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पर्यावरण के लिए घातक है ई-कचरा, निजी संस्था ने लोगों को किया जागरुक

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Published : Aug 30, 2019, 4:29 PM IST

Updated : Aug 30, 2019, 8:29 PM IST

आधुनिकता के इस दौर में आज मोबाइल हर किसी की जरूरत बन चुका है, लेकिन मोबाइल के ई-वेस्ट के निस्तारण के विषय में लोग अभी भी अंजान हैं. वहीं कुछ लोगों को ही इसके बारे में पता है.

ई-वेस्ट के निस्तारण के विषय में लोग आज भी अंजान हैं

देहरादून: मोबाइल आज हर किसी की जरूरत बन चुका है, लेकिन ई-वेस्ट के विषय में लोग अभी भी अंजान हैं. वहीं, पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली एक निजी संस्था ने ई-कचरा प्रबंधन नियम के तहत राजधानी में मोबाइल डीलरों से बात की. जिसके बाद पता चला कि लगभग 88% मोबाइल डीलर ई-कचरा प्रबंधन नियम से पूरी तरह अंजान हैं.

बता दें कि ई- कचरा प्रबंधन नियम 2016 (7) के मुताबिक एक नियन बनाया गया है, जिसके तहत सभी मोबाइल डीलरों को कचरा वापस लेने के लिए उपभोक्ताओं को बॉक्स या डस्टबिन उपलब्ध करवाना होगा, लेकिन शहर के 94% मोबाइल डीलर ऐसी कोई सुविधा उपभोक्ताओं को नहीं दे रहे हैं. वहीं कुल मिलाकर 88% कचरा एकत्र करने के लिए कोई तंत्र नहीं है.

पर्यावरण के लिए घातक है ई-कचरा.

वहीं, ई- कचरा प्रबंधन नियम 2016 को लेकर वास्तव में राजधानी देहरादून के मोबाइल डीलर्स कितने जागरूक हैं, इस बात का पता लगाने के लिए जब ईटीवी भारत ने खुद शहर के विभिन्न मोबाइल डीलरों से बात की तो अधिकतर लोग इससे अंजान पाये गये. इस विषय में मोबाइल डीलरों का कहना साफ था कि जब भी उनके दुकान में मोबाइल से जुड़ा कोई भी सामान खराब होता है, उसे या तो वह कचरे के ढेर में फेंक देते हैं, या फिर उपभोगता अपने साथ ही ले जाते हैं.

देहरादून: मोबाइल आज हर किसी की जरूरत बन चुका है, लेकिन ई-वेस्ट के विषय में लोग अभी भी अंजान हैं. वहीं, पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली एक निजी संस्था ने ई-कचरा प्रबंधन नियम के तहत राजधानी में मोबाइल डीलरों से बात की. जिसके बाद पता चला कि लगभग 88% मोबाइल डीलर ई-कचरा प्रबंधन नियम से पूरी तरह अंजान हैं.

बता दें कि ई- कचरा प्रबंधन नियम 2016 (7) के मुताबिक एक नियन बनाया गया है, जिसके तहत सभी मोबाइल डीलरों को कचरा वापस लेने के लिए उपभोक्ताओं को बॉक्स या डस्टबिन उपलब्ध करवाना होगा, लेकिन शहर के 94% मोबाइल डीलर ऐसी कोई सुविधा उपभोक्ताओं को नहीं दे रहे हैं. वहीं कुल मिलाकर 88% कचरा एकत्र करने के लिए कोई तंत्र नहीं है.

पर्यावरण के लिए घातक है ई-कचरा.

वहीं, ई- कचरा प्रबंधन नियम 2016 को लेकर वास्तव में राजधानी देहरादून के मोबाइल डीलर्स कितने जागरूक हैं, इस बात का पता लगाने के लिए जब ईटीवी भारत ने खुद शहर के विभिन्न मोबाइल डीलरों से बात की तो अधिकतर लोग इससे अंजान पाये गये. इस विषय में मोबाइल डीलरों का कहना साफ था कि जब भी उनके दुकान में मोबाइल से जुड़ा कोई भी सामान खराब होता है, उसे या तो वह कचरे के ढेर में फेंक देते हैं, या फिर उपभोगता अपने साथ ही ले जाते हैं.

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देहरादून- आधुनिकता के इस दौर में आज मोबाइल हर किसी की एक जरूरत बन चुकी है । लेकिन मोबाइल के ई- वेस्ट के निस्तारण के लिए बारे में आज भी बहुत कम लोग जानते हैं ।

पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली एक निजी संस्था ने हालही में ई-कचरा प्रबंधन नियम 2016 को लेकर राजधानी के विभिन्न मोबाइल डीलरों से बात की । लेकिन इस दौरान राजधानी के 88% मोबाइल डीलर ई-कचरा प्रबंधन नियम से पूरी तरह अनजान पाए गए ।




Body:बता दें कि ई- कचरा प्रबंधन नियम 2016 के नियम 7 के मुताबिक सभी मोबाइल डीलरों को कचरा वापस लेने के लिए उपभोक्ता को बॉक्स या फिर डस्टबिन उपलब्ध करवाना चाहिए। लेकिन शहर के 94% मोबाइल डीलर ऐसी कोई सुविधा उपभोक्ता को नहीं दे रहे हैं । कुल मिलाकर 88% दिवस के पास ही कचरा एकत्र करने के लिए कोई तंत्र नहीं है।

बाइट- ऋषभ श्रीवास्तव समाजसेवी







Conclusion:वहीं ई- कचरा प्रबंधन नियम 2016 को लेकर वास्तव में राजधानी देहरादून के मोबाइल डीलर्स कितने जागरूक हैं इस बात का पता लगाने के लिए जब ईटीवी भारत ने खुद शहर के विभिन्न मोबाइल डीलरों से बात कि तो शहर के आधे से ज्यादा मोबाइल डीलर ई-कचरा प्रबंधन नियम 2016 से अनजान मिले । मोबाइल डीलरों का का साफ कहना था कि जब भी उनके दुकान में मोबाइल से जुड़ा कोई भी सामान खराब होता है उसे या तो वह कचरे के ढेर में फेंक देते हैं या तो कुछ खराब सामान को उपभोगता अपने साथ ले जाते है।

बाइट- मोबाइल डीलर
Last Updated : Aug 30, 2019, 8:29 PM IST
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