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उत्तराखंडः केमिकल डिजास्टर को लेकर मॉक एक्सरसाइज, बचाव और राहत की दी गई जानकारी

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Published : Feb 4, 2020, 6:22 PM IST

देहरादून सचिवालय में केमिकल डिजास्टर के खतरे को कम करने और बचाव व राहत को लेकर एक मॉक एक्सरसाइज का आयोजन किया गया.

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केमिकल डिजास्टर

देहरादूनः भारत में उद्योगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लेकिन, उद्योगों के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के साथ ही देश में केमिकल डिजास्टर का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. इसी कड़ी में सचिवालय में केमिकल डिजास्टर को लेकर एक मॉक एक्सरसाइज का आयोजन किया गया. जिसमें भविष्य में केमिकल डिजास्टर के खतरे को कम करने और बचाव व राहत को लेकर जानकारी दी गई. इस मॉक एक्सरसाइज में भारतीय सेना, वायु सेना, एसएसबी, एनडीआरएफ और एसटीएफ की टीमें भी शामिल रहीं.

सचिवालय में एनडीआरएफ के कंसलटेंट रिटायर्ड मेजर जनरल वीके दत्ता की अध्यक्षता में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस दौरान आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी ने बताया कि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है, जो भूकंप, जंगल की आग और बाढ़ जैसी समस्याओं से बड़े पैमाने पर प्रभावित होता है. ऐसे में तीन बड़े इंडस्ट्रियल जिले उधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून के लिहाज से केमिकल डिजास्टर की जानकारी भी लोगों को होना बेहद जरूरी है.

केमिकल डिजास्टर को लेकर मॉक एक्सरसाइज.

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जिसके लिए अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए लोगों को अलर्ट किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि केमिकल डिजास्टर एक ऐसी आपदा है. जिसमें कुछ ही मिनटों में हजारों लोगों की मौत हो सकती है. ऐसे में इसके लिए पहले से तैयार होने की जरूरत है. इसे देखते हुए एनडीआरएफ पूरे देश में केमिकल डिजास्टर को लेकर पहले से ही तैयार कर रहा है.

क्या है केमिकल डिजास्टर
बता दें कि 3 दिसंबर 1984 में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस रिसाव हो गया था. जिसके कारण 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. साथ ही कई लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए थे. इस गैस कांड में मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था. जिसका इस्तेमाल कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था.

ये भी पढ़ेंः भारत-नेपाल ने किया काली नदी पर संवाद, जल संरक्षण सहित कई मुद्दों पर हुई चर्चा

वहीं, मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मौत का यह सबसे बड़ा आंकड़ा था. भोपाल गैस कांड भारत को इस बात पर सोचने के लिए मजबूर किया कि आखिर जहरीली गैस के रिसाव के दौरान किस तरह से बचाव एवं राहत कार्य किए जा सकते हैं. ऐसे में उस समय बचाव और राहत दल को केमिकल डिजास्टर की जानकारी होती तो हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती थी.

इसे देखते हुए एनडीआरएफ पूरे देश में केमिकल डिजास्टर से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कार्य कर रहा है. जिसके लिए एनडीआरएफ की टीम केमिकल डिजास्टर मॉक ड्रिल का आयोजन कर रही है. सबसे पहले गुजरात में इसका आयोजन किया गया था. क्योंकि, गुजरात केमिकल डिजास्टर के लिहाज से देश में सबसे संवेदनशील राज्य है. जहां भूकंप और साइक्लोन दोनों ही तरह के खतरे बरकरार हैं.

देहरादूनः भारत में उद्योगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लेकिन, उद्योगों के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी के साथ ही देश में केमिकल डिजास्टर का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. इसी कड़ी में सचिवालय में केमिकल डिजास्टर को लेकर एक मॉक एक्सरसाइज का आयोजन किया गया. जिसमें भविष्य में केमिकल डिजास्टर के खतरे को कम करने और बचाव व राहत को लेकर जानकारी दी गई. इस मॉक एक्सरसाइज में भारतीय सेना, वायु सेना, एसएसबी, एनडीआरएफ और एसटीएफ की टीमें भी शामिल रहीं.

सचिवालय में एनडीआरएफ के कंसलटेंट रिटायर्ड मेजर जनरल वीके दत्ता की अध्यक्षता में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस दौरान आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी ने बताया कि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है, जो भूकंप, जंगल की आग और बाढ़ जैसी समस्याओं से बड़े पैमाने पर प्रभावित होता है. ऐसे में तीन बड़े इंडस्ट्रियल जिले उधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून के लिहाज से केमिकल डिजास्टर की जानकारी भी लोगों को होना बेहद जरूरी है.

केमिकल डिजास्टर को लेकर मॉक एक्सरसाइज.

