायत की. विजिलेंस ने हरिद्वार तहसील में तैनात पटवारी नरेश कुमार सैनी को रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोच लिया.
बता दें, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 8 अप्रैल को सचिवालय में विजिलेंस विभाग (Vigilance Department) से विकसित किए गए एप 'भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड-1064' और हेल्पलाइन नंबर 1064 का शुभारंभ किया. 1064 एप और हेल्पलाइन नंबर के जरिये अगर आपको किसी किस्म के भ्रष्टाचार की जानकारी (Corruption Complaint) हो तो आप भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.