देहरादून: उत्तराखंड में महिला कैदियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन राज्य में महिला कैदियों के लिए अलग जेल नहीं है. प्रदेश में मौजूद 11 जिलों में ही महिला कैदियों को भी रखा जाता है. प्रदेश में मौजूद सभी 11 जेलों में मात्र 160 महिला कैदियों को रखने की क्षमता है, बावजूद इसके इन जेलों में 286 महिला कैदी बंद हैं. यानी 11 जेलों में महिला कैदियों की कुल क्षमता का करीब 178.8 प्रतिशत महिला कैदी बंद हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां जेलों में क्षमता से अधिक महिला कैदी बंद हैं. उत्तराखंड का पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की स्थिति उत्तराखंड राज्य से काफी बेहतर है. यहां हिमाचल प्रदेश में महिला कैदियों को रखने की क्षमता 147 है, लेकिन हिमाचल में क्षमता के काफी कम 109 महिला कैदी ही हैं.
प्रिजन स्टेटिस्टिक्स इंडिया में प्रकाशित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड की 11 जेलों में 3,741 कैदी रखने की क्षमता हैं. इसके सापेक्ष इन जेलों में 7,075 कैदी सजा काट रहे हैं, जिनमें 286 महिला कैदी भी शामिल है. हालांकि, जेलों में बंद कैदियों के सापेक्ष उत्तराखंड सरकार मात्र 4.6 करोड़ रुपए का ही बजट जारी करती है.
वहीं, पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की सरकार, उत्तराखंड राज्य से कई गुना अधिक बजट जारी करता है. रिपोर्ट के अनुसार 53.4 करोड़ रुपए का बजट हिमाचल सरकार जेलों के लिए आवंटित करती हैं, जबकि हिमाचल की 14 जेलों में 2,437 की क्षमता के सापेक्ष 2,909 कैदियों को रखा गया है.
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महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि ईटीवी भारत के माध्यम से यह मामला उनके संज्ञान में आया है. उन्होंने कहा है कि वो इस संबंध में जल्द ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात करेंगी, ताकि जेलों में बंद महिलाओं के लिए और क्या मानवीय व्यवस्था हो सकती है, उसकी व्यवस्था की जायेगी.