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जिसके लिए अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए लोगों को अलर्ट किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि केमिकल डिजास्टर एक ऐसी आपदा है. जिसमें कुछ ही मिनटों में हजारों लोगों की मौत हो सकती है. ऐसे में इसके लिए पहले से तैयार होने की जरूरत है. इसे देखते हुए एनडीआरएफ पूरे देश में केमिकल डिजास्टर को लेकर पहले से ही तैयार कर रहा है.

क्या है केमिकल डिजास्टर
बता दें कि 3 दिसंबर 1984 में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस रिसाव हो गया था. जिसके कारण 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. साथ ही कई लोग अनेक तरह की शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हुए थे. इस गैस कांड में मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था. जिसका इस्तेमाल कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था.

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वहीं, मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मौत का यह सबसे बड़ा आंकड़ा था. भोपाल गैस कांड भारत को इस बात पर सोचने के लिए मजबूर किया कि आखिर जहरीली गैस के रिसाव के दौरान किस तरह से बचाव एवं राहत कार्य किए जा सकते हैं. ऐसे में उस समय बचाव और राहत दल को केमिकल डिजास्टर की जानकारी होती तो हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती थी.

इसे देखते हुए एनडीआरएफ पूरे देश में केमिकल डिजास्टर से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कार्य कर रहा है. जिसके लिए एनडीआरएफ की टीम केमिकल डिजास्टर मॉक ड्रिल का आयोजन कर रही है. सबसे पहले गुजरात में इसका आयोजन किया गया था. क्योंकि, गुजरात केमिकल डिजास्टर के लिहाज से देश में सबसे संवेदनशील राज्य है. जहां भूकंप और साइक्लोन दोनों ही तरह के खतरे बरकरार हैं.

Intro:एंकर - भारत लगातार उद्योग के मामले में आगे बढ़ रहा है। लेकिन उद्योगों के क्षेत्र में बढ़ोतरी के साथ ही देश में केमिकल डिजास्टर का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है। भविष्य में केमिकल डिजास्टर के खतरे को कम करने और इस दौरान बचाव एवं राहत को लेकर एनडीआरएफ पूरे देश में कार्य कर रहा है जिसको लेकर आज देहरादून सचिवालय में एक मॉक एक्सरसाइज का आयोजन किया गया।


Body:वीओ - 3 दिसंबर साल 1984 में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस रिसाव के कारण 15000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मौत का यह सबसे बड़ा आंकड़ा था। भोपाल गैस कांड भारत को इस बात पर सोचने के लिए मजबूर करने वाला था कि आखिर के जहरीली गैस के रिसाव के दौरान किस तरह से बचाव राहत कार्य होंगे अगर उस समय बचाव राहत दल को केमिकल डिजास्टर की जानकारी होती तो शायद हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती थी। शायद इसीलिए एनडीआरएफ पूरे देश में भविष्य की केमिकल डिजास्टर से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कार्य कर रहा है। जिसके लिए एनडीआरएफ की टीम केमिकल डिजास्टर मॉक ड्रिल का आयोजन कर रही है सबसे पहले गुजरात में इसका आयोजन किया गया क्योंकि गुजरात केमिकल डिजास्टर के लिहाज से देश में सबसे संवेदनशील राज्य है जहां भूकंप और साइक्लोन दोनों ही तरह के खतरे बरकरार हैं। राजधानी देहरादून में एनडीआरएफ के कंसलटेंट रिटायर्ड मेजर जनरल वीके दत्ता की अध्यक्षता में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें उत्तराखंड आपदा सचिव अमित नेगी भी मौजूद रहे भारतीय सेना वायु सेना एसएसबी एनडीआरएफ और एसटीएफ की टीमें भी इस दौरान मौजूद रही। कार्यशाला में केमिकल डिजास्टर को लेकर किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी और केमिकल डिजास्टर के दौरान आपदा एवं बचाव राहत पर फोकस किया गया।

वीओ - उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी ने जानकारी दी कि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो भूकंप जंगल की आग और बाढ़ इन सभी चीजों से बड़े पैमाने पर प्रभावित होता है ऐसे में तीन बड़े इंडस्ट्रियल जनपद उधम सिंह नगर हरिद्वार और देहरादून के लिहाज से केमिकल डिजास्टर की जानकारी लोगों को होना बेहद जरूरी है। जिसके लिए अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए लोगों को अलर्ट किया जा रहा है।

बाईट - अमित नेगी सचिव आपदा प्रबंधन
Conclusion:वीओ - केमिकल डिजास्टर एक ऐसी आपदा है जिसमें कुछ ही मिनटों में हजारों लोगों की मौत हो सकती है ऐसे में इसके लिए पहले से तैयार होने की जरूरत है शायद इसीलिए एनडीआरएफ पूरे देश में राज्यों को केमिकल डिजास्टर के लिए पहले से तैयार कर रहा है।
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