देहरादून: लंबे समय से आंदोलनरत मनरेगा कर्मचारी अपनी मांगों पर अड़े हैं. मनरेगा कर्मचारियों की मांग है कि जो वेतन बढ़ोत्तरी एनजीओ के माध्यम से उन्हें दी जा रही थी, वही वेतन बढ़ोत्तरी सरकार भी उन्हें दे. वहीं, सरकार की तरफ से भी मनरेगा कर्मचारियों से हड़ताल खत्म करने की अपील की गई है. कर्मचारियों के हित में फैसला लेने का आश्वासन भी दिया गया है.
विगत ढाई महीने से आंदोलनरत मनरेगा कर्मचारियों का आंदोलन जारी है. मनरेगा कर्मचारियों की सरकार से मांग है कि ग्रेड पे और समान वेतन को लेकर सरकार फैसला ले. मनरेगा कर्मचारी विमल सिंह राणा ने बताया कि उनकी कई दौर की वार्ता मुख्यमंत्री से भी हो चुकी है. जिसमें ग्रेड पे दिये जाने की मंजूरी सीएम ने दी है. मगर इसमें एक पेंच था कि मनरेगा कर्मचारियों को निजी संस्थाओं के माध्यम से उनका उचित वेतन दिया जा रहा था लेकिन निजी संस्थाओं के माध्यम से नियुक्ति पर रोक लग जाने के बाद पुरानी व्यवस्था में मनरेगा कर्मचारियों को उनके वेतन का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है.
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कर्मचारियों का कहना है कि जब निजी संस्था के माध्यम से उन्हें उचित वेतन दिया जा सकता है तो सरकार क्यों नहीं पुरानी व्यवस्था पर उन्हें उनका उचित मेहनताना दे सकती है. मनरेगा कर्मचारियों की सीधी सरकार से मांग है कि जो वेतन बढ़ोत्तरी एनजीओ के माध्यम से दी जा रही थी वहीं वेतन बढ़ोत्तरी सरकार उन्हें पुरानी व्यवस्था में भी दे.
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वहीं, शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने सभी मनरेगा कर्मचारियों से अपील की है कि हड़ताल खत्म कर अपने कार्य पर वापस लौटें. साथ ही उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सभी मनरेगा कर्मचारियों से काम लिया जाएगा. किसी की नौकरी नहीं जाएगी. पुरानी व्यवस्था पर सभी मनरेगा के कर्मचारियों से काम लिया जाएगा. वहीं सरकार उनके हितों को लेकर पूरी तरह से संवेदनशील है. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के हित में जो भी बेहतर होगा सरकार उस पर फैसला लेगी, मगर इस वक्त महामारी के दौर में सबको सरकार का साथ देने की जरूरत है